पहले काउंिसलिंग फिर उपचार
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शराबबंदी . नशामुक्ति केंद्र में मरीजों को िमल रही सभी सुविधाएं
पहले काउंिसलिंग फिर उपचार शराब सेवन से शारीरिक दुर्बलता की संभावना शराब सेवन से नुकसान शराब सेवन से लोगों को शारीरिक दुबर्लता, कैंसर, अल्सर, बदन में दर्द, लीवर डैमेज, कुपोषण का शिकार, वसा की मात्रा का शरीर में बढ़ने के साथ विटामिन आदि की कमी हो जाती है. शराब पीने वाले व्यक्ति में कामुकता में […]
शराब सेवन से शारीरिक दुर्बलता की संभावना
शराब सेवन से नुकसान
शराब सेवन से लोगों को शारीरिक दुबर्लता, कैंसर, अल्सर, बदन में दर्द, लीवर डैमेज, कुपोषण का शिकार, वसा की मात्रा का शरीर में बढ़ने के साथ विटामिन आदि की कमी हो जाती है. शराब पीने वाले व्यक्ति में कामुकता में कमी तो आती ही है साथ ही नशे के हालत में किया गये यौन संबंध से पैदा हाने वाले बच्चों में विकृत या शारीरिक रूप से दुर्बलता होने की संभावना प्रबल होती है.
आदतन शराबी अधिकतर मनोवैज्ञानिक रोगों के शिकार होते हैं. वैसे लोग तनाव, अवसाद में रहते हैं. उन्हें अपने शरीर के किसी भी प्रतिक्रिया पर अपना संतुलन नहीं रहता है. वैसे लोग अगर किसी सेवा में हैं तो वे अक्सर ही छुट्टी के बाद दूसरे दिन कार्यालय नहीं पहुंचेंगे.
सभी प्रकार के शराब नुकसानदायक
बातचीत के दौरान नशा मुक्ति केंद्र के पास मौजूद शराब में अल्कोहल जिससे शरीर को नुकसान होता है. अल्कोहल की मात्रा के हिसाब से ही मरीज पर दवा का भी प्रयोग किया जाता है इसकी जानकारी देते हुए नोडल पदाधिकारी डॉ बीएस प्रसाद ने बताया कि बियर में तीन से चार प्रतिशत, जबकि स्ट्रांग बियर में आठ से ग्यारह प्रतिशत, वाइन में पांच से 13 प्रतिशत, अनाज आदि को सड़ा कर बनाने वाले फोर्टीफाइड देशी शराब में 14 से 20 प्रतिशत, स्प्रिट जिसमें ह्विसकी, ब्रांडी, रम,वोदका व जीन में सबसे ज्यादा 40 प्रतिशत अलकोहल की मात्रा पायी जाती है.
हर व्यक्ति को हों जागरूक : डॉ बीएस प्रसाद
डॉ बीएस प्रसाद ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की प्रखंड इकाई की टीम वैसे टोलों में भ्रमण कर रही है. जागरूकता फैलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग,शिक्षा विभाग, पंचायत रोजगार सेवक, पंचायत सेवक, विकास मित्र, जीविका आदि के सदस्यों को महत्वपूर्ण जवाबदेही सौंपी गयी है.
दी जाती है मित्रवत सलाह
शरीर के लिए खतरनाक है अल्कोहल की मात्रा
शरीर के लिए जहर होता है अल्कोहल का नियमित सेवन
दुश्मन शरीर पर वार करता है लेिकन शराब मनुष्य को अंदर ही अंदर मारता है
नशा के लिए पान, पुड़िया खैनी, कोडीनयुक्त सीरप भी जानलेवा
जिले में स्थापित नशा मुक्ति केंद्र के नोडल पदाधिकारी डॉ बीएस प्रसाद ने शराब से शरीर पर पड़ रहे कुप्रभाव पर जानकारी देते हुए बताया कि अल्कोहल का नियमित सेवन शरीर के लिए जहर होता है, जिससे बच पाना भले ही संभव है लेकिन वैसा व्यक्ति दिमागी और शारीरिक रूप से पूर्ण रुपेण विकृत हो जाता है. उन्होंने बताया कि शराब से दोस्ती एक खतरनाक दुश्मन से भी ज्यादा जानलेवा है.
अररिया : कहावत है नशा नाश कर देगा, फिरोगे दाने-दाने को, कटोरा हाथ में होगा न देगा कोई खाने को. इस कहावत का मतलब स्पष्ट है कि शराब या नशा का नित्य सेवन लोगों को इस स्तर पर पहुंचा देता है कि न तो उसकी सामाजिक गरिमा बच पाती है न ही वह आर्थिक रूप से ही सुदृढ़ रह पाता है. इसका परिणाम होता है वे अपने साथ अपने परिवार के लिए भी बुरे दिन लाने का दोषी होता है. लेकिन इसके इतर एक शराबी बहुत कुछ खो बैठता है जिसमें से मुख्य होता है उसका शारीरिक नुकसान.
