विकास के दावे डम्हेली में चिढ़ा रहे मुंह, सड़क के लिए तरस रहें ग्रामीण

अररिया : सदर प्रखंड के रामपुर मोहनपुर पश्चिमी पंचायत स्थित वार्ड संख्या 03 डम्हेली गांव आज भी विकास के दावे का मूंह चिढ़ा रही है. आजादी के बाद भी बाद आज तक इस गांव की आम जनता को पक्की सड़क की सुविधा नसीब नहीं हुई है. जबकि इस गांव में करीब 300 घर की आबादी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 18, 2020 7:10 AM

अररिया : सदर प्रखंड के रामपुर मोहनपुर पश्चिमी पंचायत स्थित वार्ड संख्या 03 डम्हेली गांव आज भी विकास के दावे का मूंह चिढ़ा रही है. आजादी के बाद भी बाद आज तक इस गांव की आम जनता को पक्की सड़क की सुविधा नसीब नहीं हुई है. जबकि इस गांव में करीब 300 घर की आबादी होने के बाद भी आज गांव के लोगों के चलने के लिए पक्की सड़क नसीब नहीं है.

ग्रामीण जलालुद्दीन, इशाक, मो सलाम, मो कलाम आदि ने बताया कि जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूरी पर बसे इस गांव के आम लोगों को सड़क, नाला, शौचालय, पानी आदि सरकारी योजनाओं की सुविधा नहीं मिली है.
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि गांव में सड़क की सुविधा नहीं होने से गांव के सभी लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गांव में तीन सड़कें आती हैं तीनों ही सड़कें कच्ची हैं. खासकर बारिश के दिनों में कच्ची सड़क कीचड़मय हो जाती है. उस पर चलना मुश्किल होता है.
देर रात अगर कोई बीमार हो जाये तो फिर वाहन से नहीं गोद में उठाकर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है. ग्रामीणों ने यह भी बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र होने के बावजूद भी गांव के आम लोगों को सड़क, शौचालय व नल जल आदि सुविधा नसीब नहीं है. बताया कि सुनते हैं कि सरकार के माध्यम से विकास को लेकर कई योजनाएं चल रही हैं. लेकिन यह योजना डम्हेली के वार्ड संख्या 03 में नहीं दिखती है.
महादलित टोला की महिलाओं की धूल भरी सड़क बढ़ाती है परेशानी
डम्हेली ऋषिदेव टोला के ग्रामीण सुरेश ऋषिदेव, महेंद्र ऋषिदेव, बंगाली ऋषिदेव आदि ने बताया वे पांच किलोमीटर अंदर गांव तक कच्ची सड़क से गुजर कर घर पहुंचते हैं. लेकिन किसी जनप्रतिनिधि ने पक्की सड़क बनाने या उस पर पहल करने की जहमत तक नहीं उठायी.
यह भी बताया कि अन्य दिनों में धूल भरी सड़क कच्ची सड़क परेशान करती हैं तो बारिश के दिनों में कीचड़मय सड़क परेशानी का आलम होती है. बताया कि बच्चों को स्कूल तक पहुंचने के लिए काफी दिक्कत व मुसीबत का सामना करना पड़ता है. खास कर गांव की महिलाओं को सड़क तक पहुंचने में फजीहतों का सामना करना पड़ता है.

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