भागलपुर: बच्चों को स्वच्छ व निरोग रखने के लिए स्कूलों की व्यवस्था सुदृढ़ की जायेगी. इसके लिए सभी उच्च विद्यालय, मध्य विद्यालय व प्राथमिक विद्यालय में बोरिंग करायी जायेगी. छत पर पानी की टंकी लगेगी और हाथ धुलाई के लिए बेसिन (हैंड वाश बेसिन) लगाया जायेगा. यह व्यवस्था उन्हीं विद्यालयों में उपलब्ध करायी जायेगी, जिसके पास भवन व चहारदीवारी उपलब्ध है. उच्च विद्यालयों व मध्य विद्यालयों में वाटर प्यूरीफाइंग मशीन भी लगायी जायेगी.
प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी नसीम अहमद ने बताया कि सभी उच्च विद्यालय, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, नव उत्क्रमित व प्रोजेक्ट विद्यालयों में यह कार्य विद्यालय विकास मद से संपन्न कराये जायेंगे. प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में यह कार्य विद्यालय विकास अनुदान और विद्यालय रखरखाव अनुदान से संपन्न कराया जायेगा, जबकि प्रखंड संसाधन केंद्र व कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में इसे कंटीजेंसी राशि से पूर्ण कराया जायेगा. जिन प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में चापाकल लगा हुआ है, वहां प्रेशर हेड लगा कर पानी टंकी तक पहुंचाने और पुन: उस पानी का उपयोग शौचालय व हाथ धुलाई बेसिन पर किया जायेगा. डीपीओ एसएसए सह जिला शिक्षा पदाधिकारी श्री अहमद ने सभी बीइओ, प्रधानाध्यापक व कस्तूरबा के संचालक को इस बाबत निर्देशित किया है. साथ ही सभी उच्च विद्यालय, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, प्रोजेक्ट व नव उत्क्रमित विद्यालयों को भी निर्देश जारी किये गये हैं. ज्ञात हो कि शुक्रवार को जिलाधिकारी ने समीक्षा बैठक का आयोजन किया था. इसमें जिलाधिकारी ने डीपीओ को निर्देश दिया था.
नवंबर के अंतिम सप्ताह में होगी समीक्षा
विद्यालयों में उक्त कार्य संपन्न होने का लक्ष्य नवंबर तक रखा गया है. नवंबर के अंतिम सप्ताह में विद्यालय वार इसकी समीक्षा की जायेगी. जिलाधिकारी ने डीपीओ को निर्देश दिया है कि नवंबर के अंतिम सप्ताह में स्थल निरीक्षण कर कार्य पूर्ण होने का प्रमाण दें.
शिविर में होगी भूमि प्राप्ति के लिए पहल
जिलाधिकारी ने डीपीओ को निर्देश दिया कि वे बीइओ को सूची देकर यह निर्देशित करें कि वे प्रत्येक शनिवार को प्रखंड के लिए अधिकृत वरीय उप समाहर्ता द्वारा आयोजित शिविर में उनके साथ संपर्क स्थापित कर भूमि प्राप्ति की दिशा में आवश्यक पहल करेंगे. इस संदर्भ में डीपीओ एसएसए ने विस्तृत दिशा-निर्देश बीइओ को दिया है.
शिक्षा विभाग के सामने बड़ा सवाल
जिले में कुल 80 नवसृजित प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जो आज भी भूमिहीन हैं. इन विद्यालयों को समीप के विद्यालय से संबद्ध कर दिया गया है, लेकिन क्या इससे शिक्षा का अधिकार के मानक पूरे हो रहे हैं. यह सवाल आज भी शिक्षा विभाग के सामने हैं.