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स्वयं की पहचान करे मानव : दास जी

आस्था. कल्पवास मेला क्षेत्र में कई जगहों पर आयोिजत हुए प्रवचन आकर्षक झांकी देख भाव विभोर हो रहे श्रद्धालु बरौनी(नगर) : जानकी मंदिर, जनकपुर नेपाल के अनंतश्री राम तपेश्वर दास जी वैष्णव ने रामकथा के दौरान कहा कि अपने अज्ञान को जीतना स्वार्थ को जीतना है. अज्ञानता को दूर कर मानव अपने सुमार्ग का मार्ग […]

आस्था. कल्पवास मेला क्षेत्र में कई जगहों पर आयोिजत हुए प्रवचन

आकर्षक झांकी देख भाव विभोर हो रहे श्रद्धालु
बरौनी(नगर) : जानकी मंदिर, जनकपुर नेपाल के अनंतश्री राम तपेश्वर दास जी वैष्णव ने रामकथा के दौरान कहा कि अपने अज्ञान को जीतना स्वार्थ को जीतना है. अज्ञानता को दूर कर मानव अपने सुमार्ग का मार्ग प्रशस्त करता है. हर मानव को स्वयं को पहचानने की जरूरत है. आत्मचिंतन करने की जरूरत है. उन्होंने कथा के संदर्भ में कहा कि जो भी कथाएं हैं वह युद्ध की हैं. वह कथा चाहे राम-रावण के बीच के युद्ध की हो या कौरव-पांडव की महाभारत युद्ध की. मां दुर्गा व असुरों के बीच की युद्ध हो या फिर सत्य व असत्य के बीच की लड़ाई की कथा का हो. इन कथाओं में भागवत कृपा से हमेशा सत्य की विजय है और असत्य की हार पराजय होती है.
संत बैष्णव जी ने बताया कि यहां अभी रासलीला चल रही है जो 26 अक्तूबर तक चलेगा. इसके अलावा भक्तिमाल, रामकथा, रामलीला की झांकी तथा अखंड हरिनाम जप सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है.
कार्तिक स्नान के लिए उमड़ रही भीड़: मटिहानी. कार्तिक माह बड़ा ही धार्मिक महीना माना गया है. लोग अपने-अपने अंदाज में पूरे माह भक्ति में लीन रहते हैं. इधर इस माह में अहले सुबह से ही क्षेत्र के सिहमा, रामदीरी, खोरमपुर, मटिहानी समेत अन्य गंगा घाटों पर भारी भीड़ देखी जा रही है. सिंहमा पंचायत के मुखिया ललन कुमार सिंह ने बताया कि पूरा इलाका इन दिनों भक्तिमय बना हुआ है. पंचायत क्षेत्र में आने वाले घाटों व सड़कों की सफाई करायी जा रही है ताकि आने-जाने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो.
दुख व निराशा के कारण जागृत होती हैं कामनाएं: महंत लाडली दास
बीहट. राम-जानकी मिथिला धाम सेवा समिति, दरभंगा के महंत लाडली दास ने कहा कि कामनाएं दु:ख,दरिद्रता
अमर्यादा, निराशा के कारण बनती है. कामनाओं की रणनीति अपनी होती है जो मानव के सुविवेक व सुविचारों को परास्त कर देती है. कामना की लिप्सा वाले मानव के लिए यह दुनिया दु:ख के दरिया के समान हो जाती है. वे सोमवार को सिमरिया धाम स्थित अपने खालसा आश्रम में श्रीमद्भागवत कथा पर प्रवचन कर रहे थे. उन्होंने कहा कि असभ्यता, उदंडता व पशुता पर नियंत्रण प्राप्त करने वाले मनुष्यों में ही भागवत जागृत होती है. उसमें भागवत प्रेम ऐसा हो जाता है
कि दूसरा उसे कुछ भी सूझता नहीं है. वैसे मानव हर पल वह भगवत चर्चा अपने मन मस्तिष्क में बिठाये रखते हैं. उसकी सारी अल्पताएं, गरीबी, दु:ख व दरिद्रता दूर हो जाती है. उसके परिवार में मंगल ही मंगल का आगमन होने लगता है. प्रकृति अपनी सहजता निवेश करने लगती है. वह मनुष्य पवित्रता ,निसर्गता,स्वभाविकता व आनंदमय जीवन जीने लगता है.

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