जिले में लाखों रुपये का खर्च नशा मुक्ति केंद्र पर करने की नौबत नहीं आती अगर हमारे समाज में शराब के आदतन शराबी की संख्या छह हजार सदर अस्पताल को नहीं बतायी जाती. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था अगर शराब हमारे सेहत के लिए नुकसान पहुंचा सकता है तो वैसी चीज का दवा के रूप में भी प्रयोग करना बेवकूफी है.
नशा मुक्ति केंद्र की रिपोर्ट
नशा मुक्ति केंद्र के नोडल पदाधिकारी डॉ बी एस प्रसाद व डीपीएम रेहान अशरफ से नशा से मुक्ति दिलाने के उनके उपायों व क्रिया कलाप के जानकारी लेने प्रभात खबर का प्रतिनिधि सदर अस्पताल पहुंचा. हालांकि इलाज के लिए कोई भी मरीज वार्ड में भरती नजर नहीं आये. लेकिन चिकित्सक डॉ बी एस प्रसाद ने बताया कि मरीज पहुंच रहे हैं लेकिन उनमें ऐसे मरीज नहीं आ रहे हैं
जिन्हें भरती कर उपचार किया जाये, जो मरीज पहुंच रहे हैं उनका रूटीन जांच कर आवश्यक दवा दी जा रही है. आखिर किस प्रकार के रोगी को भरती लिया जायेगा पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि नशा मुक्ति केंद्र पर पहुंचने वाले मरीजों की पहले काउंसेलिंग की जाती है जिससे उसके हाव-भाव पर गौर से निरीक्षण किया जाता है. उसके बाद मरीज की स्क्रीनिंग कर उसे उपचार के लिए भरती किया जाये या उनका उपचार घर में रह किया जा सकता है. इस पर विचार किया जाता है.
काउंसेलिंग व स्क्रीनिंग के दौरान नशा पान करने वाले से शराब सेवन की मात्रा, पीने के बाद की स्थिति, पीने के बाद की हरकत व पीने का वक्त की भी पूछताछ की जाती है. शराब सेवन के बाद वह कैसा महसूस करता है क्या उन्हें इसके लिए शर्मिंदगी महसूस करते हैं या उनका व्यवहार आक्रामक तो नहीं हो जाता है कि भी जानकारी ली जाती है. ऐसे मरीजों को तो पहले काउंसेलिंग के जरिये समझाया जाता है.
उन्हें इस लत के कारण हो रहे पारिवारिक व आर्थिक नुकसान की भी जानकारी दी जाती है. शराब छोड़ने का वादा भी दिलाया जाता है. समझदार मरीजों को हालत के अनुसार उपचार किया जाता है. लेकिन ऐसे मरीज जो शराब नहीं मिलने के कारण बेहोश हो जाते हैं. रह-रह कर उनका दिमाग सुन हो जाता है. शरीर में कंप कपी आती है. वैसे रोगियों को भरती कर इलाज किया जाता है.
आदतन शराबी की स्थिति
नशा मुक्ति केंद्र के नोडल पदाधिकारी डॉ बीएस प्रसाद ने बताया कि ऐसे शराबी जो शराब सेवन के आदी हो चुके हैं वे शराब नहीं मिलने पर उदास रहने लगते हैं. वे अकेलापन चाहता है. उसके दिमाग का संतुलन अपने वश में नहीं रहता है. डिप्रेशन , नर्वस होने के साथ कभी-कभी तो वह आक्रामक भी हो जाता है. परिजनों को चाहिए की वैसे मरीजों को नशा मुक्ति केंद्र पर लाये. मरीजों का नाम और पता को गुप्त रखा जायेगा, जबकि नि:शुल्क उपचार भी दिया जायेगा.
मारपीट में घायल व्यक्ति की मौत
भरगामा. बीरनगर पूरब पंचायत के टपरा गांव में शनिवार को भू विवाद को लेकर हुई मारपीट की घटना में घायल मो जब्बार की मौत इलाज के दौरान पूर्णिया में हो गयी. जानकारी के अनुसार घटना उस समय घटित हुई जब जब्बार अपने परिवार के साथ खेत में गेहूं काट रहा था. 17 कट्ठा जमीन को लेकर मारपीट की घटना हुई.
घटना की सूचना पर भरगामा थानाध्यक्ष सशस्त्र बल के साथ टपरा पहुंच कर मामले की छानबीन में जुट गये हैं. घटना के संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि मो जब्बार एवं मो सगीर के बीच उक्त जमीन को लेकर पिछले छह माह से विवाद चला आ रहा था. शनिवार की सुबह मो जब्बार अपने परिजनों के साथ अपने खेत पहुंच कर गेहूं काट रहा था. इसी बीच लगभग नौ बजे अपने अन्य सहयोगियों के साथ खेत पहुंच कर लाठी डंडा आदि से प्रहार कर मो जब्बार को गंभीर रूप से घायल कर दिया.
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