भागलपुर : मायागंज हॉस्पिटल के इमरजेंसी स्थित पीडियाट्रिक्स वार्ड में रेडिएंट वार्मर रूम बनकर पूरी तरह से तैयार है. हर रोज तीन से चार नवजात लो बर्थ वेट, प्री मेच्योर व हाइपोथर्मिया के शिकार नवजात इमरजेंसी के पीडियाट्रिक्स वार्ड में भर्ती हो रहे हैं. और यहां के इकलौते रेडिएंट वार्मर के खाली होने का इंतजार कर रहे हैं. बावजूद इस रूम में रखा जाने वाला आधा दर्जन रेडिएंट वार्मर का अब तक कोई पता नहीं चल रहा है. हॉस्पिटल सूत्रों की माने तो आधा दर्जन रेडिएंट वार्मर की खरीदारी के लिए आॅर्डर दिया जा चुका है. लेकिन इसके रेडिएंट वार्मर रूम तक पहुंचने के लिए अभी एक माह का वक्त लगेगा.
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रूम तैयार, रेडिएंट वार्मर का पता नहीं
भागलपुर : मायागंज हॉस्पिटल के इमरजेंसी स्थित पीडियाट्रिक्स वार्ड में रेडिएंट वार्मर रूम बनकर पूरी तरह से तैयार है. हर रोज तीन से चार नवजात लो बर्थ वेट, प्री मेच्योर व हाइपोथर्मिया के शिकार नवजात इमरजेंसी के पीडियाट्रिक्स वार्ड में भर्ती हो रहे हैं. और यहां के इकलौते रेडिएंट वार्मर के खाली होने का इंतजार […]
पीजी शिशु रोग विभाग जेएलएनएमसीएच के अध्यक्ष डॉ आरके सिन्हा बताते है कि समय से पूर्व जन्मे नवजात (प्री मेच्योर इन्फैंट)का शरीर बाहर के तापमान से सामंजस्य नहीं बैठा पाता है. उन्हें रेडिएंट वार्मर में रखा जाता है. इस समय पीजी शिशु रोग विभाग में कुल मौजूद रेडिएंट वार्मर में से 11 से 12 रेडिएंट वार्मर चालू अवस्था में है. जबकि यहां पर हर रोज करीब लो वेट बर्थ, प्री मेच्योर नवजात व हाइपोथर्मिया के शिकार 15 से 16 नवजात शिशु इलाज के लिए भर्ती होते हैं.
हॉस्पिटल जूझ रहा दवा की कमी से, मरीज परेशान
मायागंंज हॉस्पिटल समेत सूबे के सभी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को दवा आपूर्ति करने वाले बीएमएसआइसीएल (बिहार मेडिकल स्टेट इंफ्रास्ट्रक्चर कारपोरेशन लिमिटेड) के स्टाक में करीब 40 प्रतिशत दवाएं ही हैं. इसके अलावा मायागंज हॉस्पिटल की ओपीडी में भी 17 प्रतिशत दवा ही है. इसका परिणाम यह हो रहा है कि अधिकांश मरीज मायागंज हॉस्पिटल में अपना जांच-इलाज तो करा रहे हैं लेकिन दवा बाहर से खरीद कर खा रहे हैं. बीएमएसआइसीएल की दवा सूची में कुल 112 प्रकार की दवा है. लेकिन आज की तारीख में इसके पास सिर्फ 39 प्रकार की दवाएं एवं इंजेक्शन हैं. इनमें से बेहोशी का इंजेक्शन डाइजीपाम, मिडाजोल, लाइफ सेविंग इंजेक्शन एडलोनिन, इफेड्रिन, उच्च एंटीबायोटिक इंजेक्शन वीकोमाइसिन, एंटीबॉयोटिक मलहम फ्यूसीडिक, प्रोटीन की कमी की पूर्ति में इस्तेमाल किया जाने वाला इमाइनो एसिड, उल्टी की दवा आंडेस्ट्रान, मेटाजिल सीरप, मिर्गी की दवा सूर्यमवॉल्प्रोवेट की दवा है नहीं है. मायागंज हॉस्पिटल प्रशासन दवा की कमी को पूरा करने के लिए बीएमएसआइसीएल को पत्र भेजा तो पता चला कि बीएमएसआइसीएल के पास भी करीब 40 प्रतिशत दवा है.
दवा की कमी को पूरा करने के लिए अब स्थानीय स्तर पर खरीदारी की जायेगी. इसके अलावा जिन दवाओं की जरूरत है उसकी सूची भी बीएमएसआइसीएल को भेजी जा चुकी है. पूरा प्रयास होगा कि मरीज को अधिकांश दवाएं मायागंज हॉस्पिटल से ही उपलब्ध करायी जा सके.
डॉ आरसी मंडल, अधीक्षक जेएलएनएमसीएच भागलपुर
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