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किसी दल के घोषणा पत्र में बुजुर्गों की चर्चा नहीं होना दु:खद

अररिया : चुनाव के इस मौसम में जब सभी दलों के प्रत्याशी अपने चुनावी सभा में जनता से तरह-तरह के वादे कर रहे हैं. लेकिन इन वादों में समाज के बुजुर्गों के हितों को लेकर कहीं कोई चर्चा नहीं होती. किसी दल ने अपने घोषणा पत्र में वृद्ध जनों के हितों पर चर्चा तक नहीं […]

अररिया : चुनाव के इस मौसम में जब सभी दलों के प्रत्याशी अपने चुनावी सभा में जनता से तरह-तरह के वादे कर रहे हैं. लेकिन इन वादों में समाज के बुजुर्गों के हितों को लेकर कहीं कोई चर्चा नहीं होती. किसी दल ने अपने घोषणा पत्र में वृद्ध जनों के हितों पर चर्चा तक नहीं किया है. यह न सिर्फ वृद्धों की उपेक्षा की सोच का परिलक्षित करता है.

बल्कि हमारे सामाजिक ताना बना, सामाजिक व सांस्कृतिक परंपरा की उपेक्षा का प्रतीक है. उपरोक्त बातें सोमवार को पेंशनर एसोसिएशन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जटाशंकर सिंह ने प्रभात खबर से कही. श्री सिंह ने कहा कि बिगड़ते सामाजिक ताना-बाना में बुजुर्गों की उपेक्षा आम बात हो गयी है. बुजुर्ग अपनी मन की बात अपने आप्त जनों से नहीं कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि कोई वृद्ध अस्पताल में दम तोड़ देता है. उसे प्रशासन के लोग दफना देते हैं. कोई वृद्ध वृक्ष तले दम तोड़ देता है

तो कोई वृद्ध अपने ही लोगों से उपेक्षित होकर सड़क पर हाथ फैलाता फिरता है. धन-दौलत लेकर वृद्धों को शारीरिक-मानसिक यातना दी जाती है. इन मुद्दों की चर्चा न होना दु:खद है. वेदना पूर्ण समस्या है. श्री सिंह ने केंद्र सरकार व चुनाव लड़ रहे सारे दलों से मांग किया है कि प्रत्येक प्रखंड मुख्यालय में वृद्धा आश्रम खोलने, वृद्धों की सुरक्षा, स्वास्थ्य की देख-रेख की व्यवस्था करने की घोषणा करे. वृद्धों की उपेक्षा हमारे सांस्कृतिक परंपरा पर कुठाराघात है. इस पर सभी दल को ध्यान देना चाहिए.

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