17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

दुर्घटनाओं में हो रही मौत के लिए कौन है जम्मिेवार?

दुर्घटनाओं में हो रही मौत के लिए कौन है जिम्मेवार? तसवीर-17-बेगूसराय स्टेशनरेल सुविधा में वर्षों से उपेक्षित है बेगूसराय, सेवा के अभाव में करोड़ों घंटे मानव श्रम का प्रतिदिन हो रहा है नुकसानविपिन कुमार मिश्र बेगूसराय (नगर). काश अगर बेगूसराय जिला मुख्यालय व इसके आस-पास के निवासियों व आइओसीएल के कर्मचारियों व परिजनों को बिक्रमशीला, […]

दुर्घटनाओं में हो रही मौत के लिए कौन है जिम्मेवार? तसवीर-17-बेगूसराय स्टेशनरेल सुविधा में वर्षों से उपेक्षित है बेगूसराय, सेवा के अभाव में करोड़ों घंटे मानव श्रम का प्रतिदिन हो रहा है नुकसानविपिन कुमार मिश्र बेगूसराय (नगर). काश अगर बेगूसराय जिला मुख्यालय व इसके आस-पास के निवासियों व आइओसीएल के कर्मचारियों व परिजनों को बिक्रमशीला, पूर्वा, जनसाधारण, जनशताब्दी एक्सप्रेस जैसी द्रुतगामी व व्यावहारिक समय-सारिणी पर चलनेवाली कुछ ट्रेनें होतीं, तो बेगूसराय में रहनेवाली होनहार इंजीनियरिंग की छात्रा रिया सिन्हा जैसे होनहारों या दो-दो फौजी भाइयों की सड़क हादसे में जान नहीं जाती. आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि बेगूसराय से बरौनी, हथिदह, मोकामा, पटना के रास्ते में होनेवाली अधिसंख्य सड़क दुर्घटनाओं के शिकार बेगूसराय या आस-पास के वैसे ही लोग होते रहे हैं, जो ट्रेन पकड़ने के लिए हथिदह, बरौनी या पटना जा रहे होते हैं. कभी तेज रफ्तार ट्रक, सड़क पर गिरा बालू, ओवरलोडिंग, भीषण ठंड व कोहरे के कारण उनकी असमय और दर्दनाक मौत हो जाती है. आखिर रेल असुविधा के तहत कब तक जाती रहेंगी लोगों की जानेंबेगूसराय व आस-पास के लाखों लोगों को आजादी के 68 वर्षों के बाद भी अब तक दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे इत्यादि जैसे महत्वपूर्ण शहरों के लिए सप्ताह में सिर्फ एक या दो दिन की सुविधा उपलब्ध है. आश्चर्य की बात तो यह है कि पूर्वोत्तर भारत के सभी सात राज्यों असम, त्रिपुरा, मिजोरम, नगालैंड, मणिपुर, सिक्किम, मेघालय तथा नॉर्थ बंगाल व भूटान, नेपाल, बर्मा, म्यांमार, बांग्लादेश तक के करोड़ों लोगों को ट्रेन सुविधाओं की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. बेंगलुरु जानेवाली ट्रेन का आरक्षण बेगूसराय में कर दिया गया है बंदबेगूसराय के यात्रियों के साथ उपेक्षा का आलम यह है कि बेंगलुरु जानेवाली ट्रेन का आरक्षण मिलना आज कल बंद कर दिया गया है. राजधानी के ठहराव के नाम पर एक ऐसे राजधानी एक्सप्रेस का ठहराव है. जो सप्ताह में सिर्फ दो दिन ही रुकती है और वह भी 12303 राजधानी एक्सप्रेस जो 10 बजे सुबह पहुंचती है कि जगह दो बजे दिन में पहुंचती है. इन यात्रियों का पूरा दिन बरबाद चला जाता है. इसी तरह की समस्या पूरबिया, अवध-असम एक्सप्रेस, गरीब रथ के साथ भी है. महानंदा, नॉर्थ इस्ट, सीमांचल, आम्रपाली जैसी ट्रेनों को पकड़ने के लिए पहली रात बेगूसराय स्टेशन पर और अगली रात दिल्ली स्टेशन के प्लेटफॉर्म या होटल में बितानी पड़ती है. यदि मात्र 20 से 30 किलोमीटर दूर हथिदह से 2.30 से 3.00 के बीच पूर्वा, बिक्रमशीला से दिल्ली का सफर किया जाये, तो सुबह 7.30 से 8.30 बजे तक लोग दिल्ली पहुंच जाते हैं और अगले दिन पूरा समय अपना काम कर सकते हैं. इस प्रकार की समय सारिणी और उपयुक्त सेवा के अभाव में प्रतिदिन करोड़ों घंटे मानव श्रम का नुकसान होता है. जो राष्ट्रहित में व्यापक क्षति है. मुंह चिढ़ा कर बेगूसराय स्टेशन से निकल जाती हैं 11 जोड़ी ट्रेनेंबेगूसराय के लोगों के साथ उपेक्षा का आलम यह भी है कि इस स्टेशन