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जनविरोधी है भूमि अधिग्रहण बिल

किसानों व खेत मजदूरों को गांव से उजाड़ना चाहती है मोदी सरकार बेगूसराय (नगर). 70 करोड़ किसानों एवं खेत मजदूरों को गांव से उजाड़ कर शहरों में गंदी झोंपड़ पट्टी में बसने, भीख मांगने या मोदी की स्मार्ट सिटी में पोंछा लगाने, झाड़ू लगाने, उनके गंदे नालों की सफाई करने हेतु मोदी सरकार ने जनविरोधी […]

किसानों व खेत मजदूरों को गांव से उजाड़ना चाहती है मोदी सरकार बेगूसराय (नगर). 70 करोड़ किसानों एवं खेत मजदूरों को गांव से उजाड़ कर शहरों में गंदी झोंपड़ पट्टी में बसने, भीख मांगने या मोदी की स्मार्ट सिटी में पोंछा लगाने, झाड़ू लगाने, उनके गंदे नालों की सफाई करने हेतु मोदी सरकार ने जनविरोधी भूमि अधिग्रहण अध्यादेश 2015 मुल्क पर जबरदस्ती थोपने के लिए बेचैन है. उक्त बातें बिहार राज्य किसान सभा के कार्यकारी महासचिव अशोक प्रसाद सिंह ने अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक भवन में किसानों व खेत-मजदूरों को संबोधित करते हुए कहीं. श्री सिंह ने कहा कि खेती हमारे लिए जीविका का साधन ही नहीं है, वरन एक जीवनशैली है. आज मोदी की सरकार हमारी धरती मां को हमसे अपनी सत्ता के नशे में मदहोश होकर जबरदस्ती हमसे छीनने के लिए कानून बनाना चाहती है. यह हम किसी भी कीमत में नहीं होने देंगे. सभा की अध्यक्षता जिले के खेत-मजदूर किसान नेता कमली महतो एवं किसान नेता कुमार गणेश सिंह ने की. बैठक को संबोधित करते हुए बिहार राज्य खेत मजदूर यूनियन के जिला सचिव राजेंद्र सहनी ने भूमिहीनों को मुफ्त में बास की जमीन देने, 365 दिन मनरेगा में काम तथा 500 रुपये दैनिक मजदूरी की मांग के साथ संघर्ष को तेज करने का आह्वान किया. इस मौके पर उन्होंने 21 मई को अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ भवन में आयोजित किसानों व खेत मजदूरों के कन्वेंशन एवं 25 मई को जिला समाहर्ता के समक्ष प्रदर्शन को सफल बनाने की अपील की. बैठक को किसान-मजदूर नेता दिनेश सिंह, टुनटुन दास, चंद्रभूषण सिंह, गनी चौधरी, विजय सिंह, शिवजी यादव, रामनंदन महतो समेत अन्य लोग उपस्थित थे.

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