पटना: अब स्पष्ट हो गया है कि लोकसभा चुनाव के बाद ही मेगा नौकरी अभियान की प्रक्रिया शुरू हो पायेगी. कारण कई हैं, जिनमें मुख्य रूप से विभागीय प्रमुखों द्वारा रिक्तियां भेजने के सख्त निर्देश को गंभीरता से नहीं लेना तथा बीपीएससी द्वारा नियुक्ति कैलेंडर अब तक सरकार को समर्पित नहीं किया जाना है. दो दिन पूर्व हुई बैठक में मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा ने विभागीय प्रमुखों व बिहार लोक सेवा आयोग को कहा है कि जल्द रिक्तियां नहीं मिलीं, तो अधिकारियों को चिह्न्ति कर कार्रवाई की जायेगी.
जारी नहीं हो सका विज्ञापन : अधिकारियों के अनुसार अब तक पशु एवं मत्स्य संसाधन, राजस्व एवं भूमि सुधार, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, सहकारिता व सामान्य प्रशासन विभाग ने ही खाली पदों की सूचना दी है.
कर्मचारी चयन आयोग ने पूर्व में नियुक्ति के लिए जो कैलेंडर समर्पित किया है, उसके अनुसार अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक विज्ञापन जारी करने का प्रावधान था, परंतु कर्मियों की कमी को देखते हुए मुख्य सचिव ने फरवरी के अंतिम सप्ताह या मार्च के प्रथम सप्ताह में विज्ञापन जारी कर देने का लक्ष्य विभाग को दिया था, लेकिन यह तिथि भी फेल हो गयी. विभागों को यह हिदायत दी गयी थी कि सेवा संवर्ग नियमावली की अधिसूचना जारी होने के बाद बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग को नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के लिए अनुशंसा करें. अब तक 150 से अधिक सेवा संवर्ग नियमावली को मंजूरी देकर अधिसूचित किया गया है.
आयोग ने अब तक पारा मेडिकल स्टाफ में एएनएम, परिचारिका व राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में अमीन के लिए विज्ञापन जारी किया है. इन विज्ञापनों के तहत लगभग पांच हजार की नियुक्ति होनी है. इसमें संविदा पर कार्यरत कर्मियों को भी वेटेज देकर स्थायी नौकरी देने का प्रावधान है.