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जांच एजेंसी के रडार पर कुछ आइएएस

भागलपुर : सृजन के वारे-न्यारे करनेवाले कुछ आईएएस जांच एजंेसी के रडार पर आ चुके हैं. सृजन में जिला पदाधिकारी के पदनाम के खाता मिलने के बाद घोटाले में आईएएस अधिकारियों की संलिप्तता उजागर होने लगी है. पूर्व जिलाधिकारी गोरे लाल यादव और केपी रमैय्या की सृजन पर मेहरबानी जगजाहिर है. ऐसे में जांच की […]

भागलपुर : सृजन के वारे-न्यारे करनेवाले कुछ आईएएस जांच एजंेसी के रडार पर आ चुके हैं. सृजन में जिला पदाधिकारी के पदनाम के खाता मिलने के बाद घोटाले में आईएएस अधिकारियों की संलिप्तता उजागर होने लगी है. पूर्व जिलाधिकारी गोरे लाल यादव और केपी रमैय्या की सृजन पर मेहरबानी जगजाहिर है. ऐसे में जांच की सूई अब स्टेनो, क्लर्क और नाजिर से हट कर जिलाधिकारियों तक पहुंचने वाली है.

गोरेलाल यादव ने सृजन कार्यालय का किया था उद्घाटन: 2001 में पूर्व डीएम गोरे लाल यादव ने सबौर में सरकारी जमीन पर बने निजी संस्था सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड कार्यालय का उद्घाटन किया था. गोरेलाल यादव अवकाश ग्रहण करने के बाद वह बिहार विधानसभा का चुनाव भी लड़े. हालांकि चुनावी में वह हार गये थे. दिलचस्प तो यह है कि सृजन का दफ्तर सरकारी जमीन पर सरकारी धन से बनाया गया था.
केपी रमैय्या ने पट्टे पर दी थी जमीन: आईएएस केपी रमैय्या भी सृजन पर खासे मेहरबान रहे. भागलपुर से तबादले के बाद तो इन्होंने कुछ माह बाद इस्तीफा दे दिया था. केपी रमैय्या के जिलाधिकारी रहने के दौरान ही सृजन को सरकारी जमीन पट्टे पर दी गयी थी. इसका किराया 200 रुपया माह तय किया गया था.
सीएफएल रिपोर्ट का इंतजार
कई पूर्व जिलाधिकारियों के हस्ताक्षर वाले चेक से करोड़ों की राशि की अवैध निकासी के अलावा फर्जी हस्ताक्षर से राशि ट्रांसफर होने की बात की जा रही है. पूर्व के सभी डीएम हस्ताक्षर को भले ही फर्जी मान रहे हैं. मगर सीएफएल (साइंस फॉर फारेंसिक लैब) से रिपोर्ट मिलने के बाद इस रहस्य से पर्दा उठ जायेगा.

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