भागलपुर : मालदा रेल डिवीजन का सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला स्टेशन है भागलपुर. यहां से रोजाना एक लाख से ज्यादा यात्री आवागमन करते हैं. जब कभी भी इस स्टेशन के विकास की बात होती है, तो सभी खुश होते हैं. मगर, हाल यह है कि विकास के नाम पर सिर्फ बातें होती हैं. आधे अधूरे मन से विकास की बात की जाती है. परिणामस्वरूप कोई काम नहीं होता.
बता दें कि चार साल पहले तत्कालीन डीआरएम रविंद्र गुप्ता ने स्टेशन के दक्षिण में प्रवेश द्वार और टिकट काउंटर के लिए भवन निर्माण की घोषणा की थी. इस दौरान तय हुआ कि वहां के कुछ क्वार्टरों को तोड़ कर जगह बनाया जायेगा. इनमें रहनेवाले कर्मियों के लिए तिलकामांझी स्थित शीला भवन के पास आवास (रेल कुंज) बनाने की भी घोषणा की गयी. यहां 24 क्वार्टर बनने थे. घोषणा के बाद रेलवे स्टेशन के क्वार्टर तोड़ दिये गये. वहां रहनेवाले कर्मियों को वहां से हटना पड़ा, पर आज तक न तो रेल कुंज पूरी तरह बन पाया और न ही रेलवे स्टेशन पर दक्षिणी द्वार. हालत यह है कि आज वहां से हटाये गये रेलकर्मी इधर-उधर रहने को बाध्य हैं.
आधे-अधूरे मन से विकास की बात करते हैं रेलवे के आला अधिकारी
भवन का नक्शा बना कर स्वीकृति को कोलकाता भेजने में लगाया चार साल
चार साल बाद भी जो हालत है
चार साल लग गये नक्शा बनाने और स्वीकृति के लिए कोलकाता भेजने में : स्टेशन के दक्षिण में प्रवेश द्वार व टिकट काउंटर के लिए भवन का नक्शा बनाने में रेलवे ने चार साल लगा दिये. कुछ दिन पहले ही नक्शा बना कर उसे स्वीकृति के लिए इस्टर्न रेलवे, कोलकाता भेजा गया है. जानकारों के अनुसार जब यह स्वीकृत होकर आयेगा, तो प्रवेश द्वार खोलने की तैयारी शुरू होगी.
अब भी है पेच : इस मामले में अब भी पेच फंसा हुआ है. जानकारी के अनुसार जिस दक्षिणी द्वार बनाने के लिए शेष क्वार्टर भी तोड़ने होंगे. अब यहां के लोगों का कहना है कि पहले जिनको हटाया गया है, उनको बसायें फिर हमें हटायें. अब रेल प्रशासन इस परेशानी में है कि जल्द रेल कुंज बन कर तैयार हो, ताकि पहले हटाये गये कर्मियों को वहां रखा जा सके और अन्य क्वार्टर तोड़े जा सकें.
एक नजर में रेल कुंज
चार साल पहले 26 दिसंबर 2013 को रेल कुंज का शिलान्यास तत्कालीन डीआरएम रवींद्र गुप्ता ने तिलकामांझी स्थित शीला भवन (छोटी लाइन) के नजदीक किया था. इसमें 24 क्वार्टर बनने हैं, जबकि अभी सिर्फ 12 क्वार्टर बने हैं.
यह होगा प्रवेश द्वार का फायदा
स्टेशन के दक्षिण में अगर प्रवेश द्वार और टिकट काउंटर बनेगा, तो सबसे ज्यादा फायदा दक्षिणी शहर को होगा. यही नहीं, झारखंड बॉर्डर से सटे बांका, गोड्डा, हंसडीहा, दुमका आदि जिले के लोगों को भागलपुर स्टेशन पहुंचने में सहूलियत होगी.