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बिहार विधानसभा चुनाव 2020: मटिहानी में एनडीए और महागठबंधन की होगी टक्कर, कभी रिक्शा से चलने वाले लोकप्रिय व प्रथम विधायक की हो गई थी हत्या…

बिहार विधानसभा चुनाव 2020, विपिन कुमार मिश्र,बेगूसराय: जिले के सात विधानसभा क्षेत्रों में से मटिहानी को हमेशा से हॉट सीट माना जाता रहा है. इस क्षेत्र की अजीब बनावट है. मटिहानी और शाम्हो दो प्रखंडों को मिलाकर वर्ष 1977 में इस विधानसभा सीट का गठन किया गया. भले ही इस विधानसभा क्षेत्र में दो प्रखंडों को शामिल किया गया है, लेकिन मटिहानी और शाम्हो की बनावट अलग-अलग है.

विपिन कुमार मिश्र,बेगूसराय: जिले के सात विधानसभा क्षेत्रों में से मटिहानी को हमेशा से हॉट सीट माना जाता रहा है. इस क्षेत्र की अजीब बनावट है. मटिहानी और शाम्हो दो प्रखंडों को मिलाकर वर्ष 1977 में इस विधानसभा सीट का गठन किया गया. भले ही इस विधानसभा क्षेत्र में दो प्रखंडों को शामिल किया गया है, लेकिन मटिहानी और शाम्हो की बनावट अलग-अलग है.

 शाम्हो प्रखंड जिला मुख्यालय से 72 किलोमीटर दूर

मटिहानी प्रखंड जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर है, वहीं शाम्हो प्रखंड की दूरी जिला मुख्यालय से 72 किलोमीटर है और लखीसराय जिले के करीब है. 1977 से लेकर आज तक शाम्हो प्रखंड विकास कार्य से अछूता है. विकास के नाम पर बहुत कुछ कार्य किये गये हैं, लेकिन शाम्हो की सूरत बदलने के लिए अब भी गंभीर प्रयास करने की जरूरत है. वहीं, मटिहानी प्रखंड में भी गंगा से कटाव, विस्थापित परिवारों व किसानों की समस्याओं के साथ-साथ मटहानी-शाम्हो गंगा नदी में पुल निर्माण की आस आज भी लोग लगाये हुए हैं.

विधानसभा गठन के दो वर्षों के अंदर ही विधायक की हो गयी थी हत्या

पहली बार 1977 में चुनावी मानचित्र पर आया मटिहानी पहले बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र के अंदर शामिल था. 1977 में विधानसभा क्षेत्र गठन होने के बाद यहां से प्रथम विधायक के रूप में भाकपा के टिकट पर सीताराम मिश्र ने जीत हासिल की. जनता के बीच वे काफी लोकप्रिय थे. जनता के काम को लेकर ही वे अपने घर से रिक्शा से निकले थे कि अपराधियों ने उनकी हत्या कर दी. महज दो वर्ष के अंदर ही प्रथम विधायक की हत्या के बाद मटिहानी विधानसभा क्षेत्र सुर्खियों में आ गया. उसके बाद 1979 में हुए चुनाव में भाकपा के टिकट पर देवकी प्रसाद सिंह विजयी हुए. बिहार में चर्चित कांग्रेस के सक्रिय सदस्य कामदेव सिंह की हत्या के बाद वर्ष 1980 में हुए विधानसभा चुनाव में सहानुभूति की लहर से यहां से कांग्रेस के टिकट पर प्रमोद कुमार शर्मा विजयी हुए. 1985 में प्रमोद कुमार शर्मा दोबारा चुनाव जीतने में कामयाब हुए.

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1990 से 2000 तक भाकपा के राजेंद्र राजन रहे विधायक

1990 से 2000 तक भाकपा के टिकट पर राजेंद्र राजन चुनाव जीतते रहे. समय के साथ सब कुछ बदलते गया और 2005 में नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीते. 2010 और 2015 में नरेंद्र कुमार सिंह जदयू के टिकट पर चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे. इस बार मटिहानी विधानसभा सीट पर एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवार के बीच सीधी टक्कर है. एनडीए में वर्तमान विधायक के साथ-साथ कई लोग अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. वहीं, महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में जाने की संभावना है.

मटिहानी विधानसभा क्षेत्र एक नजर में-

1977 सीताराम मिश्र-भाकपा

1979 देवकी प्रसाद सिंह-भाकपा

1980 प्रमोद कुमार शर्मा- कांग्रेस

1985 प्रमोद कुमार शर्मा-कांग्रेस

1990 राजेंद्र राजन -भाकपा

1995 राजेंद्र राजन – भाकपा

2000 राजेंद्र राजन-भाकपा

2005 नरेंद्र कुमार सिंह- निर्दलीय

2005 नरेंद्र कुमार सिंह -निर्दलीय

2010 नरेंद्र कुमार सिंह- जदयू

2015 नरेंद्र कुमार सिंह- जदयू

Posted By: Thakur Shaktilochan Shandilya

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