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चींटी की चाल से आ रहीं किताबें

भागलपुर: जिले के सरकारी स्कूलों में किताबें पहुंचनी शुरू हो गयी है, लेकिन प्रखंड संसाधन केंद्र में जिस रफ्तार से किताबें पहुंच रही है, उससे नहीं लगता कि नये सत्र में बच्चे किताबों के साथ स्कूल जा पायेंगे. अब तक सुलतानगंज, शाहकुंड व कहलगांव में केवल हिंदी की किताबें ही पहुंच पायी हैं. बिहार शिक्षा […]

भागलपुर: जिले के सरकारी स्कूलों में किताबें पहुंचनी शुरू हो गयी है, लेकिन प्रखंड संसाधन केंद्र में जिस रफ्तार से किताबें पहुंच रही है, उससे नहीं लगता कि नये सत्र में बच्चे किताबों के साथ स्कूल जा पायेंगे. अब तक सुलतानगंज, शाहकुंड व कहलगांव में केवल हिंदी की किताबें ही पहुंच पायी हैं. बिहार शिक्षा परियोजना, भागलपुर के पाठ्य पुस्तक प्रभारी की ओर से राज्य मुख्यालय को पांच लाख 58 हजार 745 पुस्तकों का मांग-पत्र भेजा गया था.

जून से शुरू होगा नया सत्र : शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के निर्देश पर इस बार राज्य के सभी स्कूलों में 2013-14 सत्र को दो माह बढ़ा दिया गया था. बच्चों के शैक्षणिक स्तर को मजबूत करने के लिए इस दो माह में बच्चों को पिछली कक्षा की किताबें ही पढ़ाने का निर्देश दिया गया था. अब जून में नयी कक्षाओं में बच्चे चले जायेंगे. इसमें महज तीन सप्ताह का समय रह गया है. ऐसे में किताबें नहीं आयी, तो संकट होगा.

पिछले साल महीनों बाद आयी थीं किताबें : पिछले साल पांच लाख 61 हजार बच्चों के लिए जिले से किताबों की मांग की गयी थी. सत्र शुरू होने के बाद पांच महीने तक किताबों का पहुंचना जारी रहा. सत्र शुरू होने के डेढ़ माह तक किताबें आयी ही नहीं थीं. इस बार सत्र विलंब किये जाने के बाद भी किताबों के पहुंचने में विलंब हो रहा है.

किताबें मिली
सुलतानगंज को हिंदी की 12,891 सेट किताबें मिली हैं. इसमें पहली, छठी व आठवीं की किताबें शामिल नहीं हैं. मिश्रित व उर्दू की किताबों का आना तो अभी बाकी ही है. कहलगांव में पांचवीं व छठी कक्षा की हिंदी की ही किताबें आयी हैं. इसी तरह शाहकुंड में दूसरी व छठी कक्षा की किताबें ही आयी हैं.

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