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लगा कि जैसे अब नहीं बच पायेंगे, तो नाव से गंगा में कूदने लगे हमलोग
भागलपुर : सबौर के रजंदीपुर घाट के समीप गंगा के बीच धार में डूबी नाव से छह बच्चे बचाये गये. बचाये गये बच्चों में शामिल दो बच्चों ने जो उस खौफनाक मंजर को बयां किया, वह किसी को भी हिलाकर रख देनेवाला था. बच्चों ने कहा कि अब दोबारा ऐसा काम नहीं करेंगे. हादसे से […]
भागलपुर : सबौर के रजंदीपुर घाट के समीप गंगा के बीच धार में डूबी नाव से छह बच्चे बचाये गये. बचाये गये बच्चों में शामिल दो बच्चों ने जो उस खौफनाक मंजर को बयां किया, वह किसी को भी हिलाकर रख देनेवाला था. बच्चों ने कहा कि अब दोबारा ऐसा काम नहीं करेंगे.
हादसे से बचे बच्चों ने बताया: पहले वाली नाव से पांच लड़के गये थे. हमलोग दूसरी नाव से जा रहे थे. जैसे-जैसे हमारी नाव बीच धार की तरफ जा रही थी, करंट बढ़ता जा रहा था और पानी में उछाल भी. जब बीच धार में पहुंचे, तो नाव में ऊपर से पानी घुसने लगा.
जब पानी काफी भर गया, तो नाव एक तरफ झुकने लगी. हमलोग समझ गये कि अब नाव डूब जायेगी. इसके बाद तो कोई किसी को कुछ क्या पूछता, बस एक ही उपाय था कि गंगा में कूद कर जान बचाना है. जो जहां बैठे थे, वहीं से गंगा में छलांग लगा दी.
जिसको जिधर दांव लगा, उसी तरफ तैर कर बढ़ने लगे. पता ही नहीं चल रहा था कि हम नौ में से कितने बच्चे सुरक्षित हैं. तैरते हुए हमलोग रजंदीपुर घाट की तरफ नाव पर खड़े नाविकों को बुलाने के लिए चिल्लाने लगे. दो नाविकों ने हमारी आवाज सुनी कि नहीं सुनी, पता नहीं. लेकिन वे हमारी तरफ आने लगे. तब थोड़ी आस जगी कि अब बच जायेंगे.
लेकिन गंगा में करेंट इतना तेज था कि हमलोग तैर कर घाट की तरफ बढ़ना चाहते तो थे, पर करेंट हमलोगों को अपनी धार में बहा देता था. नाविक को आते देख हिम्मत बढ़ती, पर करेंट से मुकाबला करना मुश्किल होने लगा. लगा अब जान चली ही जायेगी. लेकिन तब तक नाव करीब आ गया और हमें नाव पर बैठा लिया गया. ठंड से हालत खराब हो गयी थी. लगा कि कंपकपी जान ले लेगी. घाट पर गांव के लोगों ने अलाव जलाया. बहुत देर के बाद समझ में आया कि अब बच गये.
दो तैरना सीख रहे थे, एक को तैरना नहीं आता : बचाये गये बच्चों ने बताया कि उनके जो तीन दोस्त डूब गये हैं, उनकी काफी चिंता हो रही है. उनमें दो लड़के तो हाल में तैरना सीख ही रहे थे. ठीक से तैर नहीं पाते थे. तीसरे लड़के को तो तैरना ही नहीं आता था. बचाये गये बच्चों को इस बात की फिक्र हो रही थी कि दोस्त करेंट से कैसे लड़ पाये होंगे.
पचास रुपये लगा था चंदा, बनना था पूरी, खीर, सब्जी व सेवई
गंगा में करंट बहुत तेज था. जब हमलोग बीच धार में पहुंचे, तो नाव एक तरफ झुकने लगी. फिर डूब गयी. हमलोगों ने एक दिन पहले ही 50-50 रुपये का चंदा कर 700 रुपये जमा किये थे और इसके बाद तीन किलो आटा, आधा किलो चीनी, एक लीटर सरसों तेल, टमाटर, मटर और आलू खरीदे थे. दूध भी खरीद लिये थे. सिलिंडर में गैस भी भरा लिये थे. पूरी, खीर, सब्जी और सेवई बनाने का प्लान था. लेकिन नाव डूब गयी. अब पहले हमारे तीन दोस्त मिल जाये, तभी चैन आयेगा.
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