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कभी भी ध्वस्त हो सकता है गेरूआ पुल

कहलगांव : त्रिमुहान के पास एनएच 80 पर गेरुआ पुल का एक छोर कभी भी ध्वस्त हो सकता है. इसके एक छोर के बेसमेंट की मिट्टी लगातार सरक रही है. ऐसा पूर्व में भी हो चुका है. एनएच पर ओवरलोड वाहनों के बेतहाशा परिचालन से स्थिति गंभीर होती जा रही है. बरसात और बाढ़ में […]

कहलगांव : त्रिमुहान के पास एनएच 80 पर गेरुआ पुल का एक छोर कभी भी ध्वस्त हो सकता है. इसके एक छोर के बेसमेंट की मिट्टी लगातार सरक रही है. ऐसा पूर्व में भी हो चुका है. एनएच पर ओवरलोड वाहनों के बेतहाशा परिचालन से स्थिति गंभीर होती जा रही है. बरसात और बाढ़ में गेरुआ नदी में उफान आने से पहले अगर पुल के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत नहीं करायी गयी, तो कहलगांव का जिला मुख्यालय से संपर्क भंग हो सकता है.

तकनीकी खामी के कारण भरभरा रही है मिट्टी : जानकारों का कहना है कि गेरुआ नदी में केवाल मिट्टी है. यह मिट्टी पानी के संपर्क में आते ही धंसान का रूप ले लेती है और सूखने पर काफी कठोर हो जाती है. पुल बनाने के बाद करायी गयी बोल्डर पिचिंग को बांधने के लिए बैरियर नहीं बनवाया गया. इस कारण हर साल बरसात में मिट्टी भरभराने का सिलसिला शुरू हो जाता है. फिर ओवरलोडेड वाहनों के लगातार परिचालन से पड़ने वाले दबाव के कारण स्थित अधिक खराब हो जाती है.
मुख्य पथ से जोड़नेवाले हिस्से के नीचे से सरक रही बोल्डर सोलिंग
16 साल पहले भी ध्वस्त हुआ था पुल, आठ माह तक टापू बन गया था कहलगांव
सोलह साल पहले चार नवंबर 2001 में आयी बाढ़ में गेरुआ पुल ध्वस्त हो गया था. आवागमन के लिए आठ माह बाद यानी वर्ष 2002 में पीपा पुल का निर्माण हुआ. इस दौरान कहलगांव टापू में तब्दील हो गया था. बड़े वाहनों का आवागन बंद हो जाने से खाद्य सामग्री और रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुओं की कीमत काफी बढ़ गयी थी. लगभग छह साल तक शहर के लोगों को कष्ट झेलना पड़ा.
कंक्रीट निर्मित गेरुआ पुल के प्रभावित हिस्से की जांच के लिए सोमवार को एनएच 80 के कनीय अभियंता को भेजा जायेगा. समय रहते मरम्मत का कम कराया जायेगा.
अखिलेश कुमार, कार्यपालक अभियंता एनएच 80 , भागलपुर डिवीजन

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