राष्ट्र की रक्षा में आर्य समाज का अहम योगदान : सत्यार्थी
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वेद सम्मेलन का 81वां वार्षिकोत्सव संपन्न
राष्ट्र की रक्षा में आर्य समाज का अहम योगदान : सत्यार्थी गढ़हारा : महर्षि दयानंद सरस्वती आविर्भाव ऐसे समय में हुआ, जब विदेशी हुकूमत भारतीय सभ्यता और संस्कृति को पद दलित भारतीयों के मन में हीन भावना को पनपा रही थी. भारतीय शिक्षा, सभ्यता और संस्कृति पर काले बादल मंडरा रहे थे, तो भारतीय धरातल […]
गढ़हारा : महर्षि दयानंद सरस्वती आविर्भाव ऐसे समय में हुआ, जब विदेशी हुकूमत भारतीय सभ्यता और संस्कृति को पद दलित भारतीयों के मन में हीन भावना को पनपा रही थी. भारतीय शिक्षा, सभ्यता और संस्कृति पर काले बादल मंडरा रहे थे, तो भारतीय धरातल पर स्वामी जी के रूप में दयानंद सरस्वती का उदय हुआ. उक्त बातें जिला आर्य समाज के तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय विराट वैदिक महायज्ञ व वेद सम्मेलन के 81वां वार्षिकोत्सव के समापन समारोह पर अभ्यानंद आश्रम बारो में आचार्य वैदिक प्रवक्ता, पटना के संजय सत्यार्थी ने कहीं.
उन्होंने कहा कि अगर महर्षि दयानंद सरस्वती नहीं होते, तो देश की आजादी लंबे समय बाद होती. राष्ट्र की रक्षा में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है, तभी तो आजादी के महापर्व 80 फीसदी आर्य समाजी फांसी के फंदे को चूमा. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में देश के जो हालात है. ऐसे समय में राष्ट्र की रक्षा के लिए आर्य सामाजियों को आगे आने की जरूरत है. बदायूं से पधारे आचार्य विजयदेव नैष्ठिक ने कहा कि दयानंद सरस्वती नहीं होते हैं. आजादी की कल्पना करना भी बेइमानी होती है. बरेली के पंडित सत्यदेव शास्त्री व ब्रह्मचारी राष्ट्रवीर ने भजन के माध्यम से लोगों को देश की रक्षा करने का आग्रह किया. इस अवसर पर प्रधान रामदेव आर्य, सुधीर आर्य, ब्रजेश कुमार, रवींद्रनाथ ठाकुर, संतोष कुमार, डॉ चंद्रशेखर आदि उपस्थित थे.
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