से प्रतिदन 11 जोड़ी ट्रेन मुंह चिढ़ा कर आगे निकल जाती है. बेगूसराय एवं आस-पास के लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर बेगूसराय जिसे बिहार की औद्यौगिक राजधानी भी कहा जाता है. इसके साथ उपेक्षा क्यों हो रही है. सवाल यह है कि नौगछिया, हथिदह, मोकामा जैसे छोटे स्टेशनों पर यदि महत्वपूर्ण लंबी दूरी की ट्रेनों का ठहराव हो सकता है, तो बेगूसराय जैसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों पर क्यों नहीं है. यह भी आश्चर्यजनक बात ही कहा जाये कि तमाम मजबूरी के बाद भी बेगूसराय रेलवे स्टेशन राजस्व देने में अव्वल है. ज्ञात हो कि रेलवे की एक नीति के अनुसार उन सभी रेल यात्रियों का जो हथिदह, बरौनी, मोकामा या पटना जाने के लिए ट्रेन पकड़ते हैं. उनके टिकट का पैसा बेगूसराय के बजाय उन स्टेशनों की आमदनी में जोड़ दिया जाता है. चाहे वह टिकट इंटरनेट से कटा हो या फिर काउंटर से. एक अनुमान के अनुसार दिल्ली जानेवाले 90 प्रतिशत से भी ज्यादा छात्र-मजदूर, व्यवसायी उपयुक्त व पर्याप्त रेल सुविधा के अभाव में बरौनी, हथिदह, मोकामा या पटना जाकर ट्रेन पकड़ने के लिए मजबूर होते हैं. हावड़ा, मुंबई, सूरत, अहमदाबाद, हैदराबाद समेत अन्य शहरों के लिए भी लोगों को अन्यत्र से भी यात्रा शुरू करनी पड़ती है. बेगूसराय स्टेशन साधन और सुविधा संपन्न बने इस दिशा में लगातार विभिन्न संघ-संगठनों के प्रतिनिधियों के द्वारा लगातार आवाज बुलंद की गयी है. यहां तक कि कई बार रेलवे स्टेशन के निरीक्षण के लिए पहुंचनेवाले रेलवे के आला अधिकारियों का भी ध्यान आकृष्ट कराते हुए इन प्रतिनिधियों के द्वारा स्मार पत्र सौंपा गया है लेकिन बेगूसराय स्टेशन आज भी अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. यहां के यात्री लंबी दूरी की डायरेक्ट यात्रा करने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को विवश हो रहे हैं. क्या कहते हैं लोग नेशनल हाइवे पर अकाल मौत के जिम्मेवार लोगों के बहरे कानों तक आवाज पहुंचाने के लिए दैनिक रेल यात्री संघ बेगूसराय सदैव तत्पर रहा है. रेल प्रशासन व बोर्ड तथा जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं व आमलोगों की सक्रिय भागीदारी व उपेक्षा के कारण लोग आज भी अपनी जान हथेली पर रख कर हथिदह, मोकामा, बरौनी, पटना जाकर ट्रेन पकड़ते हैं. राजीव कुमारमहासचिवदैनिक रेल यात्री संघविभागीय उपेक्षा के कारण बेगूसराय के लोग रेल सुविधा से वंचित हो रहे हैं. नतीजा है कि लोग अपनी बहू-बेटियों, बुर्जुगों को टाटा-टेंपो, मोटरसाइकिल से इस भारी ठंड को शह कर यात्रा करने को विवश हैं. इस दिशा में सकारात्मक पहल होना चाहिए. अन्यथा संघ आंदोलन के लिए विवश होगा.विष्णुदेव सिंहअध्यक्ष, दैनिक रेल यात्री संघबेगूसराय: एक साजिश के तहत बेगूसराय स्टेशन को सुविधा से वंचित रखा जा रहा है. इसको लेकर कई बार आंदोलन भी किया गया है लेकिन रेल विभाग की कुंभकरिणी नींद अब तक बेगूसराय स्टेशन की व्यवस्था में सुधार के प्रति नहीं टूट पायी है. नतीजा है कि हम एक बार फिर आंदोलन की रूपरेखा बनायी जा रही है. अंजनी सिंहमाकपा नेता, बेगूसराय: बेगूसराय बिहार की औद्यौगिक राजधानी मानी जाती है. राजस्व देने में अव्वल रहने के बाद भी बेगूसराय स्टेशन सुविधाओं से कोसों दूर है. यहां के मेधावी छात्र-छात्राओं की जान सुविधा नहीं मिलने को लेकर जा रही है. जो काफी चिंतनीय है. इस दिशा में रेलवे मंत्रालय और रेल विभाग को सकारात्मक पहल करनी चाहिए ताकि लोगों को सुविधाएं मिल सके और उनकी जान सुरक्षित रहे.संजय कुमारनिदेशक, बाइट कंप्यूटरबेगूसराय

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें