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तापमान की तपिश में दगा दे रही बिजली

संकट . बिजली समस्या को लेकर कई संगठन बना रहे आंदोलन की रूपरेखा पावर हाउस में तकनीशियनों की है भारी कमी बेगूसराय(नगर) : जेठ के इस महीने में गरमी ने अब तक का सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया है. रविवार को बेगूसराय में तापमान 42 डिग्री को भी पार कर लोगों की परेशानी काफी बढ़ा दी. […]

संकट . बिजली समस्या को लेकर कई संगठन बना रहे आंदोलन की रूपरेखा

पावर हाउस में तकनीशियनों की है भारी कमी
बेगूसराय(नगर) : जेठ के इस महीने में गरमी ने अब तक का सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया है. रविवार को बेगूसराय में तापमान 42 डिग्री को भी पार कर लोगों की परेशानी काफी बढ़ा दी. उस पर से बिजली की दम तोड़ती स्थिति ने लोगों की परेशानी और बढ़ा दी है. इससे लोगों का आक्रोश चरम पर है और लोग आंदोलन की रूप रेखा तैयार करने लगे हैं.
तापमान की तपिश में दगा दे रही है बिजली : तापमान की बढ़ती तपिश में बिजली भी लोगों को दगा दे रही है. 24 घंटे बिजली देने का दावा करने वाली विभाग महज तीन से चार घंटे बिजली मुहैया करा कर ही दम तोड़ने लगी है. नतीजा है कि लोगों का आक्रोश चरम पर न सिर्फ पहुंचने लगा है वरन आंदोलन की भी सुगबुगाहट शुरू हो गयी है. कई संगठनों के द्वारा आंदोलन की रूप रेखा तैयार की जा रही है. अगर समय रहते बिजली विभाग अपने में सुधार नहीं किया तो आने वाले समय में बिजली के लिए जोरदार आंदोलन चलाया जायेगा.
बिजली के लिए लगातार चलाया जा रहा है आंदोलन : बिजली की बदतर स्थिति से मुक्ति दिलाने के लिए पिछले लंबे समय से जिले के विभिन्न संगठनों द्वारा चरणबद्ध आंदोलन न सिर्फ चलाया गया वरन कुछ संगठनों के द्वारा पावर हाउस में घेरा-डालो-डेरा डालो कार्यक्रम भी चलाया गया. इसके बाद भी बिजली की व्यवस्था में सुधार नहीं होना बिजली विभाग और सरकार की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है. आखिर यह भी बेगूसराय के लोगों के लिए बदकिस्मती ही कहा जाये कि बेगूसराय जिले में चिराग तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. बेगूसराय में थर्मल पावर रहने के बाद भी यहां के लोगों को समुचित बिजली नहीं मिल पा रही है.
दुरुस्त नहीं है साधन व संसाधन :
बेगूसराय में बार-बार बिजली के लिए हंगामा व आंदोलन का प्रमुख कारण यह भी है कि यहां साधन व संसाधन की घोर कमी है. पहले तो यहां कर्मियों की भारी किल्लत है. पावर हाउस में जो भी संसाधन हैं वह भी दुरुस्त नहीं है. नतीजा होता है कि इसका खामियाजा यहां आने वाले पदाधिकारियों को भुगतना पड़ता है. इसके अलावा पावर हाउस में तकनीशियनों की भी भारी कमी है.ट्रांसफॉर्मर समेत अन्य उपकरणों में खराबी के बाद पटना से विशेषज्ञों को बुलाना पड़ता है. तब तक बिजली लोगों को समुचित नहीं मिल पाती है. इस समस्या की ओर भी कई बार ध्यान आकृष्ट कराया गया लेकिन आज तक इस दिशा मेंं ठोस पहल नहीं किया जा सकी है. नतीजा है कि बिजली विभाग में इस तरह की समस्या से लोग जूझते रहते हैं.
:कार्य करने वाली कंपनी का नहीं है संतोषप्रद कार्य
बिजली विभाग में कार्य के लिए जब भी कोई कंपनी को कार्य करने के लिए दिया जाता है आज तक उन कंपनियों के द्वारा ठोस काम नहीं किया जा सका है नतीजा है कि बिजली विभाग में समस्या घटने के बजाय बढ़ता हुआ ही दिखाई पड़ता है. अभी वर्तमान में ए टू जेड कंपनी के द्वारा जो भी कार्य किया गया है वह संतोषप्रद नहीं है. जहां -तहां तार झंझर पड़े हैं. आज उपभोक्ताओं को गलत बिजली बिल दिया जा रहा है.
नतीजा है कि ऐसे उपभोक्ताओं को मानसिक तनाव से जूझना पड़ता है.कई बार इन कंपनियों के विरोध में विभिन्न संगठनों के द्वारा जोरदार आवाज बुलंद की गयी लेकिन यह समस्या आज की तिथि में जस की तस बनी है.
70 मेगावाट की जगह बेगूसराय को मिल रही है 15 मेगावाट बिजली : जिले में बिजली की हालत इतनी नाजुक है कि 70 मेगावाट बिजली जिले को आवश्यकता है. उसके एवज में महज 15 मेगावाट बिजली ही बेगूसराय पावर हाउस को मिल रही है. इससे यह अंदाज लगाया जा सकता है कि लोगों को इस भीषण गरमी और कड़ाके की धूप का कैसे सामना किये होंगे. शहर हो या गांव हर जगह लोग बिजली की समस्या से जूझ रहे हैं.

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