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पिछले वर्ष धान अधप्रिाप्ति का बेहतर रहा था प्रदर्शन

पिछले वर्ष धान अधिप्राप्ति का बेहतर रहा था प्रदर्शनधान अधिप्राप्ति के मद में 14 मिलरों से एसएफसी को प्राप्त हुआ था 1333 लोट सीएमआरकिसानों को ससमय धान अधिप्राप्ति शुरू होने का है इंतजार प्रतिनिधि,अररिया किसानों के खेतों से धान कट कर खलिहानों तक आने लगे हैं. खलिहानों से धान तैयार हो कर बाजार में भी […]

पिछले वर्ष धान अधिप्राप्ति का बेहतर रहा था प्रदर्शनधान अधिप्राप्ति के मद में 14 मिलरों से एसएफसी को प्राप्त हुआ था 1333 लोट सीएमआरकिसानों को ससमय धान अधिप्राप्ति शुरू होने का है इंतजार प्रतिनिधि,अररिया किसानों के खेतों से धान कट कर खलिहानों तक आने लगे हैं. खलिहानों से धान तैयार हो कर बाजार में भी पहुंचने लगे हैं. बाजार में किसानों को धान की कीमत समर्थन मूल्य से भी कम मिल रहा है. लेकिन अब तक सरकारी तौर धान की खरीद अपने सुस्त रवैये को अपनाये हुए है. हालांकि जिला सहकारिता पदाधिकारी के द्वारा विगत कुछ दिनों से धान अधिप्राप्ति को लेकर प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी के साथ बैठक कर धान अधिप्राप्ति की समीक्षा भी की जा रही है, जबकि एसएफसी के जिला प्रबंधक के द्वारा विभिन्न प्रखंडों का दौरा कर अधिप्राप्ति किये गये धान को रखने के लिए गोदामों का निरीक्षण भी किया जा रहा है. जिला सहकारिता पदाधिकारी के निर्देशानुसार 24 नवंबर तक पैक्स अध्यक्षों को किसानों के डाटा बेस को प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी के पास जमा करना है. किसानों के डाटा बेस को एनआइसी के वेबसाइट पर अपलोड करने के पश्चात 26 नवंबर से प्रखंडवार बैठक का आयोजन कर धान अधिप्राप्ति को लेकर पैक्स अध्यक्षों की जिम्मेवारी को स्पष्ट किया जायेगा. दो प्रखंडों को मिला कर एक स्थान पर बैठक का आयोजन किया जायेगा. अंतिम बैठक तीन दिसंबर को कुर्साकांटा व सिकटी प्रखंडों में की जायेगी. उक्त बैठक के लिए कुर्साकांटा प्रखंड मुख्यालय स्थित सभा भवन का चयन किया गया है. जबकि एसएफसी के साइट पर भी किसान धान अधिप्राप्ति को लेकर ऑनलाइन पंजीकरण कर रहे हैं. वर्ष 2014 में धान अधिप्राप्ति के लक्ष्य की हुई थी प्राप्ति वर्ष 2013 की अपेक्षा वर्ष 2014 में किसानों को अपने धान विक्रय करने में आसानी हुई थी. हालांकि अधिप्राप्ति का काम विलंब से शुरू हुआ था. निगम के द्वारा राशि का भुगतान भी विलंब से होता था. उसके बावजूद धान अधिप्राप्ति को लेकर वर्ष 2014 अच्छा माना जा सकता है. अन्य वर्षों की अपेक्षा सीएमआर भी एसएफसी को ससमय प्राप्त हुआ था. प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी व एसएफसी के कर्मी की प्रतिनियुक्ति प्रखंड वार मिलर पर की गई थी. इसका परिणाम हुआ कि निगम को ससमय मिलर से सीएमआर की प्राप्ति हो गई थी. एक प्रखंड में सीएमआर की कमी हुई तो उसकी क्षति पूर्ति प्रखंड में प्रतिनियुक्त सहकारिता पदाधिकारी व एसएफसी के कर्मी से किया गया. अब देखने वाली बात यह होगी कि इस वर्ष धान की अधिप्राप्ति का जिले में क्या स्थिति रहती है. जबकि अब तक जिले को धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य तक प्राप्त नहीं हुआ है. अगर किसानों को सीधे तौर पर फायदा मिला तो सरकारी कवायद को सफल माना जायेगा.परिहारी पैक्स के पास बाकी है सीएमआर जिले को साढ़े चार लाख क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य मिला था. जिसके एवज में एसएफसी को पैक्स व किसानों के द्वारा लक्ष्य से अधिक धान दिया गया. एसएफसी के द्वारा पांच लाख 28 हजार क्विंटल धान की खरीद की गई. वर्ष 2014 में धान अधिप्राप्ति के लिए 14 मिलर काम कर रहे थे. एसएफसी द्वारा खरीद की गई धान के एवज में कुल 81,19,60753 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था. इसमें किसानों से कुल 2,41,808.33 क्विंटल के एवज में 40,74,12803 करोड़ रुपये व पैक्स से 2,33,064.23 क्विंटल के एवज में 40,45, 47,920 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था. इधर एसएफसी द्वारा मिलर को दिये गये धान के एवज में मिलर से 1333 लाट चावल तकरीबन तीन लाख 59 हजार 941 क्विंटल सीएमआर के रूप में लिया गया. खरीद की गई धान के एवज में 67 प्रतिशत सीएमआर देने का प्रावधान निर्धारित है जो कि मिलर को देना पड़ता है. एसएफसी के अनुसार जिले का एक मात्र पैक्स रानीगंज प्रखंड का परिहारी पैक्स जिसके पास 770 क्विंटल का सीएमआर अब तक बाकी है.क्या कहते हैं डीसीओजिला सहकारिता पदाधिकारी रवींद्र नाथ ठाकुर ने बताया कि वर्ष 2014 में जिले के 218 पैक्स में से 101 पैक्स के द्वारा 2019 किसानों से धान की खरीद की गई थी. आधा से ज्यादा पैक्सों के द्वारा खरीद नहीं हो पाने के कारण किसानों को परेशानी हुई थी. विलंब से वंचित पैक्स को क्रियाशील पैक्स के साथ टेग किया गया था. उन्होंने बताया कि पैक्स के क्रियाशील नहीं होने के कारण राशि का बकाया होना व निर्वाचन की प्रक्रिया में विलंब होना भी शामिल था. लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में कम से कम 125 -150 पैक्सों से धान अधिप्राप्ति कराया जायेगा. जिसकी तैयारी में सहकारिता पदाधिकारी को लगाया गया है. जिला सहकारिता पदाधिकारी ने बताया कि अपने सुविधा के अनुसार किसान अपने धान की बिक्री पैक्स, व्यापार मंडल व एसएफसी को सीधे तौर पर कर सकते हैं. किसानों को फसल बेचने में सुविधा हो इसके लिए प्रयास जारी है.

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