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नगर निगम क्षेत्र में लोगों को नहीं मिल रहा पीने का स्वच्छ पानी

तीन लाख की आबादी में 25 प्रतिशत लोगों को ही उपलब्ध हो रहा सप्लाइ का पानी बेगूसराय (नगर) : नगर निकाय क्षेत्र में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की योजना पूर्णरू पेण विफल साबित हो रही है. विभागीय उदासीनता के कारण आज तक इस योजना को आमलोगों के बीच कारगर नहीं बनाया जा सका है. नतीजा […]

तीन लाख की आबादी में 25 प्रतिशत लोगों को ही उपलब्ध हो रहा सप्लाइ का पानी
बेगूसराय (नगर) : नगर निकाय क्षेत्र में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की योजना पूर्णरू पेण विफल साबित हो रही है. विभागीय उदासीनता के कारण आज तक इस योजना को आमलोगों के बीच कारगर नहीं बनाया जा सका है. नतीजा है कि लोग स्वच्छ पानी अब खरीद कर पीने को विवश हैं.
पानी की किल्लत व स्वच्छ पानी के अभाव के कारण इन दिनों पानी का बाजार गांव से लेक र शहर तक बढ़ गया है. विभाग के द्वारा जो पानी उपलब्ध भी कराया जा रहा है, उसमें स्वच्छता का अभाव है. नतीजा है कि वैसे क्षेत्र में भी जहां वाटर सप्लाइ हो रही है लोग इस पानी को पीने के लिए अपना मुंह मोड़ लेते हैं. अन्य कार्यो के ही उपयोग में इस पानी को लाया जाता है.
निगम क्षेत्र में हैं 45 वार्ड
नगर निगम में इन दिनों 45 वार्ड हैं. इसकी कुल आबादी लगभग तीन लाख के आस-पास है. इसमें से 20 से लेकर 25 प्रतिशत तक निगम क्षेत्र में रहनेवाले लोगों को ही पीएचइडी के द्वारा उपलबध करायी गयी वाटर सप्लाइ का लाभ मिल पाता है. हालांकि, नगर निगम बनने के बाद इस योजना में किसी प्रकार का सुधार नहीं हुआ है. पूर्व में नगर पर्षद क्षेत्र के तहत जो वार्ड थे उन्हीं वार्डो में से कुछ लोगों के बीच वाटर सप्लाइ की जा रही है. उस पानी में भी किसी प्रकार की शुद्धता नहीं है. इसके चलते वाटर सप्लाइ का पानी पीने से लोग परहेज करते हैं. यह बात जरू र है कि यह पानी वैसे परिवारों के बीच दैनिक काम के प्रयोग में जरू र लाये जाते हैं.
2002 में मिली थी नये तरीके की स्वीकृति
वर्ष 2002 में ग्रामीण जलापूर्ति योजना की स्वीकृति नया तरीका से बनाने के लिए मिली थी. इसके तहत तीन टंकी शहर के चट्टी रोड, हर्रख और मुफस्सिल थाने के प्रांगण में बनाया गया. इसमें 8 करोड़, 13 लाख की योजना से 66 किलोमीटर में वाटर सप्लाइ हेतु पाइप बिछायी जानी थी, लेकिन काम में विलंब और बाजार मूल्य में वृद्धि को लेकर टंकी बनने के बाद पाइप लाइन कम पड़ गया और मात्र 28 किलोमीटर में ही वाटर सप्लाइ के लिए पाइप बिछायी गयी. बताया जाता है कि यह सब बेगूसराय नगर पर्षद के समय में ही हुआ. जब से बेगूसराय नगर निगम बना, इसमें किसी प्रकार का सुधार नहीं हुआ. नगर पर्षद के बाद निगम के रू प में इसमें 10 वार्ड शामिल किये गये. लेकिन, व्यवस्था पुरानी पद्धति पर ही आज भी चल रही है. ऐसे में लोगों को पानी उपलब्ध कराना बेमानी है.
नहीं है पानी में शुद्धता का कोई पैमाना
वाटर सप्लाइ के तहत मिलनेवाले पानी में कोई शुद्धता का पैमाना नहीं है. बताया जाता है कि पानी में आयरन की मात्र अधिक रहने के कारण लोगों के लिए यह पानी घातक साबित हो रहा है. पानी की शुद्धता के लिए कई जगहों पर यंत्र भी लगाये गये, लेकिन सही देख-रेख के अभाव में यह यंत्र भी दम तोड़ देता है. कुल मिला कर कहा जाये तो जब तक नये सिरे से इस योजना को नगर निगम क्षेत्र में कार्यान्वित नहीं किया जायेगा, तब तक इस योजना को शत-प्रतिशत धरातल पर उतारना नामुमकिन है.
सप्लाइ के पानी को नहीं है कोई देखनेवाला
वाटर सप्लाइ के तहत जो पानी लोगों को मुहैया कराया जा रहा है. उसका केयर करनेवाला कोई नहीं है. नतीजा है कि कहीं नल टूटा रहने के कारण पानी बहता हुआ दिख रहा है, तो कहीं पाइप में लिकेज के कारण पानी का दुरुपयोग हो रहा है. अब सवाल यह उठता है कि जब तक इस पानी सप्लाइ का देखभाल करनेवाला कोई नहीं होगा तब तक इसी तरह से पानी का दुरुपयोग होता रहेगा.
शुद्ध पानी के लिए सीलबंद पानी की मांग
पानी में शुद्धता नहीं रहने और सुलभ तरीके से पानी उपलब्ध नहीं रहने के कारण लोग अब बाजारों में बिकनेवाले सीलबंद पानी का उपयोग करने लगे हैं. इसी का नतीजा है कि इस पानी के बाजार में काफी तेजी आ गयी है. गांव से लेकर शहर तक में अब इस पानी को घर-घर पहुंचाया जा रहा है. शहरी क्षेत्र में दर्जनों पानी के केंद्र खुल गये हैं. जहां से लोग खरीद कर पानी पी रहे हैं.
अधिकांश घरों में पानी के कारोबार में लगे लोगों के द्वारा प्रतिदिन पानी का जार पहुंचाया जा रहा है. बताया जाता है कि प्रत्येक परिवार में 50 से लेकर दो सौ रुपये तक का पानी लोग खरीद कर पी रहे हैं. किसी प्रकार का कार्यक्रम हो या फिर पर्व-त्योहार से लेकर शुभ-अशुभ के कामों में भी अब लोग पानी खरीद कर ही अपना काम करते हैं.

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