भागलपुर: सरकार की ओर से शिक्षा को लेकर कई योजनाएं चलायी जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती हैं. जिले के प्रारंभिक व मध्य विद्यालयों को अपनी जमीन व भवन नहीं है.
बिहार शिक्षा परियोजना की साइट वाइज समीक्षा में इसका खुलासा हुआ है कि विद्यालयों में सरकारी योजनाएं लंबित तो कही शुरू नहीं हो पायी है. जिले में लगभग 260 ऐसे विद्यालय हैं, जिनके पास न अपना भवन है और न ही भूमि है. जिले के विद्यालयों में 2007-08 से लेकर 2013-14 तक की योजनाएं लंबित है.कई योजनाओं की संचिकाएं थी, जो वर्ष 2011 के बाद से अधिकारी के समक्ष उपस्थित नहीं की गयी, न ही भवन निर्माण से जुड़े इंजीनियर ने स्थल मुआयना किया है. उन विद्यालयों का एक सप्ताह के अंदर काम शुरू करने को कहा गया है.
दूसरी श्रेणी में वैसे विद्यालय है, जिन्हें वर्ष 2011-13 के बाद से कार्य प्रारंभ नहीं किया है. संबंधित अधिकारी को निर्देश दिया गया है कि जल्द कार्य शुरू करे. तीसरे श्रेणी में ऐसे विद्यालय है, जहां अबतक कोई कार्य शुरू ही नहीं किया गया है. ऐसे विद्यालयों के प्राचार्य से 18 प्रतिशत व्याज के साथ और भवन निर्माण कार्य से जुड़े सामान का दाम वर्तमान बाजार रेट के मुताबिक राशि वापस करने को कहा गया है. शिक्षा विभाग की ओर से बार-बार विद्यालयों के प्रधानाचार्य को भवन निर्माण के लिए सूचित किया जाता रहा, लेकिन उनके द्वारा विद्यालयों में सरकारी योजनाओं को चालू नहीं किया गया.
ऐसे प्रधानाध्यापकों को निलंबित करने के लिए डीइओ व स्थापना डीपीओ को पत्र भेज दिया गया है. स्कूलों में लगने वाले चापाकल व शौचालय निर्माण आदि को लेकर लापरवाही बरती गयी है. सितंबर के अंत तक हर हाल में बची योजनाओं को पूर्ण करने के लिए विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों से कहा गया है. प्रारंभिक जिला कार्यक्रम पदाधिकारी नसीम अहमद ने बताया कि पूर्व के डीपीओ व पदाधिकारियों द्वारा साइट वाइज समीक्षा नहीं की गयी है. अगर सुचारु रूप से काम किया जाता, तो शायद 260 विद्यालयों को भूमि के साथ -साथ अपना भवन मिल जाता. काम के प्रति विभाग के इंजीनियर भी लापरवाही बरत रहे हैं.
इस संबंध में रिपोर्ट तैयार कर जिलाधिकारी, डीडीसी व डीइओ को भेजा जा रहा है. काम में कोताही बरतने वाले विद्यालय के प्रधानाध्यापकों को निलंबित किया जायेगा व उनके ऊपर प्राथमिकी भी दर्ज करायी जायेगी.