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बेगूसराय (नगर) : शराब शब्द किसी को अच्छा, तो किसी को बुरा लगता है लेकिन आज के बदलते परिवेश में शराब अधिसंख्य लोगों की चाहत बनी हुई है. नतीजा है कि शराब के चक्कर में पड़ कर कई लोग अपना सब कुछ न्योछावर कर बैठते हैं. गत कुछ वर्षों में बिहार में शराब का कारोबार […]

बेगूसराय (नगर) : शराब शब्द किसी को अच्छा, तो किसी को बुरा लगता है लेकिन आज के बदलते परिवेश में शराब अधिसंख्य लोगों की चाहत बनी हुई है. नतीजा है कि शराब के चक्कर में पड़ कर कई लोग अपना सब कुछ न्योछावर कर बैठते हैं.

गत कुछ वर्षों में बिहार में शराब का कारोबार इस कदर बढ़ गया कि लोग रात में क्या कहें दिन भी शराब के नशे में सड़कों पर कारनामे करते प्रतिदिन देखे जाने लगे. गरीबों व कम पूंजीवाले लोगों के बीच यह रंथी एक्सप्रेस के नाम से प्रसिद्ध था. जो इसके नशे में धुत होकर सड़क या अन्य सार्वजनिक स्थलों पर अक्सर कारनामे करते देखते जाते थे. अब इसका कमाल एक अप्रैल से देखने को नहीं मिलेगा. स्कूल-कॉलेज हो या मसजिद-मंदिर समेत सार्वजनिक जगहों पर शराब की दुकानें खुल गयी.

प्रतिवर्ष मार्च के माह में शराब का टेंडर होना शुरू हो गया था. जिला प्रशासन के आला अधिकारी भी इस कार्य में पूरी मुश्तैदी से जुट जाते थे. उन्हें भी सरकार के राजस्व को पूरा करना होता था. शराब दुकानों के टेंडर के दिन समाहरणालय का कारगिल भवन एवं आस-पास का इलाका मेले में तब्दील हो जाता था. दुकान लेनेवालों की होड़ मची रहती थी और मनमाना बोली इसके लिए लगती थी. शराब के बढ़ते प्रचलन का दंश गांव से लेकर शहर तक के लोग झेलने के लिए मजबूर होने लगे.

ग्रामीण क्षेत्रों में और अधिक परेशानी बढ़ गयी. दिन भर कड़ी मेहनत कर काम करनेवाले दैनिक मजदूर जिनके ऊपर परिवार चलाने का दायित्व है, वैसे लोग भी इसके चक्कर में पड़ कर अपनी कमाई का अधिकतर हिस्सा शराब के ऊपर ही खर्च कर बैठते थे. जिले के कई भागों में गत कुछ वर्षों में शराब के बढ़ते प्रचलन पर रोक लगाने के लिए महिला संगठनों खास कर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने भी इसका कड़ा विरोध करते हुए शराब दुकान तक को ध्वस्त करने का अभियान चलाया.

प्रशासन की भी कुछ मजबूरी थी. इसको लेकर इस पर पूर्ण रोक लगाना उनके बूते के बाहर था. 26 नवंबर का दिन शायद वैसे हजारों लोगों खास कर उन घर की महिलाओं के लिए ऐतिहासिक दिन साबित होगा, जब बिहार सरकार ने मद्य दिवस के मौके पर आगामी एक अप्रैल, 2016 से शराब की बिक्री पर पूर्ण रोक लगाने की घोषणा कर दी है. हालांकि उक्त घोषणा किस तरह का कारगर साबित होगा, वह तो आगामी एक अप्र्रैल के बाद ही पता चल पायेगा लेकिन इतना बात अवश्य है कि सरकार की इस घोषणा की सर्वत्र सराहना हो रही है.

शराब के कारोबारियों में जबरदस्त निराशा : मद्यपान दिवस के मौके पर बिहार सरकार के द्वारा शराब बिक्री पर रोक लगाने के ऐतिहासिक फैसले का भले ही बिहार और बेगूसराय की जनता में सराहना हो रही है. दूसरी ओर सैकड़ों शराब कारोबारियों में जबरदस्त निराशा देखी जा रही है, जो इस शराब की बदौलत मोटी कमाई करते थे.
जैसे ही सरकार के द्वारा इस फैसले का प्रसारण हुआ कि इन कारोबारियों के चेहरे पर निराशा का भाव देखा गया. पूरे दिन इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गरम रहा. शराब कारोबारी अब इसके बदले कौन-सा रोजगार कर अपनी कमाई के जरिये को बरकरार रखेंगे. इस पर गहन चिंतन शुरू हो गया है.
क्या कहते हैं लोग
शराब की बिक्री पर रोक स्वागत योग्य कदम है. यह बहुत पहले ही हो जाना चाहिए. इसकी बिक्री पर रोक लगने से अब भी बड़ी संख्या में लोगों का परिवार छिन्न-भिन्न होने से बच पायेगा.
अनिल पतंग, रंगकर्मी
शराब बिक्री पर रोक सरकार का ऐतिहासिक फैसला है. इसकी सर्वत्र सराहना हो रही है. इसके लिए लंबे समय से कुछ संगठनों के द्वारा प्रयास किया जा रहा था.
संजय सिंह, कांग्रेस नेता
शराब बिक्री पर रोक लगा कर सरकार ने साहसिक कदम उठाया है. इससे सरकार की लोकप्रियता बढ़ेगी और स्वस्थ समाज का निर्माण होगा.
अशोक कुमार सिंह, प्राचार्य, एमआरजेडी कॉलेज
शराब बिक्री पर रोक लगा कर सरकार ने बिहार के लाखों लोगों का सम्मान किया है. इसका सर्वत्र स्वागत होना चाहिए. इससे सरकार की लोकप्रियता और बढ़ेगी.
सुशील कुमार झा, व्यवसायी
शराब बिक्री पर रोक लगा कर बिहार की सरकार खास कर नीतीश कुमार ने ऐतिहासिक कदम उठाया है. इसकी जितनी सराहना की जाये, वह कम होगी.
डॉ संजीव कुमार अग्रवाल, दंत रोग विशेषज्ञ
बिहार सरकार ने एक अप्रैल से शराब बिक्री पर रोक लगा कर सैकड़ों गरीबों के परिवार को उजड़ने से बचा लिया है. यह स्वागत योग्य कदम है.
एहतेशामुल हक अंसारी, बीड़ी मजदूर नेता
एक अप्रैल से बिहार सरकार ने शराब बिक्री पर रोक लगाने की घोषणा कर ऐतिहासिक कदम उठाया है. इस पर रोक लगने से अब स्वस्थ समाज के साथ-साथ आपसी भाईचारा भी मजबूत होगा.
सुरेश रोशन, उपमुख्य पार्षद, तेघड़ा नगर पंचायत
शराब बिक्री पर रोक लगा कर महागंठबंधन की सरकार ने बिहार और बेगूसराय की हजारों महिलाओं का सम्मान किया है, जो महिलाएं कहीं-न-कहीं इस बढ़ते प्रचलन को लेकर त्रस्त थी. सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है.
डॉ उर्मिला ठाकुर, राजद नेत्री

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