पहल. केंद्र सरकार ने बरौनी फर्टिलाइजर के कर्ज को किया माफ, िकसानों में उत्साह
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बरौनी फर्टिलाइजर के आ गये अच्छे दिन
पहल. केंद्र सरकार ने बरौनी फर्टिलाइजर के कर्ज को किया माफ, िकसानों में उत्साह कर्ज माफ होते ही बरौनी फर्टिलाइजर के खुलने का मार्ग हुआ प्रशस्त 1999 में बंद हुआ था बरौनी खाद कारखाना बेगूसराय : सूबे का इकलौता मृतप्राय बरौनी फर्टिलाइजर के अच्छे दिन आने के संकेत मिल गये हैं. केंद्र की मोदी सरकार […]
कर्ज माफ होते ही बरौनी फर्टिलाइजर के खुलने का मार्ग हुआ प्रशस्त
1999 में बंद हुआ था बरौनी खाद कारखाना
बेगूसराय : सूबे का इकलौता मृतप्राय बरौनी फर्टिलाइजर के अच्छे दिन आने के संकेत मिल गये हैं. केंद्र की मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरा होने पर बरौनी फर्टिलाइजर पर लदे कर्ज को माफ करने की घोषणा की है. अगर धरातल पर एक बार फिर फर्टिलाइजर से खाद निकलना शुरू हो गया तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि बेगूसराय ही नहीं राज्य के कई जिले के लोगों की तकदीर व तसवीर आने वाले समय में बदल जायेगी.
भारत सरकार के द्वारा घोषणा होते ही लोगों में छायी खुशी की लहर :बरौनी में एचपीसीएल के बंद पड़े उर्वरक संयंत्र को पुर्नजीवित करने की भारत सरकार की घोषणा से जिले में खुशी की लहर छा गयी. ज्ञात हो कि 5 सितंबर 2002 को केंद्र सरकार के द्वारा बरौनी खाद कारखाने को बंद करने के निर्णय का हर राजनीतिक दलों के द्वारा भर्त्सना की गयी. इसका सबसे अधिक प्रभाव किसानों पर पड़ा. वहीं कारखाने को पुर्नजीवित करने की खबर से
उनके चेहरे खिल उठे हैं. ज्ञात हो कि बरौनी खाद कारखाना के निर्माण की स्वीकृति जनवरी 1967 में मिलने के बाद शुरुआत में प्राक्कलित राशि 48 करोड़ की थी. जो निर्माण कार्य पूरा होते-होते 92 करोड़ की हो गयी. इसमें लगभग 24 करोड़ विदेशी मुद्रा विनिवेश किया गया था. इस कारखाने का शिलान्यास तत्कालीन राज्यपाल नित्यानंद कानूनगो द्वारा मई 1970 में किया गया था. 350 एकड़ में फैले बरौनी खाद कारखाना से एक नवंबर 1976 से 1.84 लाख मीटरिक टन उत्पादन प्रति वर्ष शुरू हुआ. जिससे 280 एकड़ में फैला उर्वरक नगर उपनगरी गुलजार हो रहा था.
कारखाना के शुरू होते ही बदल गयी थी रौनक : बरौनी खाद कारखाना के शुरू होते ही क्षेत्र की रौनक बदल गयी. बरौनी यूनिट के अमोनिया प्लांट की क्षमता 600 मीटरिक टन प्रतिदिन कोयले पर आधारित एसजीपी, यूरिया प्लांट की एक हजार टन प्रतिदिन, 4/60 टीपीएच 20 मेगावाट का टरबो जेनरेटर ,2.5 मेगावाट का जीटीजी, 1420 एम तीन/घंटा वाटर ट्रीटमेंट, 5000 एमटी अमोनिया स्टोरेज, 6 बैगिंग मशीन, 3 रेलवे और एक ट्रक बैगिंग प्लेटफॉर्म से सुसज्जित कारखाना अपने उत्पादन की राह पर चल पड़ा.
