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बड़ा सवाल: नहीं भुलाया जा सकता शहर के विकास में बंगाली समाज का योगदान, आंखों के नूर को खुद ही कर रहे दूर

भागलपुर: बंगालियों के उजड़ने का सिलसिला जारी रहा, तो एक दिन यहां की संस्कृति का बड़ा हिस्सा कट जायेगा. हिंदुओं, मुसलमानों, ईसाइयों और बंगालियों की साझी भागीदारी से इस शहर की संस्कृति को सींचा गया है. इतिहास के पन्नों में दर्ज बंगाली समाज के योगदान को यूं ही नहीं भुलाया जा सकता. कुछ असामाजिक प्रवृत्ति […]

भागलपुर: बंगालियों के उजड़ने का सिलसिला जारी रहा, तो एक दिन यहां की संस्कृति का बड़ा हिस्सा कट जायेगा. हिंदुओं, मुसलमानों, ईसाइयों और बंगालियों की साझी भागीदारी से इस शहर की संस्कृति को सींचा गया है. इतिहास के पन्नों में दर्ज बंगाली समाज के योगदान को यूं ही नहीं भुलाया जा सकता. कुछ असामाजिक प्रवृत्ति के लोग अपने फायदे के लिए इस संस्कृति का क्षरण कर रहे हैं.

कुछ माह पहले बूढ़ानाथ इलाके में संपा घोष की हत्या और हाल में स्त्री रोग विशेषज्ञ बुजुर्ग डॉ गीता मजूमदार को धमकी देने की घटना के पीछे इन्हें यहां से बाहर कर देने की बात ही कही जा रही है. समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के लोग इससे आहत हैं. दुर्गाचरण के तीन पुत्रों में से एक राजा शिवचंद्र बनर्जी के अंदर दान देने की प्रवृत्ति थी. अपनी कमाई से उन्होंने बरारी स्थित वाटर वर्क्स की स्थापना में बड़ी राशि दी थी. उनके योगदान से भागलपुर बिहार का पहला शहर बना था, जहां वर्ष 1887 में टैप वाटर सिस्टम चालू हुआ था.
बंगाली समिति ने जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन : भागलपुर. बिहार बंगाली समिति का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को डीएम आदेश तितरमारे एवं एसएसपी मनोज कुमार से मिला. इस दौरान डॉ गीता मजूमदार मामले को लेकर ज्ञापन सौंपा गया. ज्ञापन में वरिष्ठ महिला चिकित्सक डॉ गीता मजूमदार को समुचित सुरक्षा मुहैया कराने, संपा घोष हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त को गिरफ्तार करने, शेखर जमीन विवाद को हल कराने समेत अल्पसंख्यक बंगाली समाज को सुरक्षा देने की मांग की गयी. प्रतिनिधिमंडल में राज्य उपाध्यक्ष अमलान कुमार डे, सचिव जयजीत घोष, संयुक्त सचिव चंदन राय, पूर्व सचिव निरुपम कांति पाल शामिल थे.
सड़क निर्माण में डॉ मजमूदार के परदादा की थी सहभागिता
यूएन बागची भागलपुर नगरपालिका के पहले वार्ड कमिश्नर थे. आज जिस डॉ गीता मजूमदार को घर खाली करने की धमकी दी गयी, उनके परदादा राम रतन मजूमदार अपने जमाने के मशहूर सिविल इंजीनियर हुआ करते थे. शिवपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से उन्होंने शिक्षा पायी थी. इंजीनियर मजूमदार ने पहले वार्ड कमिश्नर यूएन बागची के साथ मिल कर कई सड़कों का निर्माण कराया.
बंगाली पलायन नहीं कर रहे करवाये जा रहे
टीएमबीयू के पीजी बांग्ला विभाग की वरीय शिक्षक प्रो शर्मिला बागची बंगालियों के पलायन पर कहती हैं कि बंगाली पलायन नहीं कर रहे हैं, बल्कि पलायन करवाये जा रहे हैं. वह कहती हैं कि बंगाल में ऑनली बंगाली व बिहार में ऑनली बिहारी की मानसिकता भारत को भारत बन कर रहने नहीं देगा. भगवान नहीं करे, लेकिन यही मानसिकता रही, तो भारत टुकड़ों में बंट जायेगा. वह कहती हैं कि कुछ ही लोग हैं, जो बंगालियों की संपत्ति पर नजर गड़ाये रहते हैं और मौका पाकर हड़प लेते हैं. लेकिन भागलपुर में अच्छे लोगों को कोई कमी नहीं है. राजा शिवचंद्र बनर्जी, रामरतन मजूमदार, राजेंद्र मजूमदार, शरत चंद चट्टोपाध्याय का इस शहर के लिए बड़ा योगदान रहा है. प्रो बागची का कहना है कि आज सरकार भी तो स्कूल-कॉलेजों में बांग्ला शिक्षक नियुक्त नहीं करती. नयी पीढ़ी के लोग पढ़-लिख कर बड़े शहरों में बस जाते हैं. माता-पिता अकेले रह जाते हैं और असामाजिक व अपराधी मानसिकता के लोग इसका फायदा उठाने का मौका तलाशते हैं.

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