* सामंती वर्चस्व को समाप्त करने का लिया गया संकल्प
।। विपिन कुमार मिश्र ।।
बेगूसराय : देश में खेती का संकट और गहरा गया है. बगैर भूमि सुधार के कुछ भी संभव नहीं है. इसके लिए किसान संगठनों को एक सूत्र में बांध कर संघर्ष को और तेज किया जायेगा.
इस तरह का संकल्प बेगूसराय में बिहार राज्य किसान सभा के तीन दिवसीय 35वें सम्मेलन के आखिरी दिन नेताओं व प्रतिनिधियों ने लिया. तीन दिनों से सम्मेलन को लेकर बेगूसराय की धरती लाल झंडे से पटा हुआ था. प्रतिनिधियों के चेहरे पर संघर्ष का भाव स्पष्ट दिखाई पड़ रहा था.
सम्मेलन के दौरान तीन दिनों तक बेगूसराय की इस धरती पर देश के वर्तमान हालात, कृषि व्यवस्था, किसानों की बदतर स्थिति, केंद्र व राज्य सरकारों की विफलता पर जम कर बहस हुई. इस बहस से निकल कर जो बातें सामने आयीं, उसमें किसान संगठनों को मजबूत कर संघर्ष को और तेज करने की बात कही गयी.
इसी संघर्ष के आगाज के साथ राज्य के विभिन्न जिलों से आये लगभग 500 प्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्र के लिए रवाना हुए. सम्मेलन में संगठन के राज्य महामंत्री अवधेश कुमार ने प्रतिवेदन पेश करते हुए बिहार के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक संरचना समेत कई अन्य मुद्दों को प्रतिनिधियों के समक्ष रखा.
उन्होंने कहा कि बगैर भूमि सुधार के कुछ भी नहीं होनेवाला है. इसमें बिहार सरकार की भूमिका नकारात्मक रही है. डी बंदोपाध्याय कमेटी की अनुशंसा को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.
हमारा एक ही नारा है कि पहले हकबंदी, तब हो चकबंदी. सीपीएम के राज्य सचिव विजयकांत ठाकुर ने कहा कि बिहार में भूमि मुक्ति आंदोलन यहां के जनजीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए अत्यावश्यक है. उन्होंने संगठन के प्रतिनिधियों से इस दिशा में सकारात्मक संघर्ष का आह्नन किया.
सीटू के राज्य सचिव गणोश शंकर सिंह, जनवादी लेखक संघ के राज्य संयुक्त सचिव विनिताभ, अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के राज्य संयुक्त सचिव शशिकांत राय ने सम्मेलन में विरादना संगठनों की ओर से अभिनंदन वक्तव्य देते हुए आनेवाले समय में किसान आंदोलन को विकसित करने के प्रति अपना समर्थन दिया. सम्मेलन के मौके पर कुछ प्रस्ताव पारित किये गये.
भूमि सुधार से संबंधित प्रस्ताव विजयकांत ठाकुर ने पेश किया. विनोद कुमार झा ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया. बाढ़ और सुखाड़ से निजात दिलाने के लिए जल प्रबंधन का प्रस्ताव श्याम भारती ने पेश किया. ध्रुव त्रिवेदी ने इसका समर्थन किया. दिनेश प्रसाद सिंह ने महिला उत्पीड़न के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया और राज कुमार यादव ने इसका समर्थन किया. बरौनी फर्टिलाइजर कारखाने को जिंदा करने की मांग का प्रस्ताव रत्नेश्वर ठाकुर ने पेश किया, जिसका हरेराम चौधरी ने समर्थन किया.
सम्मेलन के समापन के मौके पर अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त महामंत्री नंद किशोर शुक्ल ने प्रतिनिधियों में जोश भरने का काम किया. उन्होंने कहा कि देश गंभीर कृषि संकट से गुजर रहा है. पूरी आबादी का एक तिहाई एक शाम खाता है और एक शाम भूखा रहता है.
उन्होंने इसके लिए गांव से लड़ाई को शुरू कर दिल्ली तक पहुंचाने की अपील की. उन्होंने गांव स्तर पर संगठन को मजबूत करने का आह्वान किया. सम्मेलन की समाप्ति के बाद गगनभेदी नारों के बीच बिहार के विभिन्न जिलों से आये प्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों के लिए रवाना हुए.
* सफलता के लिए बधाई
बिहार राज्य किसान सभा के सम्मेलन की सफलता के लिए पूर्व विधायक सह कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद सिंह ने सभी राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर के नेताओं, सभी जिलों से भाग लेनेवाले प्रतिनिधियों व कार्यकर्ताओं को बधाई दी.
श्री सिंह ने कहा कि बेगूसराय में आयोजित यह राज्य सम्मेलन कई मायनों में यादगार साबित होगा. प्रतिनिधियों के हौसले इस बात का गवाह दे रहे थे कि सम्मेलन के माध्यम से राज्य व केंद्र सरकारों पर हमला बोलने के लिए नयी रणनीति के तहत संघर्ष को तेज किया जायेगा.