वर्ष 1999 जिले के लिए साबित हुआ अशुभ : अचानक जनवरी 1999 का मनहूस माह बरौनी व बेगूसराय के लिए अशुभ साबित हुआ. जब कारखाना ने दम तोड़ते हुए औसतन 40 प्रतिशत की क्षमता वाले प्लांट से वर्ष 1994 में तीन लाख 30 हजार एमटीए से घट कर 1 लाख 84 हजार एमटीए हो जाने के बाद वर्ष 1999 से प्लांट ने उत्पादन करना बंद कर दिया.
चोरी कर बेची जा रही है मशीनें :
कारखाना बंद होने के बाद अपराधियों व चोरों की नजरें लग गयी. कारखाना के अंदर की कीमती मशीनों को चोरी कर ली गयी. इतना ही नहीं कारखाना के अंदर लाखों के पेड़ की लकड़ियां भी अवैध रूप से बेच दी गयी.
बंद होने के आठ वर्ष बाद एक बार फिर लोगों में जगी थी आस :बरौनी खाद कारखाना के लगभग आठ वर्ष बंदी के बाद बिहार के तीन कद्दावर नेताओं नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, रामविलास पासवान ने एक साथ 12 नवंबर 2008 को बरौनी उर्वरक नगरी के मैदान में कारखाना के पुर्नजीवन को लेकर शिलान्यास किया था.
बरौनी खाद कारखाना पर लगभग 9000 करोड़ का था बकाया : 31 मार्च 2015 तक बरौनी खाद कारखाना पर बिहार राज्य बिजली बोर्ड का 88.63 करोड़, आरसीएफ से ऋण तथा उस पर ब्याज 3752 करोड़ रुपये तथा इसके अलावा 300 करोड़ रुपये यानि 2006 तक बरौनी खाद कारखाने के उपर 9000 करोड़ से अधिक का बकाया बनता है.केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2015 तक बकाया 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने का निर्णय कैबिनेट की बैठक में लिया गया है. इस निर्णय से बेगूसराय,बरौनी के साथ-साथ पूरे बिहार के लोगों में खुशी की लहर देखी जा रही है.
भूतेबंगला जैसा दिखता है उर्वरक नगर बरौनी का इलाका : वर्ष 2001 में बरौनी खाद कारखाना के बंदी के साथ खाद कारखाना के आवासीय परिसर उर्वरकनगर से कामगार चले गये. कर्मचारियों एवं अधिकारियों को वीआरएस के तहत छुट्टी दे दी गयी. आलम यह है कि खाली पड़े क्वार्टरों से चोर किवाड़, खिड़की आदि उखाड़ कर ले भाग रहे हैं.
सांसद डॉ भोला सिंह ने 31 बार लोकसभा में बरौनी फर्टिलाइजर को लेकर उठायी आवाज : बेगूसराय और नवादा सांसद के रूप में डॉ भोला सिंह बरौनी फर्टिलाइजर को चालू करवाने के लिए 31 बार लोकसभा में शून्यकाल के दौरान इस प्रश्न को उठाया. इसके अलावा 17 बार डॉ श्री सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य मंत्रियों को पत्र लिख कर इस खाद कारखाना को नयी जिंदगी प्रदान करने के लिए गुहार लगायी.
केंद्र सरकार की सुधि लेते ही खुशी से झूम उठे हैं लोग : बरौनी फर्टिलाइजर के बारे में केंद्र सरकार के द्वारा सुधि लेने और बकाया राशि माफ कर देने की खबर से बेगूसराय,बरौनी के अलावा राज्य के विभिन्न हिस्से के लोगों में खुशी देखी जा रही है. सूबे का इकलौता खाद कारखाना अगर चालू हो जाता है तो एक बार फिर किसानों के मुरझाये चेहरे खिल उठेंगे.
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