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डग्रिी कॉलेज व रेफरल अस्ताल के लिए तरस रहे हैं लोग (चुनाव पेज के लिए)

डिग्री कॉलेज व रेफरल अस्ताल के लिए तरस रहे हैं लोग (चुनाव पेज के लिए) आजादी के 68 साल बाद भी किसी ने नमक सत्याग्रह स्थल के नमक की नहीं कर सके कर्ज अदाबेगूसराय/बखरी. जब-जब चुनाव आता है, तो नमक आंदोलन के नाम पर राजनीति करने के लिए हर दल बखरी विधानसभा क्षेत्र की ओर […]

डिग्री कॉलेज व रेफरल अस्ताल के लिए तरस रहे हैं लोग (चुनाव पेज के लिए) आजादी के 68 साल बाद भी किसी ने नमक सत्याग्रह स्थल के नमक की नहीं कर सके कर्ज अदाबेगूसराय/बखरी. जब-जब चुनाव आता है, तो नमक आंदोलन के नाम पर राजनीति करने के लिए हर दल बखरी विधानसभा क्षेत्र की ओर दौड़े चला आता है लेकिन सच तो यह है कि आजादी के 68 वर्षों के बाद भी नमक सत्याग्रह स्थल के निर्माण के लिए अब तक किसी ने नमक का कर्ज अदा नहीं किया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर जीतन राम मांझी, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, पर्यटन मंत्री सुनील कुमार पिंटू समेत लालू प्रसाद और राबड़ी देवी भी यहां से अपने चुनावी जुमलों को जनता के बीच परोस चुके हैं. लेकिन अब तक इसके हालात में कोई खास बदलाव नहीं आ पाया है. गढ़पुरा, बखरी, नावकोठी प्रखंडों को मिला कर बना यह विधानसभा क्षेत्र अब तक एक डिग्री कॉलेज के लिए छटपटा रहा है. यहां के अधिसंख्य बच्चे अब भी डिग्री की पढ़ाई के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं. महज एक रेफरल अस्पताल के लिए वर्षों से लोगों को स्वास्थ्य की सुविधाओं के लिए बेगूसराय और पटना की ओर देखना पड़ रहा है. आवागमन की बेहतर सुविधा नहीं होने से यहां की जन अपेक्षाएं बार-बार ठोकर खा रही हैं. ब्रह्मदेवनगर डरहा, चंद्रभागा नदी पर पुल व जोकियाही पुल की मांग वर्षों से चली आ रही है. वहीं बखरी, नावकोठी व गढ़पुरा पथ जर्जर हालत में है. बखरी का सलौना स्टेशन राजस्व में सबसे आगे रहा है. फिर भी दो एक्सप्रेस और पांच जोड़ी सवारी गाड़ी के ठहराव के अलावे कुछ भी नहीं है. मिर्च का बहुत बड़ा व्यापारिक केंद्र रहे बखरी के व्यवसायियों को रोजगार के क्षेत्र में सर्वांगीण विकास के लिए रोना पड़ रहा है. मक्का उत्पादन के लिए चर्चित यह क्षेत्र मूलत: व्यवसाय का बड़ा केंद्र बन सकता था. विधानसभा का यह इलाका तंत्र-मंत्र और पारंपरिक लोक गाथाओं का प्राचीन केंद्र रहा है. फिर भी इनकी जीवंतता के लिए इनके संरक्षण के लिए अब तक कोई कार्य नहीं हो पाया है. गढ़पुरा का हरिगिरिधाम भी भारतीय पर्यटन मानचित्र में शामिल होने के लिए सरकार की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहा है. जबकि जनता को एक बार फिर सपने दिखाये जा रहे हैं. जो शायद कल सच हो या न हो.

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