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पुलिस सजग होती तो आरोपी होते सलाखों के पीछे

प्रतिनिधि, कुर्साकांटाभले ही मंजु के मामले में वरीय पुलिस पदाधिकारी के दबाव पर छह दिन बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया, लेकिन सिकटी पुलिस यदि सजग होती तो ना केवल घटना के तुरंत बाद प्राथमिकी दर्ज हो जाती, बल्कि आरोपी भी सलाखों के पीछे होते. स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर किन […]

प्रतिनिधि, कुर्साकांटाभले ही मंजु के मामले में वरीय पुलिस पदाधिकारी के दबाव पर छह दिन बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया, लेकिन सिकटी पुलिस यदि सजग होती तो ना केवल घटना के तुरंत बाद प्राथमिकी दर्ज हो जाती, बल्कि आरोपी भी सलाखों के पीछे होते. स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर किन कारणों से घटना के छह दिन बाद तक सिकटी पुलिस मामले में कार्रवाई से कतराती रही. घटना के दिन जानकारी मिलते ही अगर पुलिस सतर्कता बरतती, तो इस तरह के काम में लगे बड़े गिरोह का परदाफाश हो गया होता. सवाल यह भी है कि कथित बिचौलिया मानिकचंद मंडल व रूपा देवी उर्फ रंगेलिया को किसका संरक्षण प्राप्त है, जिसके दम पर वे गांव वालों को धमकी देकर न केवल कथित दूल्हों को छुड़ा ले गये, बल्कि समाज लोगों को खुली चुनौती भी देते रहे. अनजाने से डर से मंजु के गांव आमगाछी के ग्रामीण सहमे हुए हैं. मंजु भी अपनी मां के साथ लगातार ठिकाना बदल रही है. घटना के बाद मंजु अपनी मां के साथ सिकटी के पहाड़ा चौक पर अपने फूफा रामप्रसाद मंडल के घर रह रही थी, लेकिन सोमवार को वह अपनी मां के साथ अपना ठिकाना बदलने के लिए मजबूर हो गयी. प्रशासन का मंजु व उसकी मां को सुरक्षा देने का दावा भी खोखला साबित हो रहा है.

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