39.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Bihar Election 2020: जब भागलपुर जेल के सिपाही भोला दास को देशप्रेम की इस घटना ने बनाया अमरपुर का विधायक…

भागलपुर : आजादी की लड़ाई के दौरान भागलपुर सेंट्रल जेल क्रांतिकारियों का केंद्र बना हुआ था. अंग्रेज शासक यहां क्रांतिकारियों को बंद करते थे और उन पर यातना का दौर चलता था. बात वर्ष 1943 के आसपास की है. जेल में एक हजार से अधिक क्रांतिकारी बंद थे. उन लोगों ने जेल के अंदर ही आंदोलन शुरू कर दिया. सुबह से ही क्रांतिकारियों ने क्रांति का बिगुल फूंक दिया था. जेल के सभी दरवाजे तोड़ दिये गये थे, परंतु अंतिम गेट का ताला नहीं टूट रहा था. इतने में इस बात की सूचना तत्कालीन जिला प्रशासन को मिली, सूचना मिलते ही तत्कालीन अंग्रेज अधिकारी मौके पर पहुंचे. जेल पहुंचते ही अंग्रेज अधिकारियों ने जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानियों पर हमला का निर्देश दिया. अंग्रेजों की पुलिस उन पर टूट पड़ी. इसी दौरान अंग्रेज अधिकारियों ने सिपाहियों को गोली चलाने का आदेश दे दिया.

भागलपुर : आजादी की लड़ाई के दौरान भागलपुर सेंट्रल जेल क्रांतिकारियों का केंद्र बना हुआ था. अंग्रेज शासक यहां क्रांतिकारियों को बंद करते थे और उन पर यातना का दौर चलता था. बात वर्ष 1943 के आसपास की है. जेल में एक हजार से अधिक क्रांतिकारी बंद थे. उन लोगों ने जेल के अंदर ही आंदोलन शुरू कर दिया. सुबह से ही क्रांतिकारियों ने क्रांति का बिगुल फूंक दिया था. जेल के सभी दरवाजे तोड़ दिये गये थे, परंतु अंतिम गेट का ताला नहीं टूट रहा था. इतने में इस बात की सूचना तत्कालीन जिला प्रशासन को मिली, सूचना मिलते ही तत्कालीन अंग्रेज अधिकारी मौके पर पहुंचे. जेल पहुंचते ही अंग्रेज अधिकारियों ने जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानियों पर हमला का निर्देश दिया. अंग्रेजों की पुलिस उन पर टूट पड़ी. इसी दौरान अंग्रेज अधिकारियों ने सिपाहियों को गोली चलाने का आदेश दे दिया.

चाभी नहीं देकर बचाई क्रांतिकारियों की जान 

कहा जाता है कि कई राउंड गोलियां चलीं. बचने की कोशिश में वार्ड में भागे स्वतंत्रता सेनानियों को वार्ड से निकालकर उनकी पिटाई की जाने लगी. इसी दौरान एक वार्ड के पास पुलिस की टीम पहुंची और वार्ड को खोलने का हुक्म दिया. वार्ड की चाबी वहां तैनात सिपाही भोला दास के पास था. भोला दास ने चाबी खो जाने की बात कही. अंग्रेजों ने उन्हें नहीं खोलने पर भुगतने की धमकी दी, पर भोला दास टस से मस नहीं हुए. चाबी नहीं मिलने से वह वार्ड नहीं खुला और उसके क्रांतिकारी अंग्रेजों की बर्बरता से बच गये.

कांग्रेस ने अमरपुर विधानसभा अनुसूचित जाति सीट से टिकट दिया, जीते

उस वार्ड में क्रांतिकारी पंडित विनोदानंद झा, देवघर से सांसद हुए रामराज जजबाड़े सहित दर्जनों प्रसिद्ध क्रांतिकारी बंद थे. अंग्रेजों को इस पूरे हंगामे के पीछे उन्हीं का हाथ होने का शक था. इस कारण वो उन सबको मार देना चाहते थे, पर वार्ड के नहीं खुलने से ऐसा हो नहीं सका. बाद में जब देश आजाद हुआ तो भोला दास के इस कार्य की सर्वत्र चर्चा हुई. उनके राष्ट्रीय प्रेम व भावना की कद्र करते हुए उन्हें कांग्रेस नेताओं ने अमरपुर विधानसभा अनुसूचित जाति सीट से टिकट दिया और वह चुनाव जीत कर विधायक बन गये.

Also Read: ड्राइवर को हुआ लेट तो पैदल मंत्रालय निकल गए थे रघुवंश बाबू, मंत्री रहते हुए भी अपने भीतर गांव को हमेशा बरकरार रखा…
शाहकुंड बैलथू के रहने वाले थे भोला दास

भोला दास का पूरा नाम था भोला नाथ दास था. उनका मूल घर भागलपुर जिले के शाहकुंड के समीप बैलथू हरपुर में है. जब देश आजाद हुआ और 1951-52 में प्रथम विधानसभा चुनाव हुआ, तो उन्हें अमरपुर से अनुसूचित जाति वर्ग से विधायक बनाया गया. इन्हें कुल 18101 मत मिले थे. उनके विरुद्ध खड़े सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार रामबर दास को 10818 मत प्राप्त हुए थे.

भागलपुर सेंट्रल जेल के सिपाही थे भोला दास

भोला दास के छोटे पुत्र उदय दास बताते हैं कि उनके पिता भागलपुर सेंट्रल जेल के सिपाही थे. उन्होंने वार्ड की चाबी न देकर क्रांतिकारी विनोदानंद झा सहित अन्य को बचाया था. इसी के परिणाम स्वरूप उन्हें अमरपुर से टिकट दिया गया. उनके बड़े भाई अंबिका दास भी एमएलसी बने.

Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें