1974 के छात्र आंदोलन के अगुआ प्रकाशचंद्र गुप्ता ने बयां की छात्रों का संघर्ष
दीपक राव
भागलपुर : 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रोडियो पर आपातकाल की घोषणा की. पूरे देश में लोकतंत्र समाप्त कर दिया गया. नागरिकों का मौलिक अधिकार छीन लिया गया. प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक लगा दी गयी. किसी प्रकार की सार्वजनिक गतिविधि, सरकार के विरुद्ध बोलना दंडनीय अपराध माना गया. छात्र संघर्ष समिति, भागलपुर विश्वविद्यालय के नेतृत्व में यह आंदोलन चल रहा था. आपातकाल की घोषणा के डेढ़ माह बाद नौ अगस्त 1975 को भूमिगत होकर आंदोलन चलाने के दौरान सूजागंज बाजार से नौ व्यवसायी मित्र के साथ छात्र संघर्ष समिति के विश्वविद्यालय संयोजक प्रकाश चंद्र गुप्ता की गिरफ्तारी हुई. श्री गुप्ता ने उस समय को याद करते हुए बताया कि गिरफ्तारी के बाद रास्ते में जिन लोगों ने सहानुभूति जतायी या दुआ-सलाम किया, उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया. इस बात से पता लगाया जा सकता है कि आपातकाल के दौरान नियम कितना जनविरोधी रहा होगा.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जेल में साथ थे. उन्होंने बताया कि उनके साथ भागलपुर सेंट्रल जेल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ललन सर्राफ, समरेश सिंह, कृपाशंकर चटर्जी, अशोक घोष, शमीमुद्दीन, सुधा श्रीवास्तव, हीरा लाल पांडेय, प्रो ठाकुर दास बंग, शैलेश भारती, दिनेश तिवारी, जवाहर प्रसाद मंडल, स्मृति पांडेय, कौशल्या देवी, परमेश्वर कुंवर, प्रसिद्ध नारायण सिंह, जयप्रकाश जय, डॉ रामजी सिंह, दयानंद गोस्वामी, गौतम सागर राणा समेत बड़ी संख्या में महिला कार्यकर्ता भी शामिल थीं.
जेल में दो बार पुलिस को करनी पड़ी थी लाठी चार्ज. जेल में रहने के दौरान जेल सुधार के लिए आंदोलन किया, जिसमें नीतीश कुमार और वह स्वयं पुलिस लाठीचार्ज में घायल हो गये. जेल में आंदोलन के दौरान दो-दो बार पुलिस को मजबूर हो कर लाठी चार्ज करनी पड़ी थी.
मार्च 1977 में सभी बंदी हुए रिहा. मार्च 1977 में चुनाव की घोषणा हुई और सभी बंदियों को छोड़ा गया. इस चुनाव में जनता सरकार बनी. आज सभी गिरफ्तार बंदियों को पेंशन मिलना शुरू हो गया.
बिहार में भागलपुर रहा सबसे आगे
उन्होंने बताया कि बिहार में भागलपुर के दोनों जेल में 1000 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया गया. इसमें 700 डीआइआर और 300 लोगों को मीसा एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था. उस समय गिरफ्तारी के विरोध में कोर्ट भी नहीं जा सकते थे. केवल सामान्य धारा में जमानत के लिए कोर्ट जा सकते थे, लेकिन भागलपुर में भूमिगत आंदोलन चलता रहा.
केदार प्रसाद चौरसिया के नेतृत्व में संघर्ष समाचार निकलता रहा और लोगों को आंदोलित करता रहा. लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने खुद माना कि भागलपुर आंदोलन में प्रथम रहा. बिहार में भागलपुर में सबसे अधिक गिरफ्तारी, कार्यक्रम, अनशन, धरना, घेराव, पिकेटिंग, शराबबंदी आदि कार्यक्रम हुए.