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मौत का कुआं बना माधुरी ढाला- बनद्वार पथ

मौत का कुआं बना माधुरी ढाला- बनद्वार पथ तसवीर- 15 – जर्जर सड़क का नजाराधरातल से कोसों दूर है सरकारी दावा, जर्जर सड़क से एक लाख की आबादी हो रही कुप्रभावित नीमाचांदपुरा. सरकार भले ही सड़कों का जाल बिछाने का ढिंढोरा पीट रही है, परंतु ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें आज भी बदहाली पर आंसू बहाने […]

मौत का कुआं बना माधुरी ढाला- बनद्वार पथ तसवीर- 15 – जर्जर सड़क का नजाराधरातल से कोसों दूर है सरकारी दावा, जर्जर सड़क से एक लाख की आबादी हो रही कुप्रभावित नीमाचांदपुरा. सरकार भले ही सड़कों का जाल बिछाने का ढिंढोरा पीट रही है, परंतु ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें आज भी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. इसका एक नमूना बेगूसराय-रोसड़ा पथ (एसएच 55) से सटे माधुरी ढाले से बनद्वार जानेवाली सड़क है. जानकारी के अनुसार विभागीय अधिकारियों की लापरवाही एवं जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण यह पथ वर्षों से मौत का कुआं बना हुआ है. लगभग सात किलोमीटर की दूरी में सात हजार से अधिक छोटे-बड़े गड्ढे बने हुए हैं. ऐसा कहें कि सड़क में गड्ढे या गड्ढे में सड़क, इसका फर्क मिट चुका है. इस सड़क पर कभी भी एक बड़ी दुर्घटना हो सकती है. सब कुछ जानते हुए संबंधित अधिकारी व जनप्रतिनिधि मौन हैं. सूत्रों की माने तो इस सड़क के निर्माण को लेकर कई बार विभागीय टेंडर निकला है, परंतु प्राकलित राशि कम रहने के कारण कोई भी संवेदक टेंडर लेने को तैयार नहीं हुआ. यही वजह है कि सड़क बदहाल पड़ी है. इस सड़क की जर्जरता से इलाके की एक लाख आबादी कुप्रभावित हो रही है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जर्जर सड़क के कारण आये दिनों बाइक सवार गिर कर घायल होने की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं और तो ओर इस सड़क पर चलनेवाली सवार गाड़ियों पर सवार यात्री राम नाम का याद कर यात्रा करने को विवश हो रहे हैं. दुर्भाग्य है कि जातीय समीकरण के पेच में जनहित से जुड़ी इस सड़क की बदहाली का मुद्दा विधानसभा चुनाव में भी नहीं बन सका. क्या कहते हैं इलाके के लोगविभागीय अधिकारियों के कारण यह सड़क बदहाली पर आंसू बहा रही है. ऐसे में इस सड़क पर किसी प्रकार की अप्रिय घटना होती है, तो इसकी जिम्मेवारी संबंधित हाकिम की होगी. गौतम कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता अझौरसरकार व विभाग के अधिकारियों का ऐसा रवैया रहा, तो कभी भी आंदोलन का रूप ले लिया जायेगा. अभिषेक कुमार, छात्र नेता, एनएसयूआइ इस सड़क के जर्जर रहने के जो रिश्तेदार एक बार आते हैं. वे दोबारा आने की हिम्मत नहीं करते हैं. यह सबसे बड़ा दर्द है.गोपाल साह, संचालक वसुधा केंद्रइस जर्जर सड़क का शीघ्र जीर्णोद्धार नहीं होगा, तो युवा वर्ग जिला प्रशासन के विरोध में बिगुल फूंकने को विवश हो जायेंगे.मो जसीम, महासचिव, एनएसयूआइ

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