भागलपुर : पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा अस्पताल में रोजाना आठ सौ से एक हजार मरीज इलाज को पहुंचे हैं. गंभीर रोगियों के लिए सरकार की ओर से यहां पांच एंबुलेंस उपलब्ध है. पांच में से दो का प्रयोग शव वाहन के तौर पर होता है. मरीज इस सुविधा का प्रयोग टोल फ्री नंबर पर कॉल कर ले सकते हैं. यह अलग बात है कि टोल फ्री नंबर-102 कभी लगता ही नहीं है. हां, जिनके पास पैरवी है वह इस सेवा का लाभ उठा सकता है. वह भी तब, जब सरकारी रेट दस रुपये प्रति किलोमीटर से दो रुपये ज्यादा, यानि 12 रुपये प्रति किमी की दर से भुगतान करे.
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एंबुलेंस का सरकारी रेट 10 रुपये किमी मरीज के परिजन से वसूले जा रहे 12 रुपये
भागलपुर : पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा अस्पताल में रोजाना आठ सौ से एक हजार मरीज इलाज को पहुंचे हैं. गंभीर रोगियों के लिए सरकार की ओर से यहां पांच एंबुलेंस उपलब्ध है. पांच में से दो का प्रयोग शव वाहन के तौर पर होता है. मरीज इस सुविधा का […]
पांच एंबुलेंस में से एक अल्सा एंबुलेंस है, जोकि हाइटेक सुविधाओं से लैस है. एक एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस भी उपलब्ध है. अस्पताल प्रबंधन की ओर से गरीबों के लिए यह सुविधा मुफ्त है, जबकि सामान्य मरीजों को इस सुविधा के लिये भुगतान करना होता है.
एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस है दो दिनों से खराब…
एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से लैस है. इसमें जीवन रक्षक उपकरणों के साथ साथ नर्स और डॉक्टर भी मरीजों के साथ जाते हैं. जिससे रास्ते में मरीज को किसी भी तरह की जरूरत हो तो, वह आसानी से उपलब्ध कराया जा सके. लेकिन यह एंबुलेंस पिछले तीन दिनों से खराब है. वहीं शव वाहन की संख्या अस्पताल में दो है. इसमें एक वाहन की स्थिति खराब है. इसे मायागंज अस्पताल में ही ज्यादातर रखा जाता है. दूसरे वाहन का प्रयोग ज्यादा किया जा रहा है. वहीं एक एंबुलेंस 102 सेवा के तहत मायागंज अस्पताल को सरकार की ओर उपलब्ध कराया गया है. कुछ माह पहले वाहन आने के कारण यह अभी तक बेहतर हालत में है.
102 नंबर पर फोन लगता ही नहीं…
मरीजों के लिए 102 टोल फ्री नंबर हाथी दांत ही साबित हो रहा है. लाख प्रयास के बाद भी यह नंबर नहीं लगता है. किसी तरह अगर यह नंबर लग जाये और सुविधा उपलब्ध हो जाये तो समझो लॉटरी लग गयी.
रोज होती है शव वाहन की मांग…
मायागंज अस्पताल में इलाज के दौरान मरीज की मौत होने पर अस्पताल प्रबंधन शव वाहन की सुविधा उपलब्ध कराता है. दो एंबुलेंस ही सिर्फ होने के कारण परिजनों को काफी परेशानी होती है. शव वाहन नहीं मिलने के कारण मृतक के परिजन ऑटो समेत अन्य साधन से मरीजों को अस्पताल से लेकर जाते हैं.
12 रुपये प्रति किमी लगेगा भाड़ा, साथ में चाय-नाश्ता भी चाहिये
अस्पताल में चलने वाले एंबुलेंस की सुविधा की जिम्मेदारी ड्राइवर पर है. अस्पताल प्रबंधन ने प्रति किलोमीटर की दर से भाड़ा तय कर दिया है. लेकिन यह नियम ड्राइवर के आगे नतमस्तक हो जाता है. एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस के ड्राइवर से जब पटना चलने का आग्रह किया गया, तो पहले तो उसने जाने से मना कर गया. लेकिन बाद में कुछ ले देकर चलने को तैयार हो गया. साथ ही शर्त यह कि, गाड़ी पहले ठीक हो जाने दें. तब तक आप अपने मरीज को मायागंज अस्पताल में भर्ती करा लें. भाड़ा 12 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से लगेगा. इसमें किसी तरह की रियायत की उम्मीद न करे. वहीं शव वाहन के चालक ने स्पष्ट रूप से कहा कि पहले पैसा लेकर रजिस्ट्रेशन मायागंज अस्पताल में कर करा लें. इसके बाद जाना कहा है ये बतायें, पहुंचा देंगे पर भाड़ा सरकारी दर 12 रुपये के हिसाब से लगेगा. बाकी चाय-नाश्ता के साथ आप कुछ से दे सकते हैं.
क्या कहते हैं अस्पताल मैनेजर
अस्पताल मैनेजर इरफान कहते हैं, गरीबों को एंबुलेंस की सुविधा मुफ्त दी जाती है. इसके लिए उनको लाल, पीला कार्ड के साथ-साथ अन्य कागजात दिखाने होते हैं. सामान्य लोगों के लिए दस रुपये प्रति किलोमीटर की दर से भाड़ा वसूला जाता है. शव वाहन की मांग ज्यादा है इस वजह से परेशानी होती है, लेकिन व्यवस्था करने का प्रयास किया जाता है. 102 एंबुलेंस कुछ महीने पहले मिला है. हमारा प्रयास रहता है कि मरीज और मृतक को ज्यादा से ज्यादा यह सेवा प्रदान करें.
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