दूसरी तरफ ब्लड बैंक के अभाव के चलते लाल खून का काला कारोबार भी परवान चढ़ रहा है. जानकारों की मानें तो इस अवैध कारोबार के पीछे एक संगठित नेटवर्क काम कर रहा है. लगातार उठ रही मांगों के बावजूद जिले में अबतक ब्लड बैंक की स्थापना नहीं हो पायी है. रेडक्रॉस की इकाई में भी ब्लड बैंकनहीं खुल सका है. अलबत्ता कुछ सालों से सदर अस्पताल परिसर में उसी भवन में छोटा सा ब्लड स्टोरेज सेंटर चल रहा है जिसमें ब्लड बैंक खुलना था.
अवैध कारोबारियों का एक पूरा नेटवर्क खड़ा हो चुका है. कहा तो ये भी जा रहा है कि नेटवर्क का संचालन सदर अस्पताल के आसपास से ही हो रहा है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार भवन बहुत पहले बना था, लेकिन कुछ अर्हता पूरी नहीं होने के कारण ब्लड बैंक का लाइसेंस नहीं मिल पाया. जिला औषधि निरीक्षक ने एक डॉक्टर व दो लैब टेक्नीशियन को प्रशिक्षण दिलवाने के लिए कहा है. इसके साथ ही भवन में भी कमियों को पूरा किया गया है. प्रशिक्षण के बाद ही ब्लड बैंक के लाइसेंस की प्रक्रिया शुरू होगी. लाइसेंस राज्य औषधि नियंत्रक कार्यालय से निर्गत होता है. ब्लड स्टोरेज सेंटर में औसतन चार-पांच यूनिट तक ही ब्लड रखने की सुविधा है. रक्तदान शिविरों से जो ब्लड आता है. उसका अधिकांश हिस्सा पूर्णिया ब्लड बैंक भेज देना पड़ता है.