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भारत-नेपाल सीमा की उलझन में पिस रहे 15 आदिवासी परिवार

भारत-नेपाल सीमा की उलझन में पिस रहे 15 आदिवासी परिवार झोपड़ी में गुजार रहे जीवनफोटो 21 केएसएन 1,2पीड़ित आदिवासी परिवार.फोटो 21 केएसएन 3 बना झोपड़ीपिलर के अंदर भारतीय सीमा मेंफोटो 21 केएसएन 4सीमा पर स्थित पीलर आशियाना बना 40 वर्षों से रहे हैं आदिवासी परिवारइंदिरा आवास निर्माण के दौरान झापा प्रशासन ने लगायी रोकविवाद सुलझाने […]

भारत-नेपाल सीमा की उलझन में पिस रहे 15 आदिवासी परिवार झोपड़ी में गुजार रहे जीवनफोटो 21 केएसएन 1,2पीड़ित आदिवासी परिवार.फोटो 21 केएसएन 3 बना झोपड़ीपिलर के अंदर भारतीय सीमा मेंफोटो 21 केएसएन 4सीमा पर स्थित पीलर आशियाना बना 40 वर्षों से रहे हैं आदिवासी परिवारइंदिरा आवास निर्माण के दौरान झापा प्रशासन ने लगायी रोकविवाद सुलझाने की जनप्रतिनिधियों व पदाधिकारियों ने नहीं की पहलप्रतिनिधि, ठाकुरगंजपिछले चार दशक से भारतीय भू-भाग समझ कर रह रहे आदिवासियों द्वारा 10 वर्ष पूर्व घर बनाने के दौरान नेपाल प्रशासन द्वारा रोक दिये जाने के बाद आदिवासी परिवार परेशान है. इन दस वर्षों में सीमा विवाद का हल निकाल पाने में जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा एवं प्रशासन की शिथिलता का खामियाजा इन आदिवासियों को उठाना पड़ रहा है. क्या है मामलाभातगांव पंचायत के नेंगड़ाडुब्बा के समीप मकसूद नगर नाम का आदिवासी टोला है, जहां 15 आदिवासी परिवार 40 वर्षों से रहते हैं. 52 डिसमिल के उक्त भूभाग जिसका खाता संख्या 687 खेसरा 8520 है. भारत नेपाल सीमा के समीप भारतीय पीलर के अंदर अवस्थित है. यहां 40 वर्षों से झोपड़ी डाल कर आदिवासी परिवार गुजर-बसर कर रहे हैं. इस दौरान इन्होंने मतदाता सूची में अपना नाम भी दर्ज करवाया. राशन कार्ड एवं बीपीएल सूची में शामिल होकर भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं. विवाद तक शुरू हुआ जब 2002 में तत्कालीन मुखिया गणेश राय के प्रयास से इन बेघरों को इंदिरा आवास का आवंटन हुआ. आवास आवंटन के बाद मकान बनाने के लिए नींव डालने पर नेपाल के झापा जिला प्रशासन द्वारा उक्त भू भाग को नेपाल का बताते हुए निर्माण कार्य रोक दिया गया.क्या कहते हैं पूर्व मुखियाइस संबंध में भातगांव पंचायत के पूर्व मुखिया गणेश राय का कहना है कि 2002 में पैदा हुए सीमांकन विवाद के बाद जिला प्रशासन ने इन आदिवासियों को अन्यत्र बसाने का फैसला किया था, जो अब तक साकार नहीं हो पाया. पूर्व मुखिया की यदि मानें, तो इन 13 सालों में इस मामले में न तो जनप्रतिनिधियों न ही प्रशासन द्वारा कोई सकारात्मक कदम उठाया गया है. क्या कहते हैं प्रभावित परिवार प्रभावित आदिवासी रवि लाल हांसदा, बरखू टुडू, इतवारी टुडू, खोखा हांसदा, बाबू राम हांसदा कहते हैं पूरे जांचोपरांत के बाद हमें इंदिरा आवास 2002 में मिला था. परंतु जैसे ही नींव डाल कर कुर्सी तक काम हुआ तो झापा जिला प्रशासन ने नेपाल की भूमि बता कर कार्य रुकवा दिया तथा निर्माण स्थल पर आकर नेपाल सीमा का पिलर गाड़ दिया. उस वक्त जिला प्रशासन के किसी भी अधिकारी ने आकर नेपाल के इस कदम का विरोध नहीं किया, जिसका खामियाजा गरीब आदिवासी अब तक उठा रहे हैं. क्या कहते हैं सीओइस मामले में सीओ मो इस्माइल पूरी तरह अनभिज्ञता दर्शाते हुए कहा कि आज तक यह मामला उनके संज्ञान में नहीं आया था. हालांकि उन्होंने कहा कि वर्तमान में सीमा का सीमांकन कार्य चल रहा है. यदि इसमें विवाद का हल नहीं निकला, तो जिला प्रशासन की अनुमति के बाद उक्त आदिवासियों को अन्यत्र बसा कर उन्हें देय लाभ दिया जायेगा.

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