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मलयेशिया में बनी थी पूरी प्लानिंग
इंदौर-पटना रेल हादसा. शमशुल होदा का पाकिस्तान से कनेक्शन मिला पांच माह में आठ-दस करोड़ कमाने का दिया गया था लालच मोतिहारी/पटना : इंदौर-पटना रेल हादसे का मास्टरमाइंड शमशुल होदा का पाकिस्तान से कनेक्शन मिला है. नेपाल पुलिस के सामने होदा ने खुलासा किया है कि भारत में आतंक फैलाने के लिए मलयेशिया में बैठक […]
इंदौर-पटना रेल हादसा. शमशुल होदा का पाकिस्तान से कनेक्शन मिला
पांच माह में आठ-दस करोड़ कमाने का दिया गया था लालच
मोतिहारी/पटना : इंदौर-पटना रेल हादसे का मास्टरमाइंड शमशुल होदा का पाकिस्तान से कनेक्शन मिला है. नेपाल पुलिस के सामने होदा ने खुलासा किया है कि भारत में आतंक फैलाने के लिए मलयेशिया में बैठक हुई थी.
पाकिस्तान का मो शफी उसको अप्रैल, 2016 में मलयेशिया लेकर गया था. वह एक होटल में कुछ लोग मो शफी से मिलने आये थे. इसके बाद शफी ने बताया कि भारत में इन लोगों का कुछ काम अटका हुआ है. उनके साथ पांच-छह महीना काम करने पर आठ-दस करोड़ मुनाफा होगा. शफी ने उनकी सारी प्लानिंग बतायी. कहा कि इसके लिए कुछ लड़कों की जरूरत पड़ेगी. पैसे की लालच में आकर शमशुल भारत में आतंक फैलाने की साजिश का हिस्सा बन गया. लगभग 12-15 दिनों तक मलयेशिया में रहने के बाद शमशुल व शफी दुबई पहुंचे. शफी दुबई से पाकिस्तान चला गया. उसके बाद शमशुल ने ब्रजकिशोर से संपर्क कर भारत-नेपाल के सीमावर्ती जिलों में आतंक का जाल बुनने लगा.
एक दर्जन रेल रूट थे टारगेट में : शमशुल ने पूछताछ में बताया है कि भारत के एक दर्जन से अधिक रेल रूट टारगेट पर थे. शफी के नेटवर्क में सिर्फ शमशुल ही नहीं, बल्कि उसके जैसे बहुत से लोग काम करते हैं. सभी की अलग-अलग जिम्मेवारी है. शमशुल को भारत-नेपाल से सटे रेल रूटों पर ट्रेन डिरेल कराने की जिम्मेवारी थी.
क्या कहती है नेपाल पुलिस
शमशुल ने कुछ घटनाओं में संलिप्तता स्वीकारते हुए कई संभावित घटनाओं का खुलासा किया है. सभी बिंदुओं पर नेपाल पुलिस जांच कर रही है. शमशुल से पूछताछ में और कुछ खुलासे की संभावना है.
अरुण कुमार कुशवाहा, इंस्पेक्टर
बारा जिला (नेपाल)
पटना : दुबई से जबरन डिपोर्ट करके काठमांडू भेजने के बाद गिरफ्तार हुआ रेल हादसे का मुख्य अभियुक्त शमसुल होदा और उसका साथी मुजाहिर अंसारी वास्तव में डी-कंपनी का गुर्गा है. दाउद इब्राहिम की डी-कंपनी का शमसुल प्रमुख गुर्गा है, जबकि मुजाहिर उसका सहयोगी है. इन दोनों ने ही कानपुर रेल हादसे की पूरी प्लानिंग की. शमसुल, मुजाहिर समेत सभी चार संदिग्धों से राष्ट्रीय जांच एजेंसियों एनआइए, आइबी और रॉ के अधिकारी गहन पूछताछ कर रहे हैं. इस पूछताछ में कई बेहद अहम जानकारी जांच एजेंसियों के हाथ लगी है.
सबसे अहम जानकारी मिली है कि देश में इस तरह के ‘टेरर मॉड्यूल’ के आधार पर अन्य कई रेल हादसों को अंजाम देने की तैयारी थी. लेकिन, कानपुर रेल हादसे के बाद जांच एजेंसियों की सतर्कता बढ़ने और कुछ ही दिनों बाद मोती पासवान समेत अन्य की गिरफ्तारी होने से ये लोग अपने प्लान को अमलीजामा नहीं पहना सके. बिहार और यूपी में ही ज्यादा घटनाओं को अंजाम देने की साजिश थी.
डी-कंपनी से मिले तमाम निर्देशों और पैसों को शमसुल ही मोती पासवान और उसके संदिग्ध साथियों मुकेश, उमाशंकर समेत अन्य तक पहुंचाने का काम करता था. रेल हादसे से पहले तक नेपाल में बैठ कर शमसुल ही मोती और उसके साथियों को निर्देश देता था. इसके इशारों पर ही इस रेल हादसे को अंजाम दिया गया. इस हादसे के बाद जब जांच की रफ्तार बढ़ी, तो शमसुल दुबई और मोती समेत अन्य संदिग्ध नेपाल भाग गये. हालांकि जांच का दायरा जैसे-जैसे बढ़ता गया, ये सभी संदिग्ध चपेट में आते गये. मोती समेत अन्य सभी संदिग्धों ने पैसे और धमकी की वजह से इस घटना को अंजाम दिया था.
पिछले कुछ सालों से डी-कंपनी ने भारत में अपने दहशत फैलाने के तरीके में बदलाव लाया है. मुंबई, वाराणसी, नई दिल्ली समेत अन्य शहरों में हुए सीरियल ब्लास्ट जैसी घटनाओं को अंजाम देने के बजाये, अब ये कम प्रयास में ज्यादा नुकसान करने वाले वारदातों पर ज्यादा फोकस करने लगे हैं. इसमें सबसे सॉफ्ट टारगेट भारतीय रेल रूट हैं. देश में रोजाना 12 हजार से ज्यादा सवारी गाड़ियां चलती है, जिनमें करीब ढाई करोड़ लोग यात्रा करते हैं. दहशतगर्दों के लिए यह सबसे सॉफ्ट टारगेट है. इसमें चुनिंदा ट्रैकों को निशाना बनाते हुए इन पर गुजरने वाली ट्रेन को टारगेट करके ये कंपनी भाड़े के अपराधियों या अपने तैयार किये ‘स्लीपर सेल’ के जरिये ट्रैक को क्षति पहुंचा कर बड़ा ट्रेन हादसों को अंजाम देने की फिराक में रहते हैं.
इसके लिए ये लोग आरडीएक्स या टीएनटी जैसे बेहद शक्तिशाली विस्फोटकों के स्थान पर कम क्षमता वाले छोटे विस्फोटकों का इस्तेमाल इन दिनों कर रहे हैं. बड़े विस्फोटकों को रखना और छिपाना मुश्किल होता है और तमाम सुरक्षा एजेंसियां इसे लेकर बेहद सतर्क रहती हैं. इस वजह से छोटे विस्फोटकों का सहारा लिया जा रहा है. इसे छिपाना और लाना ले जाना आसान होता है. कई स्थानों पर मशीन से जांच में यह पकड़ में नहीं आते हैं.
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