बरौनी में जान जोखिम में डाल रेलवे क्रॉसिंग पार करने को लोग मजबूर ,वर्षों से हो रही आरओबी की मांग

ट्रेन आवागमन के समय रेलवे क्राॅसिंग में बंद समपार रेलवे फाटक पार करना दंडनीय अपराध है. इसके बावजूद लोग जान- जोखिम में डाल कर न सिर्फ नियम को तोड़ते हैं, बल्कि लोग अपनी मौत को भी आमंत्रित करते हैं.

By Prabhat Khabar | April 5, 2022 12:11 PM

ट्रेन आवागमन के समय रेलवे क्राॅसिंग में बंद समपार रेलवे फाटक पार करना दंडनीय अपराध है. इसके बावजूद लोग जान- जोखिम में डाल कर न सिर्फ नियम को तोड़ते हैं, बल्कि लापरवाह लोग अपनी मौत को भी आमंत्रित करते हैं. कई बार लापरवाही के कारण पूर्व मध्य रेल के बरौनी जंक्शन के पश्चिमी दिशा की ओर स्थित गुमटी संख्या- 07 (बी) पर लापरवाह लोगों की जान मौत की मुंह में जाते-जाते बची हैं.

कई प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि गत दिनों मालगाड़ी, जंक्शन से पश्चिम दिशा की ओर अपने गंतव्य को लेकर निकली, जो सात नंबर गुमटी को तो पार कर ली. लेकिन आठ नंबर गुमटी यानी दुलारुआधाम के समीप परिचालित इंजन अचानक तकनीकी कारण से बंद हो गयी और करीब चालीस मिनट तक रूकी रही. नतीजतन ट्रेन गुमटी (फाटक) संख्या सात पर फंसी रही. इसको लेकर कड़ी धूप में उक्त जगह पर उत्तर व दक्षिण में आवाजाही करने वाले राहगीरों को इस कारण भारी फजीहत झेलनी पड़ी.

हद तो तब हो गयी ज़ब कुछ समय गुज़ारने के बाद कुछ पैदल चल रहे राहगीरों ने रुकी ट्रेन के ज्वाइंट दोनों बोगियों के पास से अपनी जान व सिस्टम को ताक पर रखकर पार करते रहे लेकिन ऐसी स्थिति में एक भी सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं दिखे. लोग धड़ल्ले से साइकिल को उठाकर ट्रेन को पार करते देखे गये. हालांकि कुछ देर के बाद ट्रेन को जंक्शन की ओर ले जाया गया. इसके बाद फाटक खुलते ही आम राहगीरों ने राहत की सांस ली और रेलवे प्रशासन की असंवेदनशीलता पर प्रश्नचिह्न लगाया.

इस संबंध में स्टेशन प्रबंधक रत्नेश कुमार ने बताया कि इंजन बंद हो गया था, चार्ट देने के उपरांत पुनः परिचालन शुरू करायी गयी थी. वहीं दर्जनों लोगों ने कहा कि जंक्शन को सुसज्जित व सारी सुविधाओं से लैस करने के लिए विशेष पहल जारी है. यहां के लोग आरओबी के लिए वर्षों से उपेक्षा का शिकार बने हुए हैं, जो शहरी सुविधाओं से अब तक उस अनुपात में विस्तार करना तो दूर अपितु उससे कोसों दूर प्रतीत हो रहे हैं. निपनिया, बारो, मधुरापुर, अमरपुर, फुलवड़िया, शोकहरा आदि दर्जनों गांवों व बाजारों से आवाजाही करने के लिये यह मार्ग ही एक सुलभ विकल्प है.

आसपास की क्षेत्रों की बड़ी आबादी भी है लेकिन लाखों की आबादी के लिए शहर से गांव व गांव से शहर में प्रवेश करने का एकमात्र रास्ता केबिन से होकर गुजरता है. जहां लोगों को प्रतिदिन हलकान होना पड़ रहा है. बरौनी जंक्शन के पश्चिमी केबिन यह 07 (बी) नंबर गुमटी बंद रहने की स्थिति में लोगों को रोज घंटों परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दोपहिया वाहनों के लिए भी फिलहाल कोई विकल्प नहीं है. काफी लंबे समय से आरओबी का निर्माण किये जाने की मांग हो रही है लेकिन इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं होने से आज की तारीख में हजारों की आबादी के पास बाजार में इंट्री व एग्जिट का कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा.

लिहाजा इस प्रकार की घटना तो आम बात बनी हुई है. व्यवसायी विजय कुमार गांधी ने बताया कि विकास के आंगन में बरौनी अभी भी शून्य- सा प्रतीत हो रहा है. आरओबी निर्माण होना बेहद जरूरी है. ताकि समय की भी बचत होगी एवं आम लोगों भी सुरक्षित व संरक्षित रह पायेंगे. वहीं बजरंग दल के जिला संयोजक रौशन मिश्रा एवं छात्र नेता ध्रुव कुमार ने कहा कि समस्या विकराल है. जनप्रतिनिधि ही नहीं, रेल प्रशासन इस दिशा में मौन है. बीमार और गर्भवती महिलाओं को आपातकाल की हालत में किसी अनहोनी की आशंका बनी रहती है. कई रोगियों की जान भी जा चुकी है.

माध्यमिक विद्यालय, शोकहरा एक के प्रधानाध्यापक रंजीत कुमार शर्मा एवं स्थानीय वरिष्ठ शिक्षक नारायण प्रसाद सिंह ने बताया स्थिति यह है कि गुमटी बंद रहने से साइकिल से भी लोग सहज नहीं निकल सकते. लोगों के पास कोई वैकल्पिक रास्ता है नहीं, लोग क्या करें. अधिकारियों की गाड़ियां भी फंसती है पर कोई ध्यान नहीं देता. इसके प्रति सरकार को पैनिक व तत्परतापूर्वक आरओबी निर्माण कराने की आवश्यकता है.

Next Article

Exit mobile version