भागलपुर: मंगल ग्रह पर सबसे के खर्च में यान भेज कर वैज्ञानिकों ने अपने देश का मान बढ़ाया है, वहीं तकनीकी शिक्षा के तहत साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में हम आखिरी कतार में है. साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं है. साइबर क्राइम लगातार बढ़ रहा है. सरकारी व गैर सरकारी वेबसाइट को हैक कर लिया जाता है.
सरकारी गुप्त सूचनाएं लिक हो जाती है. एलपीयू के निदेशक डॉ अमित कुमार बताते है कि साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में छात्र जाना चाहते हैं, लेकिन प्रदेश सरकार साइबर सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है. सरकारी उपेक्षा के कारण छात्रों में निराशा है. आने वाला निकट भविष्य साइबर सुरक्षा का है. जिस तरह तकनीकी उपकरणों के इस्तेमाल में अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्रों के साथ प्रतिस्पर्धा में हम समकक्ष होते जा रहे हैं. साइबर सुरक्षा विषयों को पाठ्यकमों में शामिल किया जाये. इसके लिए हर राज्य एवं केंद्र सरकार को मिल कर आगे आना होगा, तभी तकनीकी मामलों में विकसित राष्ट्रों से प्रतिस्पर्धा में अग्रणी हो सकते हैं.
जब देश के प्रधानमंत्री डिजिटल इंडिया पर जोर दे रहे हैं, ऐसे में सबसे पहले राज्य सरकार से यह अपेक्षा करेंगे कि साइबर सुरक्षा विषय को राजनीतिक नहीं बल्कि सबसे प्रमुख रोजगार पूरक शिक्षा के रूप में देखें. डॉ कुमार बताते है कि बिहार आइटी शिक्षा से क्यों वंचित रहे. इसे लेकर एक बड़े अभियान की शुरुआत संस्थान करने जा रही है. इसमें मात्र पांच सौ रुपये में छात्रों को कंप्यूटर साक्षर बनाया जायेगा. इसके तहत इंटरनेट, ऑफिस सहित सोशल नेटवर्किग जैसे विषयों पर जानकारी दी जायेगी. इसके लिए संस्थान सरकार को आवेदन देकर सहयोग करने की अपील करेगा. साइबर फोर्ट के उपनिदेशक डॉ राजेश ने बताया कि संस्था द्वारा चलाये जा रहे सभी कार्यक्रमों को एकमात्र उद्देश्य बिहार राज्य को आइटी के क्षेत्र में सबसे आगे लाना है.