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महज सात शक्षिकों के सहारे सात सौ बच्चों का भवष्यि (कैंपस)

महज सात शिक्षकों के सहारे सात सौ बच्चों का भविष्य (कैंपस) तसवीर 1- बदहाल पड़ा विद्यालयतीन कमरों में 300 छात्र व 400 छात्राओं करते हैं पठन-पाठनभगवानपुर. प्रखंड क्षेत्र के राजकीय कृत ब्रह्मस्थान उच्च विद्यालय दामोदरपुर विभागीय उपेक्षा का दंश झेलने को विवश है. आलम यह है कि तीन खपड़ैल कमरे में छात्र-छात्राओं को बैठा कर […]

महज सात शिक्षकों के सहारे सात सौ बच्चों का भविष्य (कैंपस) तसवीर 1- बदहाल पड़ा विद्यालयतीन कमरों में 300 छात्र व 400 छात्राओं करते हैं पठन-पाठनभगवानपुर. प्रखंड क्षेत्र के राजकीय कृत ब्रह्मस्थान उच्च विद्यालय दामोदरपुर विभागीय उपेक्षा का दंश झेलने को विवश है. आलम यह है कि तीन खपड़ैल कमरे में छात्र-छात्राओं को बैठा कर पढ़ाया जाता है. इतना ही नहीं, इन बच्चों के भविष्य संवारने के लिए महज सात शिक्षक ही तैनात हैं. यह विद्यालय आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. विद्यालय के विकास के नाम पर पूर्व सांसद रामजीवन प्रसाद सिंह के द्वारा दिया गया एक पुस्तकालय दिख रहा है. फिलहाल विद्यालय में 300 छात्र एवं 400 छात्राएं हैं. ज्ञात हो कि विद्यालय की समस्या को देखते हुए गत वर्ष तत्कालीन जिला पर्षद अध्यक्ष रतन सिंह द्वारा भवन निर्माण के लिए 25 लाख रुपये दिये गये थे. तत्कालीन डीएम संजीव हंस ने भवन निर्माण की जिम्मेवारी ग्रामीण विकास विभाग को दिया. विभाग ने टेंडर निकाला. संबंधित संवेदक ने कार्य भी शुरू किया, परंतु अफसोस आज की तारीख में लिंटर तक भवन बना कर संवेदक गायब हैं. 10 वर्ष बीतने के बाद भी छत की ढलाई नहीं हुई है. वहीं विद्यालय में प्लस टू की पढ़ाई के लिए मुख्यमंत्री सम विकास योजना अंतर्गत वर्ष 2006-07 में भवन निर्माण के लिए साढ़े 39 लाख रुपये पांच कमरों के निर्माण के लिए आवंटित किया गया था. लेकिन इस योजना से भी अधूरे भवन बना कर छोड़ दिया गया है. अब तक इस अधूरे भवनों पर जंगल उगने लगे हैं. पुस्तकालय में रखे 14 सौ किताबें भी रख-रखाव के अभाव में धूल फांक रही है. बताया जाता है कि विद्यालय में मात्र एक शौचालय है, जिसकी स्थिति काफी दयनीय है. ऐसे में छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वर्षों से लिपिक का पद रिक्त है. इससे प्रधानाध्यापक को ही लिपिक का कार्य निष्पादन करने को विवश होना पड़ता है. इस पर विभाग ध्यान नहीं दे रहा है. * क्या कहते हैं प्रधानाध्यापकसमस्याओं को लेकर विभागीय अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया गया है. लेकिन यहां की समस्या निराकरण की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं. भवन नहीं रहने से पल्स टू की पढ़ाई शुरू करने में अक्षम हैं. सीमित संसाधनों में विद्यालय में बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जा रही है. शिक्षक भी अपेक्षित सहयोग कर रहे हैं.राजीव कुमार सिन्हा, प्रधानाध्यापकब्रह्मस्थान उच्च विद्यालय, दामोदरपुर

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