भागलपुर : प्रखंडों के स्कूलों में तो शिक्षा व्यवस्था बदहाल है ही, जिला मुख्यालय के सरकारी प्रारंभिक स्कूलों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है. स्कूलों में न तो बच्चे पहंुच रहे हैं न गुणवत्ता पूर्ण िशक्षा मिल रही है. बुधवार को प्रभात खबर के चार रिपोर्टरों ने जिला मुख्यालय स्थित चार स्कूलों की औचक पड़ताल की. हर स्कूल बच्चों को बैठाने के लिए बेंच-डेस्क का रोना रो रहे है. सर्दी का मौसम है, लेकिन बच्चों को इसमें भी नीचे फर्श पर दरी बिछाकर पढ़ना पड़ रहा है.
स्कूलों में एक या दो शिक्षक छुट्टी पर पाये गये. बच्चे फील्ड पर मस्ती करते देखे गये, तो जान जोखिम में डालकर जुगाड़ टेक्नोलॉजी से छत पर टंकी में पानी भरते देखे गये. सवाल उठना लाजिमी है कि पड़ोस में स्थित शिक्षा विभाग जब जिला मुख्यालय के स्कूलों की निगरानी नहीं कर पा रहा, तो ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों की क्या स्थिति होगी.
15 बच्ची कर रही थी पढ़ाई, 10 मैदान में, 25 अनुपस्थित
स्कूल में दो कक्ष हैं. दोनों बंद पाये गये. पूछने पर पता चला कि छत पर पढ़ाई हो रही है. छत पर पहुंचे तो गुनगुनी धूप में बैठ बच्चे पढ़ रहे थे. पहली से पांचवीं कक्षा तक की 15 छात्राएं छत पर पढ़ रही थी. प्रिंसिपल कुमारी जागृति खुद बच्चों को पढ़ा रही थीं. शिक्षिका शांति शर्मा भी वहां मौजूद थीं. प्रिंसिपल ने बताया कि स्कूल में कुल 50 बच्चे नामांकित हैं. 15 यहां मौजूद थे. छत से ही मैदान को दिखाते हुए उन्होंने कहा कि 10 बच्चे वहां खेल रहे हैं. बातचीत में शिक्षक अशोक यादव भी छत पर पहुंच चुके थे. प्रिंसिपल ने बताया कि दो शिक्षिका शिवानी मुखर्जी और सुनीता मिश्रा सीआरसी की बैठक में शामिल होने मदन लाल कन्या विद्यालय गयी हैं. उन्होंने बताया कि एनजीओ के द्वारा स्कूल में खाना भेज दिया गया है. एक बजे बच्चों को खाना दिया जाता है. उसके बाद बच्चों की पढ़ाई फिर शुरू हो जाती है.
उन्होंने कहा कि एक तो स्कूल में पहले से शिक्षकों की कमी रहती है. ऊपर से विभागीय बैठकों और अन्य विभागीय कार्यों के कारण स्कूल में शिक्षक नहीं रह पाते हैं.
आते हैं पढ़ने, मास्टर साहब भरवाते हैं टंकी में पानी
वर्ष 1939 में बने खंजरपुर स्थित भवानी कन्या मध्य विद्यालय में आठवीं कक्षा तक कुल 331 बच्चों में 195 बच्चे बुधवार को पढ़ाई कर रहे थे. 12 शिक्षकों में आठ शिक्षक (चार नियमित व इतने ही नियोजित) स्कूल में मौजूद थे. शेष चार शिक्षक अवकाश पर थे. क्लास में बिना बेंच-डेस्क के बच्चे दरी पर बैठ ठंड में भी पढ़ने को मजबूर दिखे. स्कूल में पीने का पानी निगम के सप्लाई पेयजल पर निर्भर है. इस कारण बीच में पढ़ाई छोड़ बच्चे स्कूल की छत पर रखी पानी की टंकी भरते हैं.
