दम घुटने की िशकायत, पानी में टेस्ट नहीं, फसल हो गयी चौपट

भागलपुर : भागलपुर-सुलतानगंज एनएच 80 के किनारे पुरानीसराय गांव में नगर निगम कूड़ा-कचरा के रूप में मौत का सामान गिरा रहा है. यहां बसी हजारों की आबादी इसका खामियाजा झेलने लगी है. पहले दो-चार पेड़ सूखे थे, अब तो पूरा बगीचा पर इसका असर दिखने लगा है. आम व ताड़ पेड़ों की निचली टहनी सूख […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 25, 2018 8:42 AM
भागलपुर : भागलपुर-सुलतानगंज एनएच 80 के किनारे पुरानीसराय गांव में नगर निगम कूड़ा-कचरा के रूप में मौत का सामान गिरा रहा है. यहां बसी हजारों की आबादी इसका खामियाजा झेलने लगी है. पहले दो-चार पेड़ सूखे थे, अब तो पूरा बगीचा पर इसका असर दिखने लगा है. आम व ताड़ पेड़ों की निचली टहनी सूख चुकी है. पहले दो-चार लोग बीमार थे, पर अब कई बुजुर्गों की हालत पस्त है.
रात भर खांसते हुए कट रही है. कूड़ा गिराने के बाद उसमें आग फूंक देने से 24 घंटे धुएं का गुबार निकलता रहता है. कूड़े से उठते दुर्गंध के कारण राह चलते लोगों को उबकाई आने लगती है. दुर्गंध के कारण गांव के लोग अपने घरों की खिड़कियां नहीं खोलते. गर्मी से राहत के लिए रात में छत पर लोग सोया करते हैं, लेकिन अब वे दिन में भी छत पर जाना छोड़ चुके हैं.
खासकर सबसे अधिक बुजुर्गों की परेशानी बढ़ी हुई है. कूड़े का ढेर काफी ऊंचा हो चुका है. उसके ऊपर भी कूड़ा गिरा कर और ऊंचा किया जा रहा है. इसके कारण ऊपर से गुजरनेवाला 33000 वोल्ट का तार नजदीक आ गया है. और कूड़ा गिराया गया, तो यहां बड़े हादसे की आशंका है.कूड़े में बायोमेडिकल कचरा मिला रहता है. इसके लगातार जलने से डायोक्सिन और फ्यूरांस जैसे आर्गेनिक प्रदूषक पैदा हो रहे हैं. इनसे कैंसर, प्रजनन और विकास संबंधी परेशानियां पैदा हो सकती हैं.
पक्षियों ने छोड़ा पुरानीसराय आना:
कूड़े की दुर्गंध और इसके जलने से निकलनेवाले दमघोंटू गैस के कारण पक्षियों ने पुरानीसराय आना ही छोड़ दिया है. यह स्थिति पिछले कई वर्षों से है. यहां से निकल रहे गैस के जहीरेले होने का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पक्षियों को विरले देखा जाता है.
स्लो प्वाइजन फैल रहा है, रोकना जरूरी
टीएमबीयू पीजी केमिस्ट्री के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो ज्योतिंद्र चौधरी ने कहा कि कूड़े को बिना तकनीक जलाने से फॉसजीन गैस बनता है. यह स्लो प्वाइजन का काम करता है. आपको याद होगा जब मरीजों को बेहोश करने के लिए ईथर की जगह क्लोरोफॉर्म का इस्तेमाल करने लगे थे. इसमें मरीज मरने लगे, तो बंद कर दिया गया. हम उसी ऑक्सीजन की सांस ले सकते हैं, जिसमें ऑक्सीजन का आंशिक दबाव 0.2 एटीएम हो. प्रदूषक (फॉसजीन) जब बढ़ जाता है, तो यह प्रेशर बढ़ता-घटता रहता है. इसी कारण आम लोग व जीव-जंतुओं को सांस लेने में कठिनाई होती है. कूड़े जलानेवाले जगह पर अगर आपकी सांस घुटने लगती है, तो समझ जाइए कि फॉसजीन गैस निकल रहा है.

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