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स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर दूसरे लोगों का कब्जा

बेगूसराय (नगर) : राज्य सरकार भले ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर काम करने का दावा करती हो, लेकिन सच्चाई यह है कि समाज के निचले पायदान पर रहनेवाले जरूरतमंद लोग अभी भी स्वास्थ्य सेवा से कोसों दूर हैं. शासन और प्रशासन के पास इस बात की सुधि लेने के लिए भी वक्त नहीं है. […]

बेगूसराय (नगर) : राज्य सरकार भले ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर काम करने का दावा करती हो, लेकिन सच्चाई यह है कि समाज के निचले पायदान पर रहनेवाले जरूरतमंद लोग अभी भी स्वास्थ्य सेवा से कोसों दूर हैं. शासन और प्रशासन के पास इस बात की सुधि लेने के लिए भी वक्त नहीं है.

नतीजा है कि ऐसे लोगों की परेशानियां दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. कई बार लोगों ने इस समस्या की ओर जिला प्रशासन से लेकर सरकार तक का ध्यान आकृष्ट कराया, लेकिन आज तक इस समस्या का निराकरण नहीं हो पाया, नतीजा लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. पंचायत से निगम में आनेवाले 10 वार्डों में स्वास्थ्य व्यवस्थाबेगूसराय नगर निगम में कुल 45 वार्ड हैं.

इसमें से 10 वैसे वार्ड हैं, जो पंचायत से अपनी यात्रा कर निगम में पहुंचे हैं. इन लोगों की स्थिति सबसे खराब है. न तो इन्हें पंचायत की सुविधा मिल रही है और न ही बेगूसराय नगर निगम में रहने का ही लाभ मिल रहा है. अब स्थिति यह है कि यहां के लोग अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं.

पंचायत से निगम में आये 10 वार्डों में पूर्व से संचालित स्वास्थ्य उपकेंद्रों की स्थिति भगवान भरोसे है. आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि इन स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर राहगीरों व दूसरे लोगों का कब्जा है. यहां स्वास्थ्यकर्मी भी कार्यरत हैं, जो मात्र कागज पर हैं. इन स्वास्थ्य कर्मियों का दर्शन यहां के लोगों को कभी नहीं हो पाता. बताया जाता है कि इस समस्या की ओर कई बार प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग का ध्यान आकृष्ट कराया गया, लेकिन स्थिति यथावत है.

वार्ड नंबर 45 का उपस्वास्थ्य केंद्र बना ठहराव स्थलनगर निगम क्षेत्र के वार्ड नंबर 45 वाजितपुर गांव में अवस्थित स्वास्थ्य उपकेंद्र महज लोगों के लिए दिखावा बन कर रह गया है. यहां स्वास्थ्यकर्मियों के नहीं आने व दवा के उपलब्ध नहीं रहने से रोगी भी नहीं आते हैं. यदा-कदा रोगी एवं कार्यरत एएनएम के बीच मुलाकात हो जाये, तो आनेवाले रोगियों को दवा की उपलब्धता नहीं बता कर सदर अस्पताल जाने की सलाह दे दी जाती है.

लगातार उक्त स्वास्थ्य उपकेंद्र के बंद रहने से आसपास व उस रास्ते से गुजरनेवाले लोगों के लिए ठहराव स्थल बन कर रह गया है. वर्ष 2012 में हुआ था उपकेंद्र का उद्घाटनदूर-दराज के लोगों की सुविधा के लिए वर्ष 2012 में तत्कालीन सीएस सोनेलाल अकेला के द्वारा उक्त उप स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन किया गया था. उद्घाटन समारोह में तत्कालीन सीएस ने एक सप्ताह में नियमित रूप से चिकित्सक व अन्य सुविधा उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था.

उस समय आसपास के लोगों में स्वास्थ्य सेवा को लेकर आशा की किरण जगी थी. लेकिन, आज तक उक्त उपकेंद्र में चिकित्सक पदस्थापित नहीं हो पाये हैं और न ही किसी तरह की सुविधा ही उपलब्ध करायी जा सकी है. वार्ड 45 के लोग स्वास्थ्य सुविधा से हो रहे वंचितउक्त स्वास्थ्य उपकेंद्र में सुविधा उपलब्ध नहीं रहने से आसपास के गांवों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है.

आपातकालीन स्थिति में इलाज के लिए ले जा रहे रोगियों की जान रास्ते में ही चली जाती है. कमोवेश यही हाल जिले में कार्यरत अन्य उपस्वास्थ्य केंद्रों की भी है. सही देखरेख के अभाव में अधिकतर उपस्वास्थ्य केंद्र पर दूसरे लोगों का कब्जा है. क्या कहते हैं लोगमहीने-दो महीने में एक दिन नर्स आती है और बैठ कर चली जाती है. लोगों को इस उपकेंद्र का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस दिशा में जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग को पहल करनी चाहिए.

भूखन पासवानइस अस्पताल में न तो कर्मी है और न ही दवा उपलबध है. आनेवाले रोगियों को निराश होकर लौटना पड़ता है. इस दिशा में शासन व प्रशासन को ठोस पहल करनी चाहिए. ताकि जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिल सके. चंदर पासवानजिस उद्देश्य से इस उपकेंद्र की स्थापना की गयी थी. उसके तहत आज तक लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है. प्रतिदिन रोगी यहां से लौट कर चले जाते हैं. आज तक यहां किसी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है.

राजीव पासवानइस केंद्र की बदहाली के बारे में आपसे जानकारी मिली है. इसका रिपोर्ट मंगाता हूं. उसके बाद इस पर कार्रवाई की जायेगी. जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग चिकित्सा सेवा के प्रति पूरी तरह से कृतसंकल्पित है. डॉ हरिनारायण सिंह, सिविल सर्जन, बेगूसराय

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