तभी बच्चों को मध्याह्न भोजन में पानी मिल पाता है. स्कूल में एक ही कमरे के आधे-आधे भाग में पहली व दूसरी कक्षा चल रही है. स्कूल के कंपाउंड में अवकाश वाले दिन रविवार को आसपास के लोग अपने शादी समारोह को लेकर बुकिंग कर लेते हैं. इसको लेकर स्कूल प्रशासन को भी आपत्ति नहीं होती, क्योंकि उस दिन क्लास नहीं होती है. हेडमास्टर देवानंद सिंह ने बताया कि कोयलाघाट के प्राथमिक विद्यालय भवन विहीन था, वहां के 42 बच्चे यहां शिफ्ट हो गये. नौनिहाल को बेंच-डेस्क के लिए पत्र लिखे हैं. भवन के कमरे जर्जर हैं, जिसे किसी तरह से मरम्मत कर दी गयी है.
दरी पर पढ़ाई, बिना खिड़की दरवाजे के क्लास रूम
प्राथमिक विद्यालय, रिफ्यूजी कॉलोनी (बरारी) के परिसर में बच्चे दरी बिछाकर बैठे थे. तीन महिला शिक्षक कुर्सी पर बैठी थीं. उनमें से एक प्राचार्य थीं. एक पुरुष टीचर बैंक गये थे. पूछने पर प्राचार्य रंजना कुमारी ने स्कूल के बारे में जानकारी दी. स्कूल में बच्चे की संख्या अधिक थी, लेकिन शुक्रवार के मुकाबले कम थी. वजह, शुक्रवार को मध्याह्न भोजन में अंडा दिया जाता है.
स्कूल में महिला शिक्षक रेणु भारती, वंदना कुमारी और हिमांशु कुमार हैं. स्कूल में बच्चे की संख्या 166 है. शुक्रवार को छोड़कर अन्य दिनों में छात्र-छात्राओं की संख्या 130 के लगभग रहती है. भागलपुर नगर क्षेत्र के वार्ड 28 के इस विद्यालय की स्थिति बहुत ही बदहाल है. 12 साल पहले चार क्लास रूम बना था.न खिड़की न ही दरवाजा, कमरे में प्लास्टर तक नहीं हुआ है. पुराने दो कमरे जर्जर हो चुके हैं. विद्यालय द्वारा परियोजना और बीइओ को पत्र लिखा गया है, लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं होती है.
एक शिक्षक छुट्टी पर, 90 फीसदी बच्चे बिना स्कूल ड्रेस के
मायागंज स्थित उर्दू प्राथमिक विद्यालय भगवान भरोसे चल रहा है. 181 बच्चों पर मात्र तीन शिक्षक ही पठन-पाठन करा रहे थे. क्लास बंद थी. बच्चे मध्याह्न भोजन खाने में लगे थे. यहां एक से पांच कक्षा तक की पढ़ाई होती है. तीन शिक्षक में एक शिक्षिका छुट्टी पर थी. जमीन पर ही बच्चे बैठ कर पढ़ाई करते हैं. 90 फीसदी बच्चों को ड्रेस नहीं था. बच्चों के पास किताब भी नहीं थी. विद्यालय में अंडे मिलनेवाले दिन रविवार को अन्य दिनों की तुलना में काफी भीड़ हो जाती है.
यहां तक कि बच्चे के अभिभावक व शिक्षकों में अंडा को लेकर झगड़ा तक हो जाता है. प्रधानाध्यापक संजय कुमार ने बताया कि पठन-पाठन को लेकर विभाग से जो व्यवस्था होनी चाहिए. वह नहीं मिल रही है. चार से पांच शिक्षक की जरूरत है, लेकिन तीन ही शिक्षक स्कूल में है. कक्षा पांच तक की पढ़ाई के लिए मात्र तीन कमरा है. दूसरी ओर विद्यालय के भवन की हालत बेहद खराब है. भवन की दीवार व छत का प्लास्टर टूट कर गिर रहा था.