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टीएमबीयू में खुलेगा बिहार का पहला एरिया स्टडी सेंटर

टीएमबीयू. नेपाल, बांग्लादेश व भूटान की नीतियों पर होगा रिसर्च भागलपुर : अमूमन हर राज्यों के किसी न किसी विश्वविद्यालय में एरिया स्टडी सेंटर स्थापित हो चुका है, लेकिन बिहार अब तक इससे अछूता है. राज्य का पहला एरिया स्टडी सेंटर तिलकामांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी (टीएमबीयू) में खुल सकता है. कुलपति प्रो नलिनी कांत झा ने […]

टीएमबीयू. नेपाल, बांग्लादेश व भूटान की नीतियों पर होगा रिसर्च

भागलपुर : अमूमन हर राज्यों के किसी न किसी विश्वविद्यालय में एरिया स्टडी सेंटर स्थापित हो चुका है, लेकिन बिहार अब तक इससे अछूता है. राज्य का पहला एरिया स्टडी सेंटर तिलकामांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी (टीएमबीयू) में खुल सकता है. कुलपति प्रो नलिनी कांत झा ने एरिया स्टडी सेंटर स्थापित करने की कवायद शुरू कर दी है.
यूजीसी को भेजने के लिए विश्वविद्यालय ने प्रपोजल तैयार है. बिहार से सटे देश नेपाल, भूटान व बांग्लादेश की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक नीतियों पर रिसर्च करवाने की विश्वविद्यालय की मंशा है.
पांच वर्षों तक यूजीसी से ग्रांट : टीएमबीयू के प्रपोजल भेजने के बाद एरिया स्टडी सेंटर को यूजीसी से मंजूरी मिल जाती है, तो लगातार पांच वर्षों तक ग्रांट मिलेगा. यूजीसी ग्रांट के साथ ही मान्यता देती है. पांच साल की अवधि खत्म होने के बाद राज्य सरकार विवि को आर्थिक मदद करेगी.
यूजीसी से मांग करेंगे वीसी : वीसी पांडिचेरी रवाना हो गये हैं. वहां से लौटते वक्त वह दिल्ली में रुकेंगे. इस दौरान वह यूजीसी से एरिया स्टडी सेंटर की मांग करेंगे. अगर मंजूरी मिलती है, तो बिहार का पहला सेंटर खुल सकता है.
यूजीसी को भेजने के लिए विश्वविद्यालय का प्रपोजल तैयार
पड़ोसी देश की नीतियों को समझेंगे : वीसी
कुलपति प्रो नलिनी कांत झा ने कहा कि हर राज्यों में एरिया स्टडी सेंटर है. बिहार में अभी तक यह सेंटर नहीं है. वह इसके लिए प्रयासरत है. प्रपोजल तैयार है. बिहार से तीन देश नेपाल, बांग्लादेश व भूटान की सीमा लगती है. एरिया स्टडी सेंटर खुलने से न सिर्फ शैक्षणिक माहौल बदलेगा, बल्कि पड़ोसी मुल्कों की सामाजिक, राजनीतिक नीतियों को भी हम समझ पायेंगे. नेपाल के कारण बिहार में बाढ़ की तबाही से लेकर आतंकवाद और माओवाद पर भी शोध होगा.
पड़ोसी देश जाकर रिसर्च करेंगे छात्र
एरिया स्टडी सेंटर स्थापित होने पर छात्र रिसर्च करने के लिए नेपाल, बांग्लादेश व भूटान जा सकेंगे. छात्रों के टूर का खर्च यूजीसी वहन करता है.
आतंकवाद से माओवाद पर शोध
यहां आतंकवाद से लेकर माओवाद पर छात्र रिसर्च करेंगे. बांग्लादेश व नेपाल के रास्ते आतंकवाद से लेकर माओवाद के नेटवर्क पर छात्र शोध कर सकेंगे और स्थायी समाधान ढूंढने का प्रयास होगा.

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