उठता सवाल. 2014 से चल रहा था फर्जीवाड़ा, िफर भी प्रशासन को नहीं लग सकी भनक
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गलती पर गलती, फिर भी बने रहे अनजान
उठता सवाल. 2014 से चल रहा था फर्जीवाड़ा, िफर भी प्रशासन को नहीं लग सकी भनक खाता विवरणी मंगायी, पास बुक अपडेट नहीं कराया फर्जी खाता विवरण से प्रशासन की आंखों में धूल झोंकी भागलपुर : सरकार से भेजे मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के फंड से विकास तो नहीं हुआ, मगर कई का विकास जरूर […]
खाता विवरणी मंगायी, पास बुक अपडेट नहीं कराया
फर्जी खाता विवरण से प्रशासन की आंखों में धूल झोंकी
भागलपुर : सरकार से भेजे मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के फंड से विकास तो नहीं हुआ, मगर कई का विकास जरूर हो गया. पटल बाबू रोड स्थित इंडियन बैंक की शाखा में योजना का फंड जमा करा दिया गया. मगर प्रशासन के खाता से राशि की निकासी पर गलती पर गलती की गयी, फिर भी खाता पर नजर रखनेवाले अंजान बने रहे. बैंक के पासबुक को अपडेट करने की बजाय भेजी गयी खाता विवरणी को अंतिम माना गया. नतीजतन फर्जी खाता भेज खाता धारक को खाता में पैसा पर्याप्त होने का विश्वास दिला दिया. वहीं उस राशि को चुपके से निकाल लिया गया. इस गोरखधंधे में जाली दस्तावेज और जिलाधिकारी का फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल हुआ.
जांच रिपोर्ट में इंडियन बैंक की पटल बाबू शाखा के प्रबंधक और महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के पदधारी प्रथम दृष्ट्या दोषी प्रतीत होते हैं.
डीएम के निर्देश पर जांच टीम गठित : डीएम आदेश तितरमारे ने चार अगस्त को एक शिकायत के आधार पर उप विकास आयुक्त अमित कुमार के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम से फर्जीवाड़े की जांच करायी. इसमें उप विकास आयुक्त अमित कुमार के अलावा अपर समाहर्ता(राजस्व) हरिशंकर प्रसाद व जिला भविष्य निधि पदाधिकारी चंदन कुमार शामिल थे.
उप विकास आयुक्त की जांच रिपोर्ट में खुलासा
न बैंक ने सूचना दी और न ही ऑडिट में ही कुछ सामने आया
थाने को दिये आवेदन में लिखा गया है कि जालसाजीपूर्ण षड्यंत्र द्वारा अनधिकृत रूप से सरकारी राशि के हस्तांतरण की सूचना न तो बैंक द्वारा जिला प्रशासन को दी गयी और न ही मार्च 2015 में महालेखाकार द्वारा किये गये ऑडिट में ही किसी प्रकार की प्रतिकूल टिप्पणी की गयी. इससे जाहिर होता है कि बैंक द्वारा जिला प्रशासन को अंधेरे में रखते हुए मांगे जाने पर जाली खाता विवरणी उपलब्ध करायी गयी. ऐसा देखते हुए इंडियन बैंक के तत्कालीन और वर्तमान शाखा प्रबंधक और सृजन महिला सहयोग समिति लिमिटेड के सभी पदधारकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया.
एसआइटी गठित, बैंक खाते सील : सरकारी पैसे के गबन के मामले की जांच के लिए एसएसपी मनोज कुमार ने सिटी डीएसपी शहरयार अख्तर के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया है. टीम में उनके अलावा इशाकचक थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर रामएकवाल यादव, जगदीशपुर थानाध्यक्ष नीरज तिवारी, सबौर थानाध्यक्ष राजीव कुमार और एसआइ कौशल भारती शामिल हैं. सृजन के विभिन्न बैंकों के 10 खातों को सील कर दिया गया है.
ये रहीं गलतियां
पहली गलती: उप विकास आयुक्त की जांच टीम ने जब इंडियन बैंक के सहायक बैंक प्रबंधक की सत्यापित खाता विवरणी ली तो उनके होश उड़ गये. उनके मुताबिक, तीन अगस्त तक खाता में एक करोड़ 10 लाख 13 हजार 970 रुपये हैं. जबकि चेक निर्गत पंजी में दिखाये शेष राशि के अनुसार, इंडियन बैंक के सरकारी खाता में 11 करोड़ 36 लाख 72 हजार 269 रुपये होने चाहिए.
बैंक पर आरोप: इंडियन बैंक ने फर्जी खाता विवरणी के माध्यम से गलत तरीके से निकाली गयी राशि को छुपाने का प्रयास किया.
दूसरी गलती: नजारत शाखा की चेक निर्गत पंजी में 27 सितंबर 2014 को ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की चेक संख्या 929602 के माध्यम से 12 करोड़ 20 लाख 15 हजार 75 रुपये की प्राप्ति दर्शायी गयी है. मगर खाता विवरणी की सत्यापित प्रति में उक्त राशि कभी खाता में नहीं आयी.
आरोप: मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के ओरियंटल बैंक की खाता से चेक संख्या 929602 से 12 करोड़ 20 लाख 15 हजार 75 रुपये इंडियन बैंक में जमा कराने के लिए भेजा गया था, जो जमा नहीं हुआ. यह ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का चेक सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की खाता संख्या- 822726685 में डाल दिया गया. यह बात ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के पासबुक को 30 सितंबर 2014 के अपडेट में पता लगा कि चेक का भुगतान सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के खाता में हो गया.
तीसरी गलती: सत्यापित खाता विवरणी में वर्ष 2016 के एक सितंबर, तीन सितंबर और छह सितंबर को चेक संख्या 656885, 686866 तथा 686872 के माध्यम से क्रमश: तीन करोड़, एक करोड़ व डेढ़ करोड़ रुपये सृजन महिला सहयोग समिति लिमिटेड के खाते में गये.
आरोप: जिला प्रशासन के द्वारा इंडियन बैंक के खाता का चेक बुक 18 अगस्त 2016 को मांगा गया. इस संबंध में जिलाधिकारी का बैंक प्रबंधक को पत्र भेजा गया. बैंक ने 656861 से 656880 सिरीज का चेक बुक दिया. बैंक प्रबंधक को भेजे गये जिलाधिकारी का पत्र जाली प्रतीत हुआ. पत्र में दिनांक व पत्रांक का उल्लेख नहीं है. जिलाधिकारी का भी फर्जी हस्ताक्षर है. जिला नजारत शाखा से भी ऐसा कोई पत्र नहीं जारी हुआ है. बैंक के अनजान पत्र के माध्यम से चेक बुक दिया गया और इस चेक से कुल पांच करोड़ 50 लाख रुपये सृजन महिला सहयोग समिति लिमिटेड को भेजा गया.
चौथी गलती: सत्यापित खाता विवरणी में 17 मार्च, 31 मार्च व 13 अप्रैल को सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की ओर से आरटीजीएस द्वारा जिला प्रशासन के इंडियन बैंक खाता में क्रमश: एक करोड़ 27 लाख, 16 करोड़ तीन लाख तीन हजार 279 और तीन करोड़ 34 लाख रुपये जमा किये गये.
आरोप: सृजन महिला सहयोग समिति लिमिटेड ने आरटीजीएस के माध्यम से दी गयी कुल राशि 20 करोड़ 64 लाख तीन हजार 279 का उल्लेख चेक निर्गत पंजी के आय लेखा में नहीं है. उक्त संस्था के सरकारी खाते में राशि जमा करने का औचित्य स्पष्ट नहीं है.
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