जलापूर्ति योजना में अनियमितता बरत रही है कार्यरत एजेंसीसड़क व नाला को तोड़कर बिछाया जा रहा है पाइपनाला का गंदा पानी घुस रहा है बिछ रहे पाइप मेंनगरवासियों का है आरोप कार्यरत एजेंसी लगी है कार्य की लीपा-पोती में फोटो -4-संजय चिंडालियाफोटो-5- महेंद्र भूरा फोटो-6- धमेंद्र बोथराफोटो-7-शांति लाल जैनफोटो-8-रितेश रायफोटो-9-राकेश कुमार फोटो-10-पाइप बिछाये जाने के बाद जर्जर सड़क फोटो-11-पाइप से जा रहा नाली का गंदा पानी प्रतिनिधि, अररिया जल पार्षद के द्वारा नगर परिषद क्षेत्र में मुख्य पथों व शाख पथों पर बिछाये जा रहे वाटर सप्लाइ पाइप के बिछाने के कार्य में गुणवत्ता की अनदेखी को लेकर वार्ड वासियों द्वारा आपत्ति दर्ज की जा रही है. वार्ड वासियों का आरोप है कि जल पर्षद के कार्यरत एजेंसी द्वारा पाइप बिछाने के कार्य में गुणवत्ता की अनदेखी की जा रही है. साथ ही मास्टर प्लान के तहत कार्य को नियमानुकूल संपादित नहीं किया जा रहा है. वार्ड संख्या 17 में पाइप बिछाने के क्रम में पूर्व में सरकारी राशि के द्वारा निर्मित पीसीसी सड़क को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है, जबकि पूर्व में निर्मित नाला को भी कार्यरत एजेंसी के द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिया गया है. नाला के क्षतिग्रस्त होने के बाद वार्ड का गंदा पानी यत्र-तत्र फैल रहा है. नाला का गंदा पानी कार्यरत एजेंसी के द्वारा लगाये गये वाटर सप्लाइ पाइप में जा रहा है. जिस कारण स्वच्छ जल के साथ नाला का गंदा पानी भी इस योजना का लाभ लेने वाले वार्ड वासियों के घरों तक पहुंचेगा. इन समस्याओं को देखते हुए वार्ड वासियों के द्वारा कार्यरत एजेंसी के काम के अनुश्रवण को लेकर एक अनुश्रवण कमेटी बनाने की मांग भी नप बोर्ड से की गयी है. वार्ड संख्या 17 के नगर पार्षद रितेश राय के उपस्थिति में वार्ड वासियों ने सोमवार को विभागीय पदाधिकारी के सामने जल पार्षद द्वारा बरती जा रही अनियमितता के बाबत अपना पक्ष रखा. क्या है योजना नप क्षेत्र में स्वच्छ जलापूर्ति योजना को घर-घर तक पहुंचाने को लेकर शहर के 29 वार्डों में 60 किलोमीटर एरिया में पाइप बिछाने को लेकर नगर विकास विभाग के द्वारा जल पर्षद पटना को कार्यकारी एजेंसी बनाया गया है. इस कार्य को पूर्ण करने के लिए विभाग के द्वारा जल पर्षद को 24 करोड़ 59 लाख रुपये के प्राक्कलन को स्वीकृत किया गया है. शहर में कई मुख्य पथों व शाखा पथों, नाला को क्षतिग्रस्त कर कार्यरत एजेंसी के द्वारा कार्य को किया जा रहा है. पाइप गाड़ने के लिए विभाग के द्वारा एक मीटर अर्थात तीन फुट तीन इंच तक गड्ढा करने का आदेश प्राप्त है. साथ ही विभाग के द्वारा कार्यरत एजेंसी को यह भी दिशा निर्देश दिया गया है कि अगर पाइप में वाटर सप्लाइ के लेवल लाने के लिए या फिर टेलीफोन केवल, नाला आदि आने के बाद वहां पर आवश्यकता अनुसार गड्ढा करना है. जिस कारण किसी भी प्रकार के दूसरे कार्यों पर इसका बुरा प्रभाव नहीं पड़े. योजना के तहत नप के सभी घरों तक स्वच्छ पेय जल की आपूर्ति को लेकर शहर के पांच स्थानों पर जल संयंत्र स्थापित करने की भी योजना है. क्या कहते हैं नगरवासी पाइप लाइन बिछाने में गुणवत्ता का अभाव बरते जाने का आरोप नगर वासियों के द्वारा लगाया जा रहा है. वार्ड संख्या 17 के शांतिलाल जैन ने बताया कि स्वच्छ पेयजल योजना सरकार की अच्छी योजना है लेकिन योजना को गुणवत्ता के साथ संपादित किया जाये तब. नगर परिषद के द्वारा शहरवासियों को स्वच्छ जल मुहैया कराने के उद्देश्य से करोड़ों की लागत इस योजना पर खर्च की जा रही है. लेकिन कार्यरत एजेंसी अपने कार्य को सही तरीके से संपादित नहीं कर रहे हैं. नाला के ज्वाइंट प्वाइंट पर जहां से दूसरे वार्डों का गंदा पानी आ कर मैन नाला में मिल रहा है, उसे कार्यरत एजेंसी के द्वारा तोड़ दिया गया है. इसका परिणाम यह हुआ है कि गाड़े जा रहे पाइप में नाला का बहता पानी घुस रहा है. कल जब इस पाइप को हो कर पानी का प्रवाह किया जायेगा तो लोगों के घरों में गंदा व दूषित पानी पहुंचेगा. जिसका परिणाम यह होगा कि इस योजना का पानी पीने वाले परिवार संक्रामक बीमारी के शिकार होंगे. संजय चिंडालिया तेयुप अध्यक्ष ने बताया कि कार्यरत एजेंसी काम के लीपा पोती में लगा हुआ है. पाइप में गंदा पानी जा रहा है यह देखने वाला कोई नहीं है. काम को पूरा करने के लिए जिस प्रकार से नाला को तोड़ा गया है. बड़ी संख्या में नाला क्षतिग्रस्त हुआ है जिसे फिर से बना पाने में बहुत परेशानी सामना आयेगा. मैहंद्र भुरा ने बताया कि काम को कार्यरत एजेंसी जिस प्रकार से पूरा कर रहा है उससे स्पष्ट ही प्रतीत हो रहा है कि कार्यरत एजेंसी सरकार के पैसे का सिर्फ बिल बना कर उठाने का प्रयास कर रहा है. कार्य की देख रेख के लिए अनुश्रवण टीम का गठन होना आवश्यक है. धर्मेंद्र बौथरा उर्फ बबलू ने बताया कि कार्यरत एजेंसी का काम गुणवत्ता के साथ काम को संपादित करना है लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है जिस प्रकार से सड़क को व पूर्व में बने नाला को क्षतिग्रस्त किया जा रहा है. उसके पुन: निर्माण की व्यवस्था को फिर से पूरा करने की जिम्मेवारी भी उन्हें उठाना चाहिये. मनीष जलान ने बताया कि काम में गुणवत्ता का अभाव है. कार्यरत एजेंसी काम को लापरवाही के साथ पूरा कर भागने के प्रयास में लगा हुआ है .इस मौके पर सौरभ, अंकित, राकेश रंजन उर्फ मिट्ठू आदि मौजूद थे. क्या कहते हैं नगर पार्षद वार्ड संख्या 17 के नगर पार्षद रितेश कुमार ने बताया कि उनके द्वारा जल पार्षद के द्वारा बरती जा रही अनियमितता की शिकायत बार-बार कार्यपालक पदाधिकारी व नप बोर्ड के समक्ष रखा गया है. इस महत्वपूर्ण योजना को पूरा करने के लिए एक ठोस क्रियान्वयन कमेटी का गठन होना अनिवार्य है. लगभग 25 करोड़ की लागत इस योजना पर खर्च तो हो रहा है. अब तक कार्य के नापी के हिसाब से 19 करोड़ रुपये का भी भुगतान कार्यरत एजेंसी को हो चुका है. इस कार्य की पूरा करने का क्या मापदंड है. उससे नगर पार्षद भी अनभिज्ञ हैं. कार्य का जमीनी स्तर पर देख रेख के लिए अनुश्रवण दल का गठन होना आवश्यक है. कहते हैं मुख्य पार्षद मुख्य पार्षद अफसाना प्रवीण ने बताया कि शहर के प्रत्येक वार्ड तक लोगों को स्वच्छ जल मुहैया कराना जाना है. कार्य को पूरा करने के लिए जल पार्षद को एजेंसी बनाया गया है. कार्य के मापदंड को उपलब्ध कराने के लिए विभाग को कहा गया है लेकिन अब तक मापदंड उपलब्ध नहीं हो पाया है. काम में गुणवत्ता के अभाव की शिकायत भी विभाग को की गयी है. कहते हैं कनीय अभियंता वहीं कार्यरत एजेंसी के साइड इंचार्ज मो सरवर ने बताया कि टेस्टिंग करने के बाद पुन: मरम्मती करण का कार्य किया जायेगा . जबकि इस संबंध में जल पार्षद के कनीय अभियंता सत्यदेव प्रसाद सिंह ने दूरभाष पर बताया कि अभी वे पटना में हैं. लेकिन गुणवत्ता का अभाव पाये जाने पर संवेदक के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने बताया कि पाइप को गाड़ने के लिए गहराई का कोई खास मापदंड नहीं है. फिर भी एक मीटर गहरा गढ्ढा को खोदने के बाद ही पाइप को गाड़ना है. पाइप में वाटर सप्लाइ बाधित नहीं हो इसलिए वाटर लेवल को भी मिला कर चलना है. गढ्ढा खोदने के क्रम में यह भी ध्यान रखना है कि मिट्टी के अंदर गाड़ा हुआ किसी भी प्रकार का सरकारी केवल क्षतिग्रस्त नहीं हो. उन्होंने कहा कि जहां भी सड़क को तोड़ा गया है या फिर नाला को क्षतिग्रस्त किया गया है वहां पर कार्य पूरा होने के बाद कार्यरत एजेंसी मरम्मती का कार्य को पूरा करेगा. साथ ही पांच वर्षों तक वाटर सप्लाइ को मेनटेन रखने की जिम्मेवारी भी कार्यरत एजेंसी के ही ऊपर है. इसके कार्य को पूरा करने के एवज में उसके दस प्रतिशत की राशि रोक ली जायेगी
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जलापूर्ति योजना में अनियमितता बरत रही है कार्यरत एजेंसी
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