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दामाद व उसके भाइयों ने दहेज के लिए मार डाला

भागलपुर : मीनू सिंह की मौत पर उसके पिता ने बुधवार को अपने दामाद व उसके भाइयों पर हत्या का आरोप लगाया है. इसके पहले उसके पति ने मौत की वजह विवाहेतर संबंध बताया था. मीनू सिंह के पिता ने आरोप लगाया कि उसके दामाद (मृतका मीनू सिंह के पति राजीव रंजन सिंह) व उसके […]

भागलपुर : मीनू सिंह की मौत पर उसके पिता ने बुधवार को अपने दामाद व उसके भाइयों पर हत्या का आरोप लगाया है. इसके पहले उसके पति ने मौत की वजह विवाहेतर संबंध बताया था. मीनू सिंह के पिता ने आरोप लगाया कि उसके दामाद (मृतका मीनू सिंह के पति राजीव रंजन सिंह) व उसके दाे भाइयों ने उसकी बेटी को दहेज के लोभ में मार डाला. उसकी इज्जत को नीलाम कर डाला.
मीनू के पिता आवेदन पर इशाकचक पुलिस ने राजीव रंजन सिंह व उसके दो भाइयों के खिलाफ हत्या, हत्या की साजिश रचने समेत विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस को दिये आवेदन में मृतका के पिता सतीश चंद्र सिंह निवासी तेवाचक थाना धोरैया जिला बांका ने बताया कि वे वर्तमान में सीतामढ़ी जिले के भिट्ठा मोड़ ओपी थाना अध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं. उन्हाेंने अपनी बेटी मीनू सिंह की शादी साल 2005 में इशाकचक निवासी राजीव रंजन सिंह के साथ की थी. शादी के दो साल तक दोनों का दांपत्य जीवन हंसी-खुशी के साथ बीता. इस दौरान दोनों से दो बेटे युवराज (दस वर्ष) व राजवीर (चार वर्ष) पैदा हुए.
दो माह पहले दामाद ने मांगा था पांच लाख रुपये, नहीं दिया तो बेटी काे मारने-पीटने लगा. आवेदन के जरिये सतीश चंद्र सिंह ने बताया कि शादी के बाद उनका दामाद राजीव रंजन सिंह कभी नकदी-सोने की चेन तो कभी गाड़ी खरीदने के नाम पर रुपये की डिमांड करने लगा.
दो माह पहले राजीव रंजन सिंह ने पांच लाख रुपये की डिमांड की. कुछ दिन बाद मेरी पत्नी से बेटी ने कहा कि मम्मी राजीव को पांच लाख रुपये क्यूं नहीं दे रही हो. इसके लिए हर रोज मुझे मारता-पीटता है. जान से मारने की धमकी देता है. पत्नी द्वारा बताये जाने पर सतीश सिंह ने दामाद राजीव रंजन सिंह से बात किया तो उसने फोन पर ही गाली देने लगा और धमकी दिया कि आपकी बेटी को हम एेसा बदनाम करने के बाद जान से मारेंगे कि आपकी कहीं इज्जत नहीं रहेगी.
बकौल सतीश चंद्र सिंह, 13 मार्च को दोपहर बाद 1:24 बजे जब वे अपने थाना कार्यालय में ड्यूटी कर रहे थे. इसी दौरान उनके पास राजीव रंजन ने उन्हें फोन करके बोला कि आपकी बेटी का काम तमाम हो गया है. आप लाश ले जाइए. मैंने पुलिस व मीडिया को सूचना दे दी है. कल आप मीडिया में अपने इज्जत की नीलामी देख लिजिएगा.
राजीव रंजन समेत तीन के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज. सतीश चंद्र सिंह की तहरीर पर बुधवार को इशाकचक थाने में राजीव रंजन सिंह व उसके दो भाई क्रमश: संजीव सिंह व आलोक रंजन सिंह उर्फ पमपम सिंह के खिलाफ धारा 413, 302, 120 बी, 34 आइपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया है.
इशाकचक थानाक्षेत्र के विषहरी स्थान गली में जमीन कारोबारी राजीव रंजन सिंह के घर के कमरे में मंगलवार की दोपहर में उसकी पत्नी मीनू सिंह (32 वर्ष) मृत अवस्था में पायी गयी थी. मौत के बाबत मृतका के पति राजीव रंजन सिंह ने बताया था कि जीरोमाइल स्थित अपने गांव से पेमेंट लेकर घर आया तो देखा कि उसकी पत्नी के कमरे का दरवाजा बंद है. आवाज लगायी तो कुछ भी रिस्पांस नहीं मिला.
जब कमरे का दरवाजा नहीं खुला तो उसे अाशंका हुई. उसने कमरे की खिड़की में लगे शीशे को तोड़कर देखा तो देखा कि उसकी पत्नी दुपट्टे से बने फंदे में झूल रही है. लाश के पास से मीनू का मोबाइल बरामद किया. जिसमें व्हाट्सअप पर लिखी आखिरी चैट में मीनू ने अपने प्रेमी शशि को जिंदगी बर्बाद करने का जिम्मेदार बताया था. इसी चैट में उसने जान देने की भी बात कहीं थी.
घर बनाने के लिए लिया दो किस्त में लिया था 90 हजार रुपये. बकौल सतीश चंद्र सिंह, करीब एक साल पहले उनके दामाद राजीव रंजन सिंह ने उनसे दो बार में क्रमश: 50 व 40 हजार रुपये लिया था. इसके अलावा उसने कई बार नकदी आदि की डिमांड की थी.
मीनू के पिता ने यह दिया तर्क
फांसी लगने पर मृतक की जीभ दाये या बाएं (अमूमन बाएं) निकल जाता है. जबकि बेटी की जीभ बाहर नहीं निकली थी.
आत्महत्या करने वाले के गर्दन के ठीक पीछे फंदा खींचने के कारण ‘V’ शेप का निशान बनता है. जबकि बेटी के गले के पीछे राउंड निशान बना हुआ था.
अगर बेटी ने दुपट्टे का फंदा लगाया था तो गले पर खिंचाव का निशान थोड़ा चौड़े में पड़ना चाहिए था. लेकिन बेटी के गले पर निशान रस्सी जैसी चीज से कसने का निशान है.
बेटी की हाइट के अनुसार, बेड पर कुर्सी रखने के बावजूद उसका हाथ पंखे तक नहीं पहुंच सकता था. फिर बेटी ने फांसी कैसे लगायी.
दूसरा कुर्सी पर खड़ी होने के बाद जिस दुपट्टे से फंदा बनाकर फांसी पर लटकने की बात कहीं जा रही है.
अगर उसको सच मान लिया जाये तो फंदा इतना लंबा और फ्लेक्सिबल था कि अगर बेटी उस पर झूलती तो उसके वजन के दबाव के बाद उसका पैर बेड तक आ पहुंचता. फिर गले पर कसाव बढ़ने के बाद वह छटफटाहट में फांसी नहीं लगाती.
जिस कमरे में मीनू द्वारा फांसी लगाये जाने की बात कहीं जा रही है. उसमें दो दरवाजे हैं. जिनमें से एक खुला हुआ था. फिर दरवाजा तोड़ने की जरूरत क्या थी.
दामाद द्वारा यह कहना कि मीनू ने मौत वाली सुबह बेटे के लिए टिफिन बनाया था और उसे भी खाने के लिए बोली थी. वह बहुत हंस-बोल रही थी. यह कैसे संभव है कि कोई प्रेम संबंध के कारण तनाव में हो आैर उसने आत्महत्या करने का मन बना लिया हो, आैर उसके चेहरे पर तनाव का कोई निशान न हो.

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