भागलपुर: 11 जुलाई को सदर अस्पताल में हाइड्रोसिल के नाम पर घोघा स्थित पक्की सराय गांव के आठ लोगों के नसबंदी मामले में पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता डॉ राजेश तिवारी ने मानवाधिकार आयोग को पत्र भेजा है. डॉ तिवारी ने बताया कि आयोग से कहा गया है कि अगर सही से काउंसेलिंग की गयी होती तो वैसे लोगों की नसबंदी नहीं होती जिनकी पत्नी का पूर्व में ही बंध्याकरण हो चुका था.
चूंकि नसबंदी करने के पूर्व काउंसेलिंग करने का प्रावधान है और अगर ऐसा हुआ होता तो ऐसी नौबत ही नहीं आती कि बंध्याकरण के बाद भी उसके पति की नसबंदी होती. लेकिन नसबंदी के पूर्व अस्पताल में काउंसेलिंग नहीं की गयी.
चूंकि काउंसेलिंग के दौरान यह पूछा जाता है कि पत्नी का बंध्याकरण हुआ है या नहीं. उन्होंने बताया कि गुरुवार को न्यायालय में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए जरूरी दस्तावेज जमा किये जायेंगे. इधर सीएस के निर्देश पर जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ अशरफ रिजवी ने भी रविवार को पीड़ित पक्ष का बयान दर्ज किया है. वे अपनी रिपोर्ट सीएस को जमा करेंगे इसके बाद तय किया जायेगा कि कहां और किनसे चूक हुई.