खासकर नवरात्र पूजन को लेकर विशेष तैयारी की जा रही है. मंदिर के आस-पास पूजा समिति द्वारा भव्य मेला का आयोजन किया जाता है. जानकारी अनुसार 1994 में स्थानीय श्रद्धालुओं के सहयोग से मंदिर की स्थापना की गयी थी.
स्थापना काल से लगातार मंदिर का ढांचागत विकास प्रगति पर है. समय के साथ मंदिर की भव्यता बढ़ने के साथ ही श्रद्धालुओं की आस्था परवान पर है. गीतवास, परमानंद पुर, खरहट, लक्ष्मीपुर, कुपाड़ी व हांसा सहित दर्जनों गांवों के श्रद्धालु दशहरा के मौके पर मंदिर में माता की प्रतिमा का दर्शन व पूजा-अर्चना करते हैं.
स्थानीय मुखिया विनोद सिंह ने कहा कि प्रतिवर्ष सामाजिक सद्भाव के साथ धार्मिक आयोजन किया जाता है. मंदिर के प्रति दिनों-दिन भक्तों की आस्था बढ़ती जा रही है. उन्होंने आयोजन को सफल बनाने में स्थानीय युवकों की भूमिका सराहनीय बतायी.