10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कैसे मैं लाऊं लालना, भीड़ में रखा है पालना

भागलपुर : चाहे-अनचाहे भी एक मां अपने जिगर के टुकड़े को यतीम तो छोड़ देती है, लेकिन जुदा होके भी उसकी हर सांस के लिए खैरख्वाह बने रहने की ख्वाहिश नहीं छोड़ पाती. ऐसी मायें बस इस भरोसे पर ही अपनी उम्मीदें बुलंद कर पाती हैं कि, गोद भले ही सूनी हो जाये, लेकिन उसके […]

भागलपुर : चाहे-अनचाहे भी एक मां अपने जिगर के टुकड़े को यतीम तो छोड़ देती है, लेकिन जुदा होके भी उसकी हर सांस के लिए खैरख्वाह बने रहने की ख्वाहिश नहीं छोड़ पाती. ऐसी मायें बस इस भरोसे पर ही अपनी उम्मीदें बुलंद कर पाती हैं कि, गोद भले ही सूनी हो जाये, लेकिन उसके लाल की जिंदगी सलामत रहे और उसे कोई पालनहार मिल जाए. सरकार की ओर से ऐसे परित्यक्त मासूमों के लिए जिलेभर में 9 पालना घर तो बने, लेकिन इन्हें इतनी भीड़भाड़ और लोगों की बीच रखा गया है कि, महीनेभर गुजर जाने के बाद भी किसी मासूम की किलकारी नहीं गूंजी.

एेसे में अक्सर ही ऐसी बेवश मायें कभी झाड़ियों में तो कभी नालियों में अपने नवजात को छोड़ आती हैं. समाज से छिप-छिपाकर अपने बच्चों को त्यागने वाली मांओं के लिए मुसीबत यह है कि, वह इतनी सुरक्षा और लोगों के बीच रखे पालने तक अपने नवजात को कैसे पहुंचाए. और पहुंचाए भी तो वह समाज का सामना कैसे करे.
सदर अस्पताल में गेट पर ही लगा है पालना : सदर अस्पताल के सर्जरी विभाग के गेट पर ही पालना लगा दिया गया है. जहां यह लगा है, वहां हमेशा ही मरीजों व उनके परिजनों की चहल-पहल बनी रहती है. ऐसे में सदर अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचने वाली महिलाएं अब इसे अपने बच्चों को झुलाने के काम लाती हैं.
पालना की कैसे होगी उपयोगिता : महानगरों में पालना की सुविधा सरकार देती है. यह अस्पताल या अनाथालय के दरवाजे पर लगा होता है. पालना पूरी तरह से कवर रहता है. इसे लेकर सरकार का उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा फेंके न जाएं. पालना में अगर कोई बच्चे को रखकर जाता है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकती. पालना के ऊपर एक घंटी लगी होती है, जिसकी आवाज अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी व अनाथालय के पास गूंजती है. बच्चा रखने के बाद इसे बजा दिया जाता है, जिससे लोग समझ जाएं कि कोई नवजात आया है.
नौ जगहों पर बनाये गये हैं पालना : जिले में नौ जगहों पर अब तक पालना की सुविधा उपलब्ध कराया गया है. वर्तमान में सदर अस्पताल, नाथनगर, सुलतानगंज, कहलगांव, नवगछिया, रामानंदी देवी हिंदू अनाथालय, पीरपैंती समेत नौ जगहों पर लगाया गया है. मायागंज अस्पताल में जल्द ही इसे लगाया जायेगा. अब तक इन जगहों पर एक भी बच्चा नहीं रखा गया है.
ट्रेन की सीट के नीचे मिला था नवजात
पिछले माह मई में भागलपुर रेलवे स्टेशन पर रात में एक ट्रेन की सीट के नीचे रोता हुआ नवजात मिला था. चाइल्डलाइन की टीम पहुंची. बच्चे को पैरालाइसिस की शिकायत थी. इलाज कराया गया. फिलहाल वह बच्चा नाथनगर अनाथालय में पल रहा है.
भागलपुर सेंट्रल जेल के सामने तीन-चार माह पूर्व एक नवजात मिला था. उसे कुछ लोगों ने मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां से बच्चे की चोरी हो गयी थी. समाचारपत्रों में लगातार खबर छपने के बाद पुलिस सक्रिय हुई. फिर बच्चा मिला. उसे नाथनगर अनाथालय के सुपुर्द किया गया.
तीन-चार महीने पहले की यह घटना है. लैलख के एक खेत में कोई नवजात के होने की खबर जंगल में आग की तरह फैल गयी थी. इसकी सूचना किसी ने चाइल्डलाइन को दी. संस्था के सदस्य वहां पहुंचे. बच्चे को नाथनगर अनाथालय में रखा गया. हालांकि बच्चा जिंदा नहीं बच पाया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें