बेगूसराय : बेगूसराय नगर निगम में इन दिनों पूर्व मेयर संजय सिंह पर अवकाश प्राप्त दारोगा राजेश्वर सिंह के द्वारा प्रोन्नति के नाम पर दो लाख 51 हजार रुपया लेने का आरोप लगते ही हलचल तेज हो गयी है.
हालांकि पूर्व मेयर श्री सिंह ने इस आरोप को पूर्णरूप से निराधार बताया है. अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व मेयर ने कहा कि राजेश्वर सिंह प्रभारी कर दारोगा के रूप में 10 वर्ष से काम कर रहे थे. उन्होंने कहा कि 25.11.15 की बैठक में वार्ड नंबर 26 के पार्षद परमानंद सिंह के द्वारा प्रस्ताव दिया गया कि टैक्स दारोगा राजेश्वर सिंह को प्रोन्नति कर दिया जाये. उस समय निगम बोर्ड के द्वारा इसकी स्वीकृति दी गयी. पूर्व मेयर ने कहा कि निगम बोर्ड से स्वीकृति मिलने के बाद नगर विकास एवं आवास विभाग को इसकी स्वीकृति के लिए भेजा गया. जहां नगर विकास व आवास विभाग के द्वारा नगर निगम को बताया गया कि नगर निकाय समूह ग एवं घ के कर्मियों को नियुक्ति,
प्रोन्नति, लाभ, स्थानांतरण के लिए निगम स्वयं सक्षम है. पूर्व मेयर ने कहा कि जब निगम बोर्ड के द्वारा इस संबंध में स्वीकृति दी गयी और नगर विकास आवास विभाग के द्वारा भी नगरपालिका अधिनियम के तहत बोर्ड को निर्णय लेने के लिए सहमति प्रदान कर दी तब फिर उक्त टैक्स दारोगा द्वारा किस परिस्थिति में मुझे पैसे देने का आरोप लगाया जा रहा है. पूर्व मेयर ने कहा कि 15.06.17 की बोर्ड की बैठक में हमने अन्नपूर्णा योजना के तहत लाभुकों को मिलने वाले राशन के बारे में सवाल उठाया था कि निगम के 407 लाभुकों को 73 क्विंटल गेहूं और 48 क्विंटल चावल बांटना था लेकिन 203 लाभुकों को ही दिया गया. हमारा सवाल था कि निगम प्रशासन इस बात को स्पष्ट करे कि उक्त राशन लाभुकों के बीच बांटी गयी तो उसकी सूची कहां है. अगर बांटी गयी तो मेरे वार्ड के लाभुकों को किस परिस्थिति में नहीं दिया गया. इसी जांंच के भय से उक्त टैक्स दारोगा के द्वारा इस तरह का आरोप लगाया जा रहा है. पूर्व मेयर ने कहा कि इस तरह के आरोप लगाने वाले अवकाश प्राप्त टैक्स दारोगा पर वे मानहानि का मुकदमा करेंगे. इस मौके पर पार्षद रामविलास सिंह, आनंद कुमार, धर्मेंद्र कुमार, श्याम कुमार, शेखर कुमार समेत अन्य लोग उपस्थित थे. ज्ञात हो कि नगर निगम के पूर्व अवकाश प्राप्त टैक्स दारोगा राजेश्वर सिंह ने नगर निगम के नगर आयुक्त को पत्र प्रेषित कर आरोप लगाया है कि पूर्व मेयर संजय सिंह के द्वारा कार्य संपादन नहीं होने पर दिया गया रिश्वत का रुपया मांगने के कारण झूठा आरोप लगा कर मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है.