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फोटो धुंधली, बिखरे पन्ने पेज की मोटाई भी गड़बड़
भागलपुर : शिक्षा विभाग ने इस वर्ष सरकारी स्कूल के छात्रों को किताब खरीदने के लिए सीधे अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दिये हैं. पहली से आठवीं तक के छात्र शहर के बुक स्टॉल से किताब की खरीदारी कर रहे हैं. किताब की खरीदारी करने के बाद छात्र व अभिभावक शिकायत कर रहे हैं कि […]
भागलपुर : शिक्षा विभाग ने इस वर्ष सरकारी स्कूल के छात्रों को किताब खरीदने के लिए सीधे अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दिये हैं. पहली से आठवीं तक के छात्र शहर के बुक स्टॉल से किताब की खरीदारी कर रहे हैं. किताब की खरीदारी करने के बाद छात्र व अभिभावक शिकायत कर रहे हैं कि किताब की क्वालिटी पहले से बदतर है.
किताब की प्रिंटिंग में कई पेज धुंधले हैं. किताब में प्रिंटेड एक भी चित्र स्पष्ट व साफ सुथरा नहीं दिखता. किताब की छपाई में घटिया रंगों का प्रयोग किया गया है, जो पेज पर इधर-उधर फैल गये हैं. टीएनबी कॉलेजिएट स्कूल के आठवीं के छात्र रूपेश के अभिभावक दिलीप साह ने बताया कि इससे बेहतर क्वालिटी की किताबें पिछली कक्षा में मुफ्त मिली थी. इस बार बुक स्टॉल को पैसे देने के बावजूद हमें घटिया किताबें दी जा रही है. जब इसकी शिकायत स्कूल के शिक्षकों से की गयी, तो उन्हाेंने कहा कि जिला शिक्षा कार्यालय जाकर लिखित शिकायत करें. इस बार डायरेक्ट पटना से किताब छपकर दुकानों तक पहुंच रही है. बिहार राज्य पाठ्य पुस्तक प्रकाशन निगम लिमिटेड पटना की निगरानी में किताब का प्रकाशन हो रहा है.
डीइओ ने कहा, सरकार को देंगे पूरी सूचना. जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीइओ) मधुसूदन पासवान ने बताया कि कई शिक्षकों ने बाजार में घटिया किताबों की बिक्री की बात बतायी है. सरकार को इसकी लिखित सूचना देकर कार्रवाई का आग्रह करेंगे.
पेज की मोटाई 70 की बजाय 40 जीएसएम
रेलवे स्टेशन चौक के निकट एक बुक स्टॉल के संचालक ने बताया कि बाजार में नकली किताबों की भरमार है. शिक्षा विभाग ने प्रकाशकों को निर्देश दिया है कि कक्षा एक से आठ तक की किताबों के पेज की मोटाई 70 जीएसएम होनी चाहिये. प्रकाशन में अच्छी क्वालिटी के रंगों का प्रयोग किया जाये. बुक स्टॉल संचालक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि भागलपुर समेत पूरे बिहार में 40-50 जीएसएम मानक की नकली किताबों की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. पेज को देखने के बाद ही सारी सच्चाई सामने आ रही है.
लोगों को भ्रमित करने के लिए किताब पर 70 जीएसएम लिख दिया गया है. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा तय कीमत पर छात्र किताब खरीद रहे हैं, जबकि बेहतर क्वालिटी की किताबें उन्हें नहीं मिल रही है. बच्चों का कहना है कि पेज इतना कमजोर है कि किताबें तीन माह भी मुश्किल से नहीं चलेगी. किताबों को 20-25 बार पलटने के बाद इसके पेज फट जायेंगे. छात्रों ने बताया कि किताब की काली स्याही छूटकर हाथ में भी लग रही है.
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