समस्या . कहीं शिक्षक की कमी तो कहीं रखरखाव का बना है अभाव
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स्कूलों में कंप्यूटर िशक्षा पर लगा ग्रहण
समस्या . कहीं शिक्षक की कमी तो कहीं रखरखाव का बना है अभाव नहीं मिल पा रहा है कंप्यूटर का लाभ बेगूसराय : आधुनिक सूचना क्रांति की वजह से सरकारी कार्यों व व्यक्तियों के जीवन शैली में आये बदलाव से हर एक को कंप्यूटर का ज्ञान आवश्यक हो गया है. साथ ही साथ एक ओर […]
नहीं मिल पा रहा है कंप्यूटर का लाभ
बेगूसराय : आधुनिक सूचना क्रांति की वजह से सरकारी कार्यों व व्यक्तियों के जीवन शैली में आये बदलाव से हर एक को कंप्यूटर का ज्ञान आवश्यक हो गया है. साथ ही साथ एक ओर देश में डिजिटल इंडिया की भी बातें हो तो दूसरी ओर जिले में छात्रों के शिक्षण के लिए खरीदे गये करोड़ों रुपये के कंप्यूटर कबाड़ बनने के कगार पर हैं.
बिहार सरकार शिक्षा विभाग व बेल्ट्रॉन कंपनी के द्वारा वर्ष 2008 -10 में सभी उच्च विद्यालयों व उच्च माध्यमिक विद्यालयों के 9 वीं से 12 वीं तक के छात्र-छात्राओं को विद्यालय कक्षा में ही कंप्यूटर में डीसीए कोर्स की पढ़ाई उपलब्ध कराना मात्र छलावा साबित हो रहा है. शहर के विद्यालयों के कक्षाओं में रखे हुए कंप्यूटर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं. वहीं छात्र-छात्राओं के कंप्यूटर शिक्षा के सपनों को भी मुंह चिढ़ा रहा है.
क्या थी सरकार की योजना:बिहार सरकार की शिक्षा विभाग के साथ बेल्ट्रान कंपनी के साथ करार पर सभी उच्च विद्यालयों व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में बेल्ट्रान कंपनी अपनी एजेंसी के द्वारा कंप्यूटर ,जेनरेटर व प्रशिक्षक उपलब्ध करा कर छात्र-छात्राओं को कंप्यूटर में डीसीए कराने की योजना थी.
संसाधन का हो नहीं हो पा रहा उपयोग
योजना का व्यवहारिक नहीं होने से जनता की गाढी कमाई का चूना लग गया. उक्त कंपनी या उनकी एजेंसियों के द्वारा 13 सौ रुपये मात्र जेनरेटर के इंधन के रूप में तो वहीं प्रशिक्षक को मात्र 27 सौ रुपये दिये जाते थे जो प्रशिक्षण कार्य में व्यावहारिक साबित नहीं हुआ. जिसका कारण हुआ कि विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा की शुरुआत तो हुई परंतु कुछ ही दिनों में प्रशिक्षण कार्य विभिन्न कारणों से दम तोड़ने लगी. ऊपर से शिक्षा विभाग का कंपनी के साथ मात्र तीन वर्ष का ही करार था.
ढाक के तीन पात साबित हुई योजना
योजना संबंधित विभाग की लापरवाह कार्यशैलियों के कारण ढाक के तीन पात साबित हुई .ऊपर से करोड़ों रुपये की बरबादी भी हो गयी. छात्र-छात्राओं को योजना का लाभ भी नहीं मिला. ऊपर से पहले से ही शिक्षण कार्यों के लिए कमरे का अभाव झेल रहे विद्यालयों का एक-एक कमरा में लगाये गये कंप्यूटर या तो शोभा की वस्तु बनी है तो कहीं-कहीं कबाड़ में बदल गये हैं.विद्यालय का महत्वपूर्ण कमरा कबाड़ में बदल चुके कंप्यूटर को रख -रखाव में ही उपयोग हो रहा है.
कंप्यूटर शिक्षा की स्थिति
जे के इंटर विद्यालय :हर स्कूल की तरह लाखों रुपये के कंप्यूटर उक्त विद्यालय को भी मिला था.विद्यालय में तीन-तीन बार चोरी हो गयी. जिसमें चोरों के द्वारा कंप्यूटर के अन्य संशाधनों की चोरी कर ली गयी. मात्र 16 मोनिटर एक हॉल की शोभा बढ़ा रहे हैं जबकि यहां एक कंप्यूटर शिक्षिका भी नियुक्त है. फिर भी बचे हुए साधनों का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है.
बीपी इंटर विद्यालय :उक्त विद्यालय में मॉनिटर हॉल की शोभा बढ़ा रहे हैं .विद्यालय में कंप्यूटर के अन्य संसाधनों की चोरों के द्वारा चोरी हो चुकी है. विद्यालय में भी कंप्यूटर शिक्षक हैं परंतु अन्य संशाधनों के अभाव में लाखों रुपये के कंप्यूटर कबाड़ बने हुए हैं.
ओमर बालिका उच्च विद्यालय :उक्त विद्यालय में भी कंप्यूटर का पूरा सेट व्यविस्थत रूप में एक हॉल मे रखा हुआ है परंतु शिक्षा विभाग की लापरवाह कार्यशैलियां सारे संसाधन होने के बावजूद भी यहां की छात्राओं को कंप्यूटर का ज्ञान नहीं मिल पा रहा है. शिक्षा विभाग यदि सकारात्मक रुख बनाता तो सारे संसाधनों का सही उपयोग हो पाता. विद्यालय में कंप्यूटर शिक्षक नहीं है.
ज्ञान भारती उच्च विद्यालय:उक्त विद्यालय में भी कंप्यूटर सेट पड़े हुए हैं. जेनरेटर खराब हो चुका है.विद्यालय में कंप्यूटर शिक्षक नहीं है.
क्या कहते हैं शिक्षाविद
उपलब्ध संशाधनों की सुविधा पर सभी उच्च विद्यालयों व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कंप्यूटर की शिक्षा को आरंभ कराने की जरूरत है. तभी लाखो रुपये के संशाधनों को कबाड़ बनने से बचाया जा सकता है. छात्र-छात्राओं के उज्जवल भविष्य के लिए संबंधित विभाग अविलंब कोई ठोस सकारात्मक कदम उठाये.
डॉ सुरेश प्रसाद राय,संयुक्त सचिव,बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ
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