मूलभूत सुविधाओं को तरसता शिमलबाड़ी गांव फोटो 22 केएसएन 11कच्ची सड़क के किनारे पारकोपाइनप्रतिनिधि, पौआखालीबूढ़ी कनकई नदी की तट पर बसा पौआखाली पंचायत का लगभग पांच सौ से ज्यादा आबादी वाला शिमलबाड़ी गांव आजादी के छह दशक गुजरने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. गांव तक जाने के लिए न पक्की सड़क है और न ही गांव में बिजली ही पहुंच पायी है. बरसात के दिनों में यह गांव टापू की शक्ल में परिवर्तित हो जाता है. जिस कारण गांव के लोगों को पौआखाली मार्केट तक आना जान मुश्किल हो जाता है. गांव वासियों को सबसे ज्यादा शिकायत क्षेत्रीय सांसद और विधायक से है जो गांव के विकास को लेकर चिंचित नहीं है ना ही गांव वासियों की समस्याओं को उनके द्वारा तरजीह मिल रही है. शिमलबाड़ी गांव में भ्रमण के दौरान मो फलाउद्दीन, मो अमीउद्दीन, मो ग्यासुद्दीन, बाबुल हक, मुजाहिद, कैसर, मो आबिद आदि गांव वासियों ने अपनी समस्याओं को प्रभात खबर के समक्ष रखते हुए बताया कि बुढ़ी कनकई नदी शिमलबाड़ी गांव की शोक है, जिसमें सैकड़ों एकड़ उपजाउ भूमि और घर आंगन प्रत्येक वर्ष समाहित जाता है. इस गांव में एक झील है जो नदी से महज कुछ दूरी पर अवस्थित है.जिस दिन नदी का रूख झील के तरफ होगा उस दिन गांव का नक्शा पंचायत से गायब हो जायेगा. साथ ही कहा कि गांव वासियों के लिए पक्की सड़कों की हालात भी ठीक नहीं है. गांव में अमीरूद्दीन के घर से नसीरूद्दीन के घर तक ढलाई कार्य की मांग है. गांव वासियों के मुताबिक गांव में बीपीएल परिवारों को शौचालय उपलब्ध होनी चाहिए तथा स्कूल भवन का निर्माण भी आवश्यक है. बिजली सड़क और तटबंध गांव वासियों के लिए खास जरूरी है.
मूलभूत सुविधाओं को तरसता शिमलबाड़ी गांव
मूलभूत सुविधाओं को तरसता शिमलबाड़ी गांव फोटो 22 केएसएन 11कच्ची सड़क के किनारे पारकोपाइनप्रतिनिधि, पौआखालीबूढ़ी कनकई नदी की तट पर बसा पौआखाली पंचायत का लगभग पांच सौ से ज्यादा आबादी वाला शिमलबाड़ी गांव आजादी के छह दशक गुजरने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. गांव तक जाने के लिए न पक्की सड़क है